राज्यपालश्री आचार्य देवव्रत जी के साथ गुरुकुल कुरुक्षेत्र की अत्याधुनिक गोशाला, विद्यालय भवन, एन.डी.ए. ब्लॉक, आष महाविद्यालय सहित सभी प्रकल्पों का जायजा लिया
गुजरात विद्यापीठ मंडल की महत्त्वपूर्ण बैठक भी गुरुकुल सभागार में सम्पन्न हुई
वीरवार सायं गुजरात विद्यापीठ का शिष्टमंडल गुरुकुल पंहुचा जहां पर राज्यपालश्री आचार्य देवव्रत सहित गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग ने सभी अतिथियों का भव्य स्वागत किया। राज्यपालश्री ने स्वयं सभी अतिथियों को गुरुकुल की अत्याधुनिक गोशाला व अन्य प्रकल्पों का भ्रमण कराया। गोशाला में आचार्यश्री ने बताया कि यहां पर देशी गायों के नस्ल सुधार का कार्य पूरे मनोयोग से किया जा रहा है, गुरुकुल में देशी नस्ल की गाय 24 लीटर दूध प्रतिदिन देती है जबकि एच.एफ. गाय का अधिकतम दूध 54 लीटर प्रतिदिन है। उन्होंने बताया कि गोशाला से मिलने वाले गोमूत्र और गोबर का पूरा इस्तेमाल प्राकृतिक खेती हेतु जीवामृत व घनजीवामृत बनाने में होता है। प्रत्येक गाय का पूरा रिकार्ड कम्प्यूटर में फीड है। दूध निकालने के लिए मिल्क-पार्लर बनाया गया। आचार्यश्री ने बताया कि गुरुकुल की गोशाला से प्रतिदिन लगभग 19 क्विंटल दूध का उत्पादन होता है जो गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों को दिया जाता है। गोशाला में ही उन्होंने उत्तम नस्ल के घोड़े-घोडियों को भी देखा और बताया कि गुरुकुल के छात्रों को घुड़सवारी का प्रशिक्षण दिया जाता है।
एन.डी.ए. विंग में भ्रमण के दौरान आचार्यश्री ने अतिथियों को बताया कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र भारतीय सेनाओं को 71 उच्च अधिकारी पिछले 10 वर्षों में दे चुका है, पिछले वर्ष ही 17 छात्र एसएसबी उत्तीर्ण कर लेफ्टिनेंट और फ्लाइंग ऑफिसर हेतु चुने गये हैं। एन.डी.ए. विंग के क्लासरूम और मॉटिवेशन हॉल को देख पूर्व शिक्षामंत्री श्री चूडासमा भी हैरत में पड़ गये क्योंकि गुरुकुल में ऐसा सेटअप बनाया गया है कि एन.डी.ए. जैसी जटिल परीक्षा को भी छात्र आसानी से उत्तीर्ण कर रहे हैं। एन.डी.ए के साथ ही उन्होंने देवयान विद्यालय भवन और आर्ष महाविद्यालय का भी भ्रमण किया।
इसके बाद अतिथियों का काफिला गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म पर पहुंचा जहां पर आचार्यश्री ने इसके बाद अतिथियों का काफिला गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि फार्म पर पहुंचा जहां पर आचार्यश्री ने गेंहू के साथ चना, सरसों के साथ गन्ना, मेथी, धनिया और गोभी की मिश्रित फसलों के मॉडल अतिथियों को दिखाये। उन्होंने कहा कि इस तरह एक साथ कई-कई फसलें लेकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया खजूर, सेब, कमलम्, स्ट्रॉबेरी और चना हरियाणा में नहीं होते मगर प्राकृतिक खेती से अब ये सभी गुरुकुल के फार्म पर उगाए जा रहे हैं। गुरुकुल के फार्म को देखकर सभी अतिथि एक स्वर में कह उठे कि वाकई आचार्यश्री का प्राकृतिक कृषि मिशन देश में कृषि क्रान्ति का बिगुल बजाएगा।
गुजरात विद्यापीठ के सभी अतिथियों ने कुरुक्षेत्र के महाभारतकालीन धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। सबसे पहले यह दल प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर पर पहुंचा, यहां पर विशालकाय रथ और द्रापदी कूप सहित पूरे ब्रह्मसरोवर की परिक्रमा की। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद् सचिव उपेन्द्र सिंघल ने सभी अतिथियों का जोरदार स्वागत किया और बुकलेट देकर सभी को सम्मानित भी किया। इसके बाद सभी अतिथि शक्तिपीठ माँ भद्रकाली मंदिर पहुंचे जहां पर मुख्य पुजारी सतपाल शर्मा द्वारा फूल-मालाओं से भव्य अभिनन्दन किया गया। मंदिर में अतिथियों को विधिवत् पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात् विशेष बैठक गुरुकुल में हुई।