पुरातत्व स्थलों के साथ तीर्थ स्थलों का भी विशेष संबंध : डॉ. संजय मंजुल
केयू सीनेट हॉल में आयोजित प्लेनरी सत्र में विद्वतजनों ने सरस्वती नदी पर दिए विशेष व्याख्यान
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी।
 हरियाणा के मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सरस्वती विरासत का हरियाणा में सबसे ज्यादा क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि भारत एक समय आर्थिक दृष्टि से मजबूत था जिसमें गावों का अहम योगदान था। उन्होंने कहा कि पिहोवा में ब्रहमयोनी के नाम से तीर्थ है राजा पृथु का प्राचीन शिलालेख भी है। उन्होंने कहा कि पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्मा ने यहीं से सृष्टि की रचना की थी इसलिए इस स्थान का नाम ब्रह्म योनी पड़ा। राजा पृथु ने इस धरती पर हल भी चलाया था यह बात वामन पुराण में लिखी हुई है। उन्होंने पिहोवा स्थित ब्रहम योनी स्थल पर शोध एवं अनुसंधान करने का भी आह्वान किया।
ओएसडी भारत भूषण भारती ने कहा कि 10 वर्ष पहले शुरू हुए सरस्वती महोत्सव में आदिबद्री स्थल पर आयोजित दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य से लोग पहुंचे थे जिन्होंने बताया कि उनके पूर्वज यहीं के वासी रहे थे। वे सरस्वती नदी के किनारे रहते थे इसलिए उन्हें सारस्वत भी कहा जाता था। उन्होंने सरस्वती शोध कार्यों के लिए केयू के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग सहित मेरठ एवं पंजाब के विश्वविद्यालयों को जोड़ने का आह्वान किया तथा सरकार की ओर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बात कही।
प्लेनरी सत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. संजय मंजुल ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि पुरातत्व स्थलों के साथ तीर्थ स्थलों का भी विशेष संबंध है। उन्होंने भारत में घोषित राखीगढ़ी, धौलावीरा, हस्तिनापुर, आदि चिनालुर शिव सागर की पुरातत्व स्थलों के बारे में अहम जानकारी दी। हरियाणा सरकार राखीगढ़ी में संग्रहालय को विकसित कर रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीपीटी के माध्यम से हरियाणा के राखीगढ़ी में मिली प्राचीन वस्तुओं को उस समय के रहन-सहन एवं रीति-रिवाजों, पशुपालन, भवन निर्माण योजना, व्यापार एवं उद्योग से जोड़कर जानकारी साझा की।
डॉ. तेजस मुजिद्रा ने कहा कि सरस्वती नदी को सारस्वत सभ्यता को घोषित किया। भारत के सभी प्राच्य संस्थानों को एक साथ जोड़कर इस दिशा में आगे बढ़ने की बात कही। वहीं आईआईटी खड़गपुर से डॉ. जॉय सेन ने पीपीटी के माध्यम से बताया कि सरस्वती – भौतिक मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक वास्तविकताओं का संगम विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि ऋग्वेद एवं प्राचीन वैदिक साहित्य में सरस्वती के विषय में वर्णन किया गया है। वहीं भारतीय उपमहाद्वीप में हरियाणा के अतिरिक्त सरस्वती नदी का उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के इलाहबाद तथा साउथ बंगाल में भी इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि सरस्वती को साधना, योगा एवं वाणी की देवी भी कहा जाता है।
माता सरस्वती धाम के फाउंडर व रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवीजन, गांधीनगर, गुजरात के प्रमुख डॉ. ब्रज किशोर शुक्ला ने कहा कि सरस्वती बुद्धि, कला एवं ज्ञान की देवी है। वर्तमान में जहां आज समाज में चारों ओर कुरीतियां फैल रही है, विश्व में अशांति है। वहीं सरस्वती ही विद्या की देवी है जो मनुष्य के दुर्गुणों को उसे सही रास्ते पर ले जा सकती है।
इस अवसर पर केयू सरस्वती शोध उत्कृष्टता केन्द्र के निदेशक प्रो. एआर चौधरी ने मंच की ओर सभी अतिथियों का स्वागत किया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्लेनरी सत्र में विद्वतजन, शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद है।
सरस्वती नदी के पुनः जीवित होने से औषधि क्षेत्र होगा विकसित : प्रो. करतार सिंह धीमान
सरस्वती नदी जरिये भारत 2047 तक विकसित भारत होगा
इतिहास को जानकर ही भारत पुनः विकसित होगाः डॉ. तेजस
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एक्सीलेंस ऑन सरस्वती रिवर और हरियाणा सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में ‘द सरस्वती रिवर-सनातन सभ्यता और संस्कृति का उद्गम स्थल- विकसित भारत-2047 के लिए दृष्टि क्षितिज’’ विषय पर श्रीमद्भगवद्गीता सदन के सीनेट हॉल में दूसरे दिन श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के कुलपति प्रोफेसर करतार सिंह धीमान ने कहा कि सरस्वती नदी पर विभिन्न प्रकार की औषधियां पाई जाती थी जिनसे विश्व औषधियों का व्यापार होता था। वर्तमान काल में जब हम हिमालय लेकर गुजरात के बीच के रास्तें में जिन मुख्य औषधियां पाते हैं उनमें मुख्यतः सलम, बदरी तुलसी, भोजपत्र, ईशबघोल, लिंगधू, तुम्बरी, मजीठा इत्यादि सौ से अधिक आज भी वर्तमान में है। उन्होंने कहा कि अगर हम सरस्वती नदी को पुनः जीवित कर देते हैं तो भारत 2047 तक अपने औषधी व्यापार क्षेत्र को विकतिस कर लेगा।
केयू सरस्वती शोध उत्कृष्टता केन्द्र के निदेशक व डीन स्टूडेंटस वेलफेयर प्रोफेसर एआर चौधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तीन दिवसीय कांफ्रेस से हम सरस्वती नदी के जरिये विकसित भारत-2047 की तरफ बढ़ रहे हैं क्योंकि हम और हमारी नई पीढ़ी इस दिशा में आगे बढ़ेगी ऐसी मेरी आशा है। उन्होंने कहा कि कांफ्रेंस में ऐतिहासिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हो रही है और कांफ्रेंस को सार्थक सिद्ध कर रहे हैं।
इस अवसर पर पूर्व सदस्य सीबीटीसी सरोज बाला ने रामायण, महाभारत और सरस्वती के विषय पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि सरस्वती नदी ही नहीं बल्कि एक सभ्यता थी क्योंकि इस नदी पर हमारे पौराणिक ग्रंथों की रचना ऋषियों और मुनियों की थी। रामायण में ऋषि वाल्मीकि जी ने भगवान श्रीराम के जन्म के ग्रह-नक्षत्रों के बारे में बताया। वहीं आज भी ज्योतिष के माध्यम से आज हम जन्म के नक्षत्रों एवं ग्रहों को देखते हैं।
इस अवसर पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एके गुप्ता ने अपने शोध पत्र के आधार पर वैदिक सरस्वती की प्रमाणिकता विभिन्न मैपों के आधार की। उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से विभिन्न वैज्ञानिक ने अपने-अपने सरस्वती संबंधित मैप बनाये है जो सरस्वती के होने के प्रमाण करती है हमे एक सांझे मैप की ओर बढ़ना है।
इस अवसर पर सुवरता एम. विनोद ने अपने शोध पत्र के माध्यम से कहा कि हमारे वेदों, पुराणों, शास्त्रों में सरस्वती नदी का वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि दो यज्ञों के अतिरिक्त किसी प्रकार के यज्ञ कर सकते हैं लेकिन दो यज्ञ के केवल सरस्वती नदी पर ही हो सकते हैं।
इस अवसर पर पेंथर के संस्थापक और वेंदात विशेषज्ञ डॉ. तेजस मौजिद्रा ने अपने शोध पत्र सरस्वती सभ्यता के सांस्कृतिक धरोहर के विषय पर बोलते हुए कहा कि सरस्वती नदी पर हमारी सभ्यता विकसित हुई है क्योंकि जो सांस्कृतिक धरोहर वर्तमान में देख रहे हैं उसकी जड़ें सरस्वती के किनारे पर बसे भवन निर्माणों की वास्तुकला और सांस्कृतिक वस्तुओं से होती है। उन्होंने कहा कि अगर हमें आगे बढ़ना है तो हमे अपनी इतिहास की तरफ जाना होगा कि हम तभी अच्छा भविष्य बना पायेगे।
कर्मचारियों की कड़ी मेहनत से शैक्षणिक संस्थान ऊंचाइयों के शिखर पर : प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा
कुवि के पांच गैर-शिक्षक सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रशासन की ओर से विदाई पार्टी
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी। 
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शुक्रवार को पांच गैर-शिक्षक कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के अवसर पर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विदाई पार्टी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कर्मचारियों की कड़ी मेहनत से शैक्षणिक संस्थान ऊंचाइयों के शिखर पर है तथा विश्वविद्यालय के उत्थान में कर्मचारियों का अहम योगदान है। कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि विश्वविद्यालय सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के हितों के लिए सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण रखेगा तथा भविष्य में भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अनुभव विश्वविद्यालय के काम आएंगे। उन्होंने सेवानिवृत्त होने वाले गैर-शिक्षक कर्मचारियों से औपचारिक बातचीत करते हुए अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।
इस अवसर पर कुवि कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल ने भी सेवानिवृत्त होने वाले गैर-शिक्षक कर्मचारियों को बधाई देते हुए अच्छे स्वास्थ्य की कामना दी। इस अवसर पर सेवानिवृत्त होने वाले गैर-शिक्षक कर्मचारियों ने अपने विचार व अनुभव साझा किए तथा इस विदाई पार्टी के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन का आभार प्रकट किया।
सेवानिवृत्त होने वालों चीफ वार्डन, पुरुष छात्रावास से होस्टल कोऑर्डिनेटर सुरेन्द्र कुमार, योजना शाखा से दफ्तरी राम प्यारी, सेनिटेशन विभाग से स्वीपर प्रकाशो देवी, परीक्षा शाखा से पीयन ईश्वर सिंह तथा यूनिवर्सिटी प्रेस से कैमरा ऑपरेटर पवन कुमार शामिल हैं।
इस मौके पर प्रो. जसबीर ढांडा, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. विजय कुमार, कुटा प्रधान प्रो. दलीप कुमार, डॉ. अंकेश्वर प्रकाश, प्रेस इंचार्ज रामेश्वर सैनी, कुंटिया प्रधान राजवंत कौर, महासचिव रविन्द्र तोमर, उपकुलसचिव डॉ. दीपक शर्मा, डॉ. जितेन्द्र जांगड़ा, बलजिन्द्र सिंह, अधीक्षक मनीष खुराना, पंकज जांगड़ा, मोहन बिष्ट सहित सेवानिवृत्त कर्मचारियों के परिवारजन मौजूद रहे।
एनईपी के लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण जरूरी : प्रो. मंजुला चौधरी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर यूनिवर्सिटी स्कूल में एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी। 
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सही ढंग से क्रियान्वित करने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है क्योंकि जब शिक्षा एनईपी को जान पाएंगे तभी वह इसका सफल ढंग से क्रियान्वयन कर पाएंगे। यह विचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दूरवर्ती एवं ऑनलाइन शिक्षा केन्द्र की निदेशिका प्रो. मंजूला चौधरी ने शुक्रवार को यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी मॉडल स्कूल में सीबीएसई के दिशा-निर्देशानुसार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विषय पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए। स्कूल परिसर में पहुंचने पर स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. सुखविन्द्र सिंह ने उनका स्वागत किया।
प्रो. मंजूला चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 में पांच, तीन, तीन व चार का फ्रेमवर्क बनाया गया है जिसके अनुसार स्कूली शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है जिसमें खासतौर पर पंचकोष विकसित करने पर बल दिया गया है। यही नहीं स्कूली स्तर पर परीक्षा का प्रारूप किस प्रकार का हो तथा त्रिभाषा सूत्र को किस प्रकार लागू किया जाए, शिक्षकों को किस प्रकार से और किन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाए, इन सभी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सभी स्कूलों का पाठ्यक्रम किस प्रकार बनाया जाए व उसमें जिन विषयों की मांग है, उन्हें किस प्रकार से जोड़ा जाए। छात्रों में सुनने, पढ़ने और लिखने की कला को विकसित करने के लिए एनईपी में विस्तार से कहा गया है इसके साथ-साथ छात्रों को अब ई-अभ्यास, आईआईटीपीएएल पर ऑनलाइन निशुल्क प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जा रही है। शिक्षक दीक्षा एप के माध्यम से अपने आप को अपडेट कर सकते हैं। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित सभी शिक्षकों की शंकाओं का भी निवारण करते हुए उनकी जिज्ञासा को शांत किया।
कार्यशाला के आरम्भ में स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. सुखविन्द्र सिंह ने प्रो. मंजूला चौधरी का स्वागत किया और कहा कि मुख्य वक्ता ने एनईपी पर जो सुझाव व जानकारियां दी हैं निश्चित तौर पर स्कूल को उसका लाभ होगा। स्कूल चरणबद्ध तरीके से एनईपी को लागू करने की दिशा में सकारात्मक रूप से अपनी भूमिका निभाएगा। स्कूल की वाइस चेयरपर्सन प्रो. सुनीता दलाल ने प्रो. मंजुला चौधरी का धन्यवाद व्यक्त किया और कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं निरंतर आयोजित की जानी चाहिए। एकदिवसीय कार्यशाला में स्कूल के 50 से करीब शिक्षकों व प्रशिक्षु शिक्षकों ने भाग लिया।
रोस्ट्रम प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने समसामयिक व कानूनी विषयों पर किए विचार प्रस्तुत
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी। 
केयू विधि विभाग में रोस्ट्रम 2025-स्टेज एक के तहत प्रतियोगिता में विभाग के 24 छात्रों ने विभिन्न समसामयिक एवं कानूनी विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में अभिव्यक्ति की क्षमता को बढ़ावा देना तथा तार्किक सोच को विकसित करना था। इस प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल के रूप में विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. अंजू बाला, डॉ. आरुषि मित्तल तथा छात्र न्यायाधीश के रूप में अमनदीप ने प्रतिभागियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया। प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार करण (एलएलबी तृतीय वर्ष), द्वितीय पुरस्कार प्रेरणा (एलएलबी प्रथम वर्ष), तृतीय पुरस्कारः महक (एलएलबी प्रथम वर्ष) ने प्राप्त किया।
इस अवसर पर डॉ. प्रीति भारद्वाज ने भी सभी छात्रों को प्रेरित करते हुए तर्क और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में डॉ. प्रियंका चौधरी तथा विधि विभाग के संकाय सदस्यों व छात्रों ने सक्रिय सहभागिता निभाई। इस अवसर पर विधि विभाग के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

केयू यूजीसी एमएमटीटीसी द्वारा समग्र और बहु विषयक शिक्षक पर हुआ व्याख्यान
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र ने 23वें ऑनलाइन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 अभिमुखीकरण और संवेदनशीलता कार्यक्रम के तहत ‘समग्र और बहु-विषयक शिक्षा’ पर आयोजित प्रथम सत्र में प्रो. बिंदु जिंदल, डीन एवं अध्यक्ष विधि विभाग, महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय, मुलाना, अंबाला ने भगवद् गीता की शिक्षाओं पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे यह ग्रंथ आध्यात्मिक और सामग्री जीवन के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
वहीं दूसरे सत्र में प्रो. देश राज ठाकुर, वरिष्ठ प्रोफेसर, जीव विज्ञान विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने एनईपी 2020 के ढांचे और इसके 5 सिद्धांतों – पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सस्ती और जवाबदेही पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने समग्र विकास के महत्व पर जोर देते हुए इसे प्राचीन भारतीय शिक्षा केंद्रों से जोड़ा। सत्रों का समापन इंटरएक्टिव प्रश्न-उत्तर सत्रों के साथ हुआ। पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. आरुषि मित्तल ने वक्ताओं को धन्यवाद दिया और प्रो. प्रीति जैन से मार्गदर्शन और समर्थन प्राप्त करने की सराहना की।

रोस्ट्रम प्रतियोगिता से संचार कौशल एवं भावाभिव्यक्ति को होता है विकास : प्रो. अनिता दुआ
केयू आईटीटीआर संस्थान में रोस्ट्रम प्रतियोगिता में लव ने मारी बाजी
कुरुक्षेत्र, 31 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रशिक्षण अनुसंधान संस्थान में रोस्ट्रम स्टेज वन (2024-25) में बीएड विद्यार्थियों ने स्वामी विवेकानंद ; युवाओं के आदर्श एवं प्रेरणा स्रोत, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विकलांगता अक्षमता नहीं है जैसे आदि विषयों पर अपने विचार सार्वजनिक भाषण के माध्यम से व्यक्त किए। इस मौके पर संस्थान की प्राचार्या प्रो. अनिता दुआ ने प्रतिभागी विजेताओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रोस्ट्रम प्रतियोगिताओं में भाग लेने से विद्यार्थियों में भावाभिव्यक्ति, संचार कौशल व दृढ़ आत्मविश्वास विकसित होता है जो विद्यार्थी जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है।
प्रतियोगिता में छात्र लव ने प्रथम, कोमलप्रीत कौर ने द्वितीय तथा अभिषेक ने तृतीय स्थान हासिल किया। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डॉ. दिग्विजय सिंह, डॉ. ममता चावला व छात्रा गीतांजलि तथा संयोजक के रूप में डॉ. अंग्रेज सिंह व पूजा सैनी शामिल रहे। इस अवसर पर संस्थान के शिक्षक दिविज गुगनानी, डॉ. रीटा सैनी, डॉ. रोहिणी, रीना यादव, कवलप्रीत कौर सहित विद्यार्थी मौजूद रहे।
स्लोगन एवं प्रदर्शनी द्वारा सरस्वती नदी को साफ-सुथरा रखने के लिए किया जागरूक
कुरुक्षेत्र, 31 दिसम्बर।
 अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव 2025 पेहवा में आयोजित मेले में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से हरियाणा पवेलियन में लगाई गई प्रदर्शनी में धरोहर हरियाणा संग्रहालय द्वारा हरियाणवी संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इसके साथ ही पवैलियन में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और बेटी होने पर छठी मनाओ का संदेश देने के साथ ही पवित्र नदी सरस्वती को साफ-सुथरा रखने का भी संकल्प दोहराया गया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में धरोहर हरियाणा संग्रहालय के द्वारा हरियाणवी संस्कृति की प्रदर्शनी के साथ-साथ मां सरस्वती नदी को साफ सुथरा रखने में विभिन्न स्लोगन के माध्यम से पवैलियन में आने वाले पर्यटकों को जागरूक किया जा रहा है।

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