जान दे देंगे पर काले कृषि कानून लागू नहीं होने देंगे : रतनमान
सरकार से दो-दो हाथ करने को फिर लामबंद हुए किसान, कहा : काले कृषि कानून किसानों को बर्बाद कर देंगेकरनाल 11 मार्च। कृषि विपणन पोलिसी के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने मंगलवार को करनाल में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। पोलिसी को वापिस लेने की मांग करते हुए किसानों ने इस पोलिसी की प्रतियां जलाई और जिला प्रशासन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान घंटों तक लंबा जाम लगा रहा। किसानों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सरकार को जमकर कोसा। भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि किसान जान दे देंगे लेकिन काले कृषि कानूनों को लागू नहीं होने देंगे। सरकार पुराने तीनों काले कानूनों को फिर से किसानों पर थोपना चाहती है और यह कृषि विपणन पोलिसी उन्हीं तीनों कानूूनों का प्रारूप है। यह काले कानून किसानों को बर्बाद करने वाले हैं। उन्होंने सरकार को सख्त लहजे में कहा कि सरकार तुरंत प्रभाव से इस पोलिसी को रद्द करने का काम करे अन्यथा सरकार को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
मंगलवार को जिलेभर से किसान गांधी चौक पर एकत्रित हुए जहां पर भाकियू प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने किसानों को संबोधित किया। इसके बाद रोष मार्च निकालते हुए किसान गांधी चौक से जिला सचिवालय पहुंचे जहां पर किसानों ने अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को सौंपा। किसानों के रोष प्रदर्शन के चलते शहर में लंबा जाम लग गया और वाहन घंटों जाम में फंसे रहे। रतनमान ने कहा कि सरकार किसानों की दुश्मन न बने और किसानों के खिलाफ नए-नए कानून और पोलिसी लाना बंद करे। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 25 नवंबर 2024 को जारी की गई कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति को हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर वापिस किया जाए और इसे हरियाणा प्रदेश में लागू न किया जाए। धरने प्रदर्शन को जिला प्रधान सुरेन्द्र सिंह घुम्मन, महासचिव सुरेन्द्र बैनिवाल, राज्य चेयरमैन यशपाल राणा, जिला चेयरमैन साहब सिंह, प्रदेश संगठन सचिव श्याम सिंह मान, प्रवक्ता सुरेंद्र सांगवान ने संबोधित किया।
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जल्द समाधान नहीं हुओ तो पीपली में होगी महापंचायत
भाकियू प्रदेश अध्यक्ष रतनमान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जल्द इस समस्या का समाधान नहीं किया तो किसानों के भारी आक्रोष का सामना करना पड़ेगा। किसान 20 मार्च को एकत्रित होंगे और कुरूक्षेत्र स्थित मुख्यमंत्री के आवास पर महापंचायत करेंगे जिसमें किसान एकजुटता के साथ आगामी निर्णय लेंगे।
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यह रहे मौजूद
इस अवसर पर असंध ब्लॉक प्रधान जोगिंद्र सिंह झींडा, इंद्री ब्लॉक प्रधान दिलावर सिंह डबकोली, निसिंग ब्लॉक प्रधान जोगिंद्र बस्तली, घरौंडा ब्लॉक प्रधान धनेत्तर राणा, करनाल ब्लॉक प्रधान गुरविंद्र (काली), संतीेश कांबोज, फतेह सिंह मंगलौरा, रामफल नरवाल, बाबूराम बडथल प्रेमचंद शाहपुर व बाबूराम डाबरथला सहित अन्य मौजूद रहे।
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यह हैं मुख्य मांगें
केंद्र सरकार द्वारा 25 नवंबर 2024 को जारी की गई कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति को हरियाणा विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर वापिस किया जाए और इसे हरियाणा प्रदेश में लागू न किया जाए। सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करके उनकी खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाए। बिजली कानून में संशोधन बिल और स्मार्ट मीटर योजना रद्द होनी चाहिए। किसान आंदोलन के दौरान और उसके बाद भिन्न भिन्न स्थानों पर हुए किसानों के आंदोलनों/प्रदर्शनों में किसानों पर बनाए हुए सभी मुकदमे खारिज किए जाएं। पराली के नाम पर किसानों पर दर्ज केस रद्द किए जाएं। इस साल रबी 2025 की गेहूं समेत अन्य फसलों पर किसानों को बोनस दिया जाए। खरीफ 2024 में सुखा राहत कोष के जिन किसानों को पैसे नहीं मिले उनके जल्द जारी किए जाएं। पिछले फसल खराबे के मुआवजे और लंबित बीमा क्लेम जारी किए जाएं। रबी 2025 में फसलों पर हुई ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों के मुआवजा दिया जाए। सरसों की खरीद जल्द शुरू की जाए। किसान मजदूरों को कर्ज मुक्त किया जाए। बिजली के लंबित ट्यूबवेल कनेक्शन जल्द जारी किए जाएं। सहकारी सोसाइटियों में किसानों के नए खाते खोले जाएं और कृषि ऋण उपलब्ध करवाए जाएं। प्रदेश की जलवायु,संसाधनों को मद्देनजर रखते हुए किसान ,मजदूर हितैषी वैकल्पिक कृषि नीति बनाई जाए। मनरेगा का विस्तार हो और दिहाड़ी बढ़ाई जाए। सभी किसान मजदूरों को 58 वर्ष की आयु के उपरांत 10,000 रुपये मासिक पेंशन शुरू की जाए। बुढ़ापा पेंशन बढ़ाई जाऐ। आवारा सांढ, गाय व कुत्तों का समाधान किया जाए।