8 से 22 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा, विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से किया जाएगा पौष्टिक आहार के बारे में जागरूक
करनाल, 9 अप्रैल । अतिरिक्त उपायुक्त यश जालुका ने कहा कि कुपोषण के शिकार बच्चे दिमागी तौर पर परिपक्व नहीं हो पाते जिससे न केवल उनका आत्मविश्वास कम होता है, बल्कि कई बीमारियां भी उन्हें जकड़ लेती हैं। जोकि एक गंभीर विषय है। कुपोषण के शिकार बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है। उन्होंने पोषण अभियान से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे अविकसित एवं गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों में सुधार लाने के लिए सांझा प्रयास करें और ऐसे बच्चों की पहचान करके उनके पोषण में सुधार लाएं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा किशोरियों में भी पौष्टिक आहार लेने के लिए जागरूक करें।
अतिरिक्त उपायुक्त मंगलवार को देर सांय लघु सचिवालय के सभागार में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित बैठक में पोषण अभियान से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी विभागों के अधिकारी एक्शन प्लान के तहत कार्य करें ताकि कुपोषण से बच्चों को बचाया जा सके। उन्होंने सीडीपीओ को निर्देश दिए कि वे हर माह की सात तारीख को पोषण ट्रैकर से डाटा कलेक्ट करेंगी और इसके बाद सुपरवाइजर संबंधित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता से बच्चे के माता-पिता का मोबाइल नंबर लेकर उनके निरंतर संपर्क में रहेंगी और बच्चों के पोषण में सुधार लाने के लिए प्रेरित करेंगीं। अतिरिक्त उपायुक्त ने पीपीटी के माध्यम से महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आयुष विभाग, शिक्षा विभाग व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा 8 अप्रैल से लेकर 22 अप्रैल तक पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है जिसका शुभारंभ हो चुका है। इस पखवाड़े के अंतर्गत प्रत्येक दिन में अलग-अलग थीम पर गतिविधियों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा किशोरियों तथा छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को बेहतरीन पोषण लेने के लिए जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पोषण अभियान के दौरान बच्चों के जीवन के पहले एक हजार दिनों पर ध्यान केंद्रित कर, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के लिए उचित पोषण सुनिश्चित किया जाए। इसी प्रकार से पोषण सेवाओं के स्व-पंजीकरण और डिजीटल ट्रेकिंग को प्रोत्साहित किया जाए, कम्युनिटी बेस्ड मेनेजमेंट (सीएमएम) मॉड्यूल के माध्यम से प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन को मजबूत किया जाए। जागरूकता बढ़ाकर स्वस्थ आहार व स्वस्थ जीवनशैली की आदतों को बढ़ावा दिया जाए।