कुरुक्षेत्र, 19 फरवरी।  कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के  एम.एम.टी.टी.सी. द्वारा 24वें एनईपी ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम का पहला दिन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। भारतीय ज्ञान प्रणाली विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों, संकाय सदस्यों और विद्वानों ने भागीदारी की। कार्यक्रम का उद्घाटन एमएमटीटीसी की निदेशक प्रो. प्रीति जैन ने किया, जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में उल्लेखित सिद्धांतों के साथ शैक्षिक प्रथाओं को संरेखित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणालियों को समकालीन शैक्षिक ढांचे में एकीकृत करने के लिए नीति के दृष्टिकोण के बारे में शिक्षकों में जागरूकता पैदा करना और संवेदनशील बनाना है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एनईपी समन्वयक डॉ. निधि माथुर ने पाठ्यक्रम में स्वदेशी ज्ञान को एकीकृत करने के महत्व को समझाते हुए समग्र शिक्षण वातावरण बनाने के लिए पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शैक्षिक प्रथाओं के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
लंगट कॉलेज, मुजफ्फरपुर से सम्मानित वक्ता प्रोफेसर राजीव कुमार झा और एचएनबीजीयू, उत्तराखंड में दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख प्रोफेसर इंदु खंडूरी ने भारतीय ज्ञान प्रणाली पर अपने विशेषज्ञ विचार साझा किए। प्रो. झा ने प्राचीन भारतीय दर्शन की ऐतिहासिक गहराई और समृद्धि पर चर्चा की, जबकि प्रो. खंडूरी ने विस्तार से बताया कि कैसे इन पारंपरिक प्रणालियों को आज के शैक्षिक परिदृश्य में प्रभावी ढंग से शामिल किया जा सकता है।
एमएमटीटीसी टीम ने एनईपी के उद्देश्यों को बढ़ावा देने और एक समावेशी, सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक और ज्ञान-संचालित शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। यह कार्यक्रम आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा, जिससे विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि के प्रतिभागियों के बीच चर्चा और सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

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