सांसद नवीन जिंदल की पहल पर हुआ तिरंगा अधिकार दिवस का आयोजन
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी।
 फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के फैकल्टी लॉन्ज में 22वां तिरंगा अधिकार दिवस पर बतौर मुख्यातिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. वीरेंद्र पाल खटकड़ ने कहा कि तिरंगे ने भारतीय एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया। तिरंगे में भारत की आत्मा बसती है तथा भारत देश अनेकता में एकता का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यहां अलग-अलग संस्कृति संप्रदाय और सभ्यता के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि तिरंगे संग आत्मीयता से जुड़े और देश प्रेम के महत्व को समझने के लिए एनसीसी और एनएसएस की सदस्यता ग्रहण करें। इस अवसर पर केयू की एनएसएस सेल और फ्लैग फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रति अपने विचार रखे। फाउंडेशन की ओर से डॉ. राज कुमार ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी।
इस अवसर कार्यक्रम में विशेष अतिथि सब मेजर रविंद्र कौशिक ने कहा कि 2004 में सांसद नवीन जिंदल ने लंबी लड़ाई के बाद प्रत्येक देशवासी को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया। उन्होंने कहा कि जब विद्यार्थी जीवन देश प्रेम से जुड़ता है तो नवीन जिंदल जैसे उदाहरण लोगों के सामने मिसाल बनकर आते हैं। तिरंगे के सम्मान के लिए नवीन जिन्दल ने लंबी लड़ाई लड़ी। प्रत्येक देशवासी को इस सराहनीय कार्य के लिए उनका आभारी रहना चाहिए।
इस मौके पर सांसद कार्यालय की ओर से संसदीय कार्यालय प्रभारी धर्मवीर सिंह, कैथल कार्यालय प्रभारी शंकर गोयल एवं भूषणपाल मंगला ने अतिथियों का अभिनंदन किया। आयोजन की शुरुआत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
फ्लैग फाउंडेशन की ओर से आयोजित 23 जनवरी राष्ट्रीय ध्वज दिवस हस्ताक्षर अभियान में कुलसचिव डॉ. वीरेंद्र पाल खटकड़ सहित सभी अतिथियों एवं 150 से अधिक युवाओं ने हस्ताक्षर करके अभियान को सहमति प्रदान की। फाउंडेशन की ओर से युवाओं में तिरंगे, बैंड और राष्ट्रीय ध्वज की गौरव गाथा का बखान करने वाली पुस्तकों का वितरण किया गया।
इस अवसर पर मंच संचालक डॉ. आबिद अली, केयू एनएसएस सेल की ओर से डॉ. आनंद, डॉ. ज्योति चौहान, डॉ. राज रतन, डॉ. सतीश, कैथल जिंदल कार्यालय प्रभारी शंकर गोयल, विनोद गर्ग, राजेश सिंगला, विकास राणा आदि उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने से जागृत होता है आत्मविश्वास : प्रो. एआर चौधरी
केयू विधि विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सांस्कृतिक मिलन 2025 में विद्यार्थियों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में केयू विधि संस्थान द्वारा आयोजित सांस्कृतिक मिलन 2025 कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि केयू छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी ने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जागृत होता है। इसके साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने से विद्यार्थी में व्यक्तित्व, व्यवहारिकता, सामाजिकता, संचार कौशल, शिष्टाचार तथा अपनी संस्कृति से जुड़ने की भावना विकसित होती है। सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से युवा अपनी संस्कृति से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है। प्रो. एआर चौधरी ने विद्यार्थियों को सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया तथा विधि विभाग द्वारा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए किए जा रहे के प्रयासों की सराहना की।
विधि संस्थान की निदेशिका प्रो. प्रीति जैन सहित आयोजन समिति के सभी सदस्यों ने मुख्यातिथि प्रो. एआर चौधरी का स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिह्न स्वरूप पौधा भेंट किया। प्रो. प्रीति जैन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों एवं आयोजन समिति के सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि विधि विभाग हमेशा छात्रों के बौद्धिक एवं सांस्कृतिक विकास के लिए प्रयासरत रहेगा। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने नृत्य, संगीत, नाटक एवं कविता वाचन कर सांस्कृतिक मिलन 2025 में प्रतिभागिता की। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. प्रियंका चौधरी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर प्रो. दलीप कुमार, प्रो. महाबीर सिंह, डॉ. दीप्ति चौधरी, डॉ. प्रमिला, डॉ. आरुषि मित्तल, डॉ. पूजा, एवं डॉ. प्रीति भारद्वाज सहित सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

केयू में पर्यावरण एवं स्थिरता विषय पर राष्ट्रीय कांफ्रेंस आज
जीजेयू के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई होंगे मुख्यातिथि
कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा करेंगे सम्मेलन की अध्यक्षता
पर्यावरण सजगता को लेकर बुद्धिजीवी करेंगे व्यावहारिक मंथन
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन संस्थान के सेमिनार हॉल में “पर्यावरण एवं स्थिरता’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा जिसमें प्रतिष्ठित विद्वान सतत पर्यावरण, अपशिष्ट प्रबंधन, परिपत्र अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन को लेकर व्यावहारिक मंथन करेंगे। इस अवसर पर जीजेयू के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई बतौर मुख्यातिथि तथा कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा बतौर अध्यक्षता कर सम्मेलन में अपना उद्बोधन देंगे। राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक एवं निदेशक, आईईएस, तथा डीन, लाइफ साइंस प्रो. जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि पर्यावरण सजगता को लेकर होने वाले इस राष्ट्रीय सम्मेलन में बुद्धिजीवी व्यावहारिक मंथन करेंगे जो कि वर्तमान में पर्यावरण संतुलन को लेकर आने वाली चुनौतियों एवं समस्याओं को दूर करने में सहायक सिद्ध होगा।
लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन सतत पर्यावरण विकास की दिशा में अपनी अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में प्रो. अनुभा कौशिक जीजीएस इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली बतौर मुख्य वक्ता अपना वक्तव्य देंगी तथा यह सम्मेलन ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों मोड में आयोजित होगा। सम्मलेन के आयोजन सचिव डॉ. संदीप गुप्ता ने बताया कि सम्मेलन के तीन प्लेनरी सत्रों में प्रो. अरुण के. सराफ आईआईटी, रुड़की, प्रो. वी. के. गर्ग, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, पंजाब, बठिंडा तथा इंजीनियर पी. राघवेन्द्र राव आईएएस, पूर्व अध्यक्ष, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बतौर प्रमुख वक्ता उद्बोधन देंगे। इस सम्मेलन में कुल 175 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।


प्रतियोगिताएं विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में सहायक : प्रो. अनीता दुआ
केयू आईटीटीआर संस्थान में लिट्रेरी क्लब के अंतर्गत भाषण प्रतियोगिता आयोजित
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के शिक्षण प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान की प्राचार्या प्रो. अनीता दुआ ने प्रतियोगिताएं विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में सहायक है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक गतिविधियां विद्यार्थियों को जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने व अनुभव करने में क्षमता प्रदान करती हैं तथा साहित्य हमें नए विचार एवं दृष्टिकोण भी देता है। यह उद्गार उन्होंने बुधवार को आईटीटीआर की ओर संस्थान के सेमिनार हॉल में वॉयस ऑफ चोंग थीम पर विद्यार्थियों के लिए आयोजित भाषण प्रतियोगिता में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भाषण सार्वजनिक बोलने का एक कलात्मक रूप है जिससे संचार कौशल विकसित होता है।
इस अवसर पर भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने एक वोट की ताकत, राष्ट्रीय एकता, अनेकता में एकता तथा भारतीय संस्कृति को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अभिषेक, द्वितीय आशुतोष तथा शबनम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल की भूमिका दिविज गुगनानी व रीना यादव व साहित्यिक क्लब के संयोजक की भूमिका डॉ. अंग्रेज सिंह व पूजा सैनी ने निभाई। इस अवसर पर संस्थान की प्राचार्या प्रो. अनीता दुआ ने सभी विजेताओं को बधाई दी। इस मौके पर संस्थान के सभी शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

नारी के सम्मान में प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया जाए : डॉ. रीना कन्नोजिया
केयू  आईआईएचएस में लिटरेरी क्लब द्वारा पर्यावरण नारीवाद को लेकर हुई परिचर्चा
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंटीग्रेटेड एंड ऑनर्स स्टडीज एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस के संस्कृत एवं दर्शन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इकोफेमिनिजम (पर्यावरण नारीवाद) पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता डॉ. रीना कन्नोजिया ने कहा कि नारीवाद एवं पर्यावरण का संबंध है क्योंकि दोनों ही पितृ सत्तात्मक संस्था द्वारा शोषित होते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जरूरत है कि नारी के सम्मान में प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया जाए ताकि उनके पर्यावरण के संरक्षण में महत्वपूर्ण भागीदारी हो सके।
मिरांडा हाउस से आए डॉ. चंदन मिश्रा एवं डॉ. मधु सहित चर्चा सत्र में डॉ. चंद्रलेखा एवं शोधार्थियों के वाद संवाद से विचार-विमर्श में अनेक नए आयाम उभर कर आए। लिटरेरी क्लब हिंदी के संयोजक डॉ. रामचन्द्र ने बताया कि मिरांडा हाउस के रिसर्च एवं डेवलपमेंट प्रभाग में इकोफेमिनिजम पर संचालित प्रोजेक्ट के व्यापक विचार-विमर्श के लिए एक परिचर्चा सत्र आयोजित किया गया।  लिटरेरी क्लब (इंग्लिश) के संयोजक डॉ. जिम्मी शर्मा ने भी अपने मूल्यवान विचारों से चर्चा सत्र को सार्थक बना दिया। डॉ. जिम्मी शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन सौंपा और कहा कि भविष्य में भी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं दिल्ली विश्वविद्यालय का यह पारस्परिक संवाद आयोजित होता रहेगा।
संस्थान की प्राचार्या प्रो. रीटा दलाल ने लिटरेरी क्लब को कार्यशाला के इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी। आईआईएचएस में आयोजित इस कार्यशाला में बड़ी संख्या मिरांडा हाउस एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र, शोधार्थी एवं फैकल्टी मेंबर्स सम्मिलित हुए।

केयू विधि संस्थान के विद्यार्थियों ने प्रेरणा वृद्धाश्रम में लघु नाटिका द्वारा दिया सामाजिक संदेश
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी। 
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में केयू विधि संस्थान के लीगल एड व क्लाइंट काउंसलिंग शिविर द्वारा प्रेरणा वृद्ध आश्रम में कैंप लगाया गया। विधि संस्थान की निदेशक  प्रोफेसर सुशीला देवी चौहान के नेतृत्व में आयोजित इस शिविर में विद्यार्थियों ने माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण व कल्याण पर आधारित लघु नाटिका का मंचन किया। लघु नाटिका के माध्यम से विद्यार्थियों ने बताया कि माता-पिता व वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण व कल्याण अधिनियम के तहत बुज़ुर्गों को जरूरी खर्च के लिए पैसे मिलते हैं। बुज़ुर्गों की देखभाल के लिए उनके बच्चों या कानूनी उत्तराधिकारियों को आदेश दिया जा सकता है। वहीं बुज़ुर्गों की शिकायतों के लिए हर ज़िले में ट्राइब्यूनल गठित होता है।
लघु नाटिका के माध्यम से विद्यार्थियों ने बताया कि बुज़ुर्गों के केयरटेकर व उनके बच्चे अपने माता-पिता या बुज़ुर्ग की सहमति के बिना संपत्ति नहीं बेच सकता। विद्यार्थियों ने बताया कि आप बुजुर्गों को राष्ट्रीय,राज्य और जिला स्तर पर मुफ्त कानूनी सहायता कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत प्रदान की जाएगी।
मुफ्त कानूनी सहायता आपका संवैधानिक अधिकार है जो संविधान का अनुच्छेद 39-ए आपको देता है। इस कैंप में विधि संस्थान के विशेषज्ञ प्राध्यापको  ने वहां के जरूरतमंद बुजुर्गों को कानूनी सलाह भी दी व उनकी समस्याओं का समाधान करने की कोशिश भी की। इस कैंप में लीगल एड कमेटी के संयोजक डॉ. संतलाल व कमेटी के मेंबर डॉ. पूनम शर्मा, डॉ. मोनिका, डॉ. सुमित, डॉ. जतिन, विधि संस्थान के विद्यार्थी प्रीति, मन्नत, मुस्कान, अंजलि आदि व वृद्ध आश्रम के बुजुर्ग उपस्थित रहे।

आजादी के बाद उर्दू साहित्य में नारीवादी विचारधारा का प्रभाव बढ़ा : प्रो. उषा रानी
केयू उर्दू विभाग में ’आजादी के बाद उर्दू अदब में बदलते रूझहनात’ विषय पर विस्तार संवाद आयोजित
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी। 
भाषा एवं कला संकाय के अन्तर्गत संचालित उर्दू विभाग में कुअर्तुल एन हैदर के जन्मदिन के मौके ’आजादी के बाद उर्दू अदब में बदलते रूझहनात’ विषय पर विस्तार संवाद के आयोजन अवसर पर हिंदी विभाग की अध्यक्ष एवं भाषा व कला संकाय की अधिष्ठाता प्रोफेसर पुष्पा रानी कहा कि आजादी के बाद उर्दू साहित्य में नारीवादी विचारधारा का प्रभाव बढ़ा। इस दौरान उर्दू साहित्य में महिलाओं के अधिकारों, स्वतंत्रता और समानता पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गय आजादी के बाद उर्दू साहित्य में दलित साहित्य का उदय हुआ। इस दौरान उर्दू साहित्य में दलित समुदाय के मुद्दों, उनके संघर्षों और उनकी अस्मिता पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया।आज उर्दू साहित्य का डिजिटल युग शुरू हुआ।
इस अवसर पर उर्दू के शिक्षक मनजीत सिंह ने कहा कि आजादी के बाद उर्दू साहित्य में नई विषय-वस्तु और शैली का प्रयोग हुआ। इस दौरान उर्दू साहित्य में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया। आजादी के बाद उर्दू साहित्य में प्रगतिशील और समाजवादी विचारधारा का प्रभाव बढ़ा। इस दौरान उर्दू साहित्य में गरीबी, असमानता, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया। आजादी के बाद उर्दू साहित्य में नई पीढ़ी के लेखकों ने अपनी पहचान बनाई। इस अवसर पर उर्दू कक्षा के विद्यार्थी सतबीर ने मंच संचालन किया।
इस दौरान उर्दू साहित्य को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित और पढ़ा जाने लगा। इस मौके पर सुमित, नेहा, दीक्षा, कृष्णा, नीलम, आयुष, गुरबचन आदि ने हिस्सा लिया।


ललित कला विभाग के डॉ. गुरचरण सिंह व विधि विभाग की डॉ. अंजू बाला बने एकेडमिक काउंसिल सदस्य
कुरुक्षेत्र, 23 जनवरी।
 कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के आदेशानुसार ललित कला विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. गुरचरण सिंह आगामी दो वर्ष के लिए 27 जनवरी 2025 से तथा विधि विभाग की सहायक प्रो. डॉ. अंजू बाला आगामी दो वर्ष के लिए 25 जनवरी 2025 से एकेडमिक काउंसिल के सदस्य होंगे। यह जानकारी लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने दी।

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