अम्बाला, 10 मार्च-
भीख मांग कर गुजारा करने वाले बच्चो को भी भीख परनिर्भर न रहना पड़े और ये पढ़ लिखकर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो सके इसलिए हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार‘‘ शिक्षा का हक ‘‘ नयी राह नयी पहचान एक कैंपेन की शुरुआत की गयी है। अभियान शिक्षा का हक: नयी राह नयी पहचान कानूनी सेवा अधिकारियों द्वारा भिखारियों की दुर्दशा को संबोधित करने के लिए एक पहल है, जो शिक्षा और पुनर्वास के अपने अधिकार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह अभियान शिक्षा और कानूनी समर्थन तक पहुंच पैदा करके, विशेष रूप से बच्चों को सशक्त बनाने पर जोर देता है, इस प्रकार समाज में उनके पुनर्निवेश का मार्ग प्रशस्त करता है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारीग की अध्यक्षता में इस कैंपेन में अधिकार मित्रो का चयन करके उनकी ड्यूटी लगाई गयी है जोकि भीख मांगने वाले बच्चो , मानव तस्करी व बल मजदूरी से पीडि़त बच्चो को चिन्हित करेंगे व उनको शिक्षा दिलाने में मदद करेंगे। बता दे की भीख मांगने वालो की संख्या में दिनबादिन बढ़ोतरी होती जा रही है जिसमे अधिकतर लोग बाहर से आये हुए प्रवासी है जिन्हे आप चैंक चोराहो, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशनो व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भीख मांगते हुए देख सकते है। इन लोगो को समय समय पर विभिन्न सामाजिक सेवा संस्थाओ द्वारा रेस्क्यू कर के सुधार गृह व संरक्षण ग्रहो में भेजने के प्रयास किये जाते रहे है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इन बच्चो को शिक्षा का हक दिला कर समाज की मुख्या धरा में शामिल कर्म का प्रयास कर रहा है
मार्च 3 तारीक से 10 तारीक तक डेहा बस्ती , हिजरा बस्ती , दयाल बाग , कच्चा बाजार , गाँधी ग्राउंड अम्बाला कैंट में‘‘ शिक्षा का हक ‘‘ नयी राह नयी पहचान विषय पर वर्कशॉप एवं प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया। जिसमें पी एल वी व कानूनी स्वय सेवक नेहा परवीन ने इदरीश फाउंडेशन की मदद से यह कार्यक्रम कराया। कानूनी स्वय सेवक नेहा परवीन ने भीख मांगने वाले व झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चो को नालसा हेल्पलाइन नंबर तथा डीएलएसऐ की गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होने बच्चो को सम्बोधित करते हुए बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई) के तहत, 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है. यह अधिनियम, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21-ए में शामिल है इस अधिनियम के तहत, सरकारी स्कूल सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देंगे। निजी स्कूलों में कम से कम 25 प्रतिशत बच्चों को बिना किसी शुल्क के दाखिला मिलेगा।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में यह प्रावधान किया गया है कि सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देना अनिवार्य है। इसके तहत बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने की जिम्मेदारी सरकार की है, ताकि वे भविष्य में आत्मनिर्भर और सक्षम नागरिक बन सकें। शिक्षा का अधिकार न केवल बच्चों को विद्यालय भेजने का सवाल है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि बच्चों को बिना भेदभाव के, सुरक्षित और समावेशी वातावरण में शिक्षा प्राप्त हो।