राजस्थान के खाटू श्याम मंदिर में एकादशी व द्वादशी पर लगने वाले लखी मेले को लेकर श्याम भक्त पैदल यात्रा के लिए रवाना। रेवाड़ी में श्याम भक्तों की सेवा के लिए श्याम प्रेमियों की ओर से जगह जगह सेवा शिविर लगाए गए।
राजस्थान के खाटू श्याम मंदिर में होली से पहले एकादशी और द्वादशी पर लगने वाले लखी मेले के लिए श्रद्धालुओं की पदयात्रा शुरू हो गई है। श्याम भक्तों का पैदल जत्था हाथों में निशान ध्वजा लेकर मेले में जा रहे हैं। करीब तीन सौ किलोमीटर की पद यात्रा के दौरान मार्ग में जगह जगह श्याम प्रेमियों की ओर से श्याम भक्तों के लिए सेवा शिविर लगाए गए हैं। इसी कड़ी में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी रेवाड़ी के पटौदी रोड स्थित जे एल एन नहर फ्लाइओवर के पास श्री श्याम दीवाना मंडल बलेवा की ओर से पांचवां श्री श्याम सेवा शिविर लगाया गया है। नागा साधु अजीतानंद के सानिध्य में आयोजित इस शिविर में श्याम भक्तों के लिए शुद्ध देशी घी से बना प्रसाद तैयार किया जाता है। शिविर में श्याम भक्तों के खाने पीने ठहरने और चिकित्सा संबंधी तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। शिविर के मुख्य आयोजक अंकित यादव और उनकी युवा टीम के साथ समस्त ग्राम वासियों का इसमें सहयोग रहता है। शिविर के संरक्षक अजीतानंद गिरी महाराज ने बताया कि बलेवा गांव के समस्त ग्रामीणों की ओर से प्रत्येक वर्ष खाटू जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए शिविर लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस बार पांचवां शिविर लगाया जा रहा है जिसको लेकर सभी में भारी उत्साह है। शिविर में आने वाले श्याम भक्त भी यहां मिलने वाली सुविधाओं से खुश होकर जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह सेवा शिविर 28 फरवरी को लगाया गया था जो सात मार्च तक चलेगा। प्रतिदिन सैकड़ों श्याम भक्त शिविर में ठहरते हैं और प्रफुल्लित होकर जाते हैं। नागा बाबा अजीतानंद गिरी ने बताया कि शिविर में श्याम भक्तों के ठहरने, खाने, पीने, सोने, स्नान करने तथा शौचालय के अलावा चिकित्सा सेवा भी दी जा रही है। श्याम भक्तों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी। यहां आने वाला हर भक्त खुश होकर जाता है। शिविर में प्रतिदिन श्याम दरबार लगता है जिसमें दोनों समय बाबा की आरती होती है और भोग लगाया जाता है। महंत अजीतानंद गिरी ने बताया कि वे पहले गृहस्थी थे लेकिन पचास वर्ष की आयु के पश्चात उन्होंने गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया इस महाकुंभ में उन्होंने प्रयागराज जाकर गिरी पंत से नागा संस्कार की दीक्षा ली थी ओर अब वे सन्यासी बन गए हैं। उन्होंने कहा कि गांव समाज उनके साथ है जब गांव को उनकी जरूरत पड़ती है तो वे हाजिर हो जाते हैं और जब उन्हें गांव समाज का कोई काम होता है तो गांव वाले हमेशा साथ खड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत सनातन की भूमि है यहां समय समय पर बड़े बड़े धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। अभी हाल ही में प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया गया तो अब फरवरी मार्च में लखी मेले का आयोजन किया जा रहा है।
आपको बता दें कि राजस्थान के सीकर जिले में स्थित बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर देश के मुख्य तीर्थ स्थलों में शामिल है। रोजाना अधिक संख्या में देश-दुनिया से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बाबा श्याम के जन्मदिन के अवसर पर एक बार बड़े मेले का आयोजन किया जाता है जिसको खाटू श्याम लक्खी मेला के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर है। यह मंदिर देशभर में बेहद प्रसिद्ध है। रोजाना अधिक संख्या में देश-दुनिया से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बाबा श्याम के जन्मदिन के अवसर पर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है, जिसको खाटू श्याम लक्खी मेला के नाम से जाना जाता है। इस बार फाल्गुन महीने में 28 फरवरी को लक्खी मेला शुरू हो गया जिसमे शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब बर्बरीक से भगवान श्री कृष्ण ने शीश मांगा था, तो बर्बरीक ने पूरी रात्रि भजन किया और फाल्गुन माह के शुक्ल द्वादशी को स्नान कर सच्चे मन से पूजा की। इसके बाद बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण को अपना शीश काटकर दे दिया। मान्यता है कि इसी वजह से हर साल लक्खी मेला लगता है। मान्यता है कि यदि कोई साधक फाल्गुन माह में बाबा खाटू श्याम के दर्शन और माथा टेकने आता है, तो बाबा शयाम प्रसन्न होकर उस भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। एक विशेष बात आपको बता दें कि लक्खी मेला के दौरान श्याम नगरी पूरी तरह से बाबा श्याम के रंग में रंगी होती है। इस साल फाल्गुन माह में 28 फरवरी से लक्खी मेले का आयोजन हुआ और इसका समापन होली से पहले यानी 12 मार्च को होगा। इस मेले में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को इस मेले का मुख्य माना जाता है।