मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती ने अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव की अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का किया शुभारंभ, ओएसडी भारत भूषण भारती ने सरस्वती नदी की पत्रिका का किया विमोचन, देश विदेश के जाने माने वैज्ञानिक सरस्वती नदी पर 1 फरवरी तक करेंगे चिंतन मंथन
कुरुक्षेत्र 30 जनवरी। मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती ने कहा कि पवित्र एवं प्राचीनतम सरस्वती नदी लाखों वर्षों से भारत की धरा पर सरस्वती नदी थी, सरस्वती नदी है और सरस्वती नदी हमेशा बहती रहेगी। इस पवित्र नदी के किनारे ही पूरे विश्व को शिक्षा, संस्कार और ज्ञान की प्राप्ति हुई, इसलिए भारत को विश्व गुरु कहा गया था। उनका मानना है कि भारत आज भी विश्व गुरु है और हमेशा विश्व गुरु रहेगा।
ओएसडी भारत भूषण भारती वीरवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड व विश्वविद्यालय सरस्वती शोध संस्थान के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस के उदघाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। इससे पहले ओएसडी भारत भूषण भारती, बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच, बोर्ड के सीईओ कुमार सुप्रवीण, उपायुक्त नेहा सिंह, कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति करतार सिंह धीमान, वाईस चेयरमैन एसके गखड़, शोध संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एआर चौधरी, भाजपा के जिला अध्यक्ष सुशील राणा, अतिरिक्त निदेशक एके गुप्ता, एसई अरविंद कौशिक ने दीप शिखा प्रज्ज्वलित करके 1 फरवरी तक चलने वाली राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ किया। इस दौरान ओएसडी भारत भूषण भारती ने सरस्वती नदी का सनातन काल से सभ्यता और संस्कृति विजन पर एक पत्रिका का विमोचन भी किया। इस दौरान पुरातत्व विभाग की तरफ से लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
ओएसडी भारत भूषण भारती ने महान व्यक्तित्व मोरोपंथ पिंगले, पदमश्री दर्शन लाल जैन जैसे लोगों द्वारा पवित्र नदी सरस्वती और भारतीय इतिहास और सभ्यता पर किए गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की स्थापना की गई। इस बोर्ड ने वर्ष 2015 से वर्ष 2025 तक 10 साल के सुनहरे कार्यकाल में पवित्र सरस्वती नदी पर शोध किया गया और इस नदी के किनारे पर्यटन और धार्मिक स्थलों को विकसित करने का कार्य किया गया। इस कार्यकाल में ही वैज्ञानिक दृष्टि से साबित किया गया कि सरस्वती नदी प्राचीन काल से थी है और हमेशा रहेगी।
उन्होंने कहा कि विश्व भर के वैज्ञानिकों और लोगों का यह भ्रम भी टूट चुका है कि सरस्वती नदी कभी नहीं थी, लेकिन वैज्ञानिकों ने तथ्यों के आधार पर साबित कर दिया है कि लाखों वर्ष पुरानी सरस्वती नदी आज भी धरा पर विराजमान है। पुरातत्व विभाग ने भी अपनी खोज में कुनाल, राखीगढ़ी जैसे पुरातात्विक स्थलों को पवित्र सरस्वती नदी के साथ जोड़ा गया है। यह तथ्य आज पूरे विश्व के सामने है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के प्रयासों से ही पवित्र सरस्वती नदी पर निरंतर शोध, विकास और पर्यटन के क्षेत्र के लिए कार्य किए जा रहे है। मुख्यमंत्री की सोच के अनुरूप ही इस वर्ष आदि बद्री से लेकर सरस्वती तीर्थ और अन्य जिलों और राज्यों में भी सरस्वती महोत्सव को लेकर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन तीन दिन के सेमिनार में देश और विदेश के जाने माने वैज्ञानिक सरस्वती नदी पर चिंतन मंथन करेेंगे और इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे जोकि भावी पीढ़ी को देश के इतिहास, संस्कृति और संस्कारों के साथ जोड़ने का काम करेंगे।
हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि वर्ष 2007 से पदमश्री दर्शन लाल जैन के सानिध्य में सरस्वती नदी पर वैज्ञानिक दृष्टि से शोध का कार्य शुरू किया गया था। जिसके आज पूरे विश्व के सामने सार्थक परिणाम सामने आ चुके है। सरकार के प्रयासों से व्यासपुर से लेकर सिरसा तक 400 किलोमीटर के दायरे में सरस्वती नदी के साथ चौतांग, टांगरी, घग्गर सहित अन्य नदियों को जोडक़र पानी चलाने का काम किया जा चुका है। सरकार के प्रयासों से आदि बद्री के पास सोमनदी पर डैम व बैराज बनाया जा रहा है। इसके साथ ही 350 एकड़ में रिजवाह भी तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से हर गांव में सरस्वती नदी को लेकर समितियों का गठन किया गया है। इस सरकार ने 45 घाटों का निर्माण किया है, 3 रिजवाह बन चुके है और 3 रिजवाह पर कार्य चल रहा है। इसके साथ ही पिपली में रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। यहां पर एक भव्य और ऐतिहासिक संग्रहालय का निर्माण भी किया जाएगा।
बोर्ड के सीईओ कुमार सुप्रवीण ने कहा कि बोर्ड की तरफ से तीर्थ स्थल के किनारों पर सभी जगहों पर महोत्सव मनाया जा रहा है। इस सरस्वती नदी के तट पर रहने वालों को सरस्वतीवासी कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री के चिंतन से वर्ष 2015 में बोर्ड का गठन किया गया। इस बोर्ड ने अच्छी उपलब्धियां हासिल की है। इस बोर्ड के गठन के बाद अलग-अलग क्षेत्रों में विकास कार्य करने के लिए कमेटियों का गठन भी किया है। सरकार की सोच है कि बैराज, रिजवाहा बनाकर सरस्वती धाम में 50 क्यूसिक तक पानी लाया जा सके। इस वर्ष सरस्वती महोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है और राजस्थान ने पार्टनर राज्य के रूप में अपनी भूमिका निभाई है।
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति करतार सिंह धीमान, वाइस चेयरमैन एसके गखड़ और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा, निदेशक प्रोफेसर एआर चौधरी ने भी पवित्र सरस्वती नदी पर किए गए शोध कार्य और विकासकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में अधीक्षक अभियंता अरविंद कौशिक ने मेहमानों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर महाराष्ट्र एमएनसी रमेश दादा पाटिल, भाजपा नेता तजेन्द्र गोल्डी, डा. महा सिंह पुनिया आदि उपस्थित थे।
धरोहर के साथ सरस्वती के शोध पर बनाया जाएगा संग्रहालय
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण के सुझाव के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से धरोहर संग्रहालय के साथ ही पवित्र नदी सरस्वती पर किए गए शोध, विकास पर एक संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा।

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