हरियाणा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा भी एच.आई.वी. ओर एड्स के बारे में लोगों को विभिन्न माध्यमों के द्वारा जागरूक करने का काम किया जा रहा है।
नारायणगढ़, 23 दिसंबर। हरियाणा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी पंचकूला द्वारा भेजी गई टीम चाहत कला मंच ने टैक्सी स्टैंड पर तथा डेहा बस्ती में एचआईवी एड्स पर आधारित नुक्कड़ नाटक व गीत गाने के माध्यम से लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया जिसमें एचआईवी फैलने के मुख्य चार कारण बताएं गए और आई सी टी सी सेंटर में लोगों को अपना एचआईवी टेस्ट करवाने की अपील की गई जो सभी सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल नि:शुल्क किए जाते हैं।
टोल फ्री नंबर 1097 के बारे में बताया नारायणगढ़ नागरिक अस्पताल से आईसीटीसी काउंसलर ने लोगों से अधिक से अधिक एचआईवी के टेस्ट करवाने की अपील की।
इस मौके पर डेहा कल्याण सभा के प्रधान दिलदार सिहं ने कहा कि इस प्रोग्राम से डेहा बस्ती के लोगों को स्वास्थ्य सम्बंधी जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रम समय-समय पर बस्ती में होने चाहिए।
एसएमओं डॉ. प्रवीण कुमार ने कहा कि एड्स की जानकारी ही बचाव है। कुछ सावधानियां रख कर एच.आई.वी. और एड्स से जीवन की रक्षा की जा सकती है। सरकार ने एच.आई.वी/एड्स की नि:शुल्क परामर्श व जांच के लिए अस्पतालों एवं सीएचसी में एकीकृत परामर्श एवं जांच केन्द्र (आई.सी.टी.सी.) खोले हुए है। एड्स हेल्पलाईन नम्बर 1097 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।
गौरतलब है भारत एचआईवी/एड्स उन्मूलन की दिशा में लगातार कठिन प्रयास कर रहा है। एड्स नामक इस भयानक बीमारी/एचआईवी से संबंधित मामलों को पूर्ण रूप से खत्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। भारत को पूर्णत: एड्स मुक्त करने के लिए सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है।
एचआईवी/एड्स के बारे में लोगों में जागरूकता आई है और स्वास्थ्य विभाग भी इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है। एचआईवी/एड्स और परीक्षण के लिए हाई रिक्स क्षेत्र निर्माण स्थलों, प्रवासी मजदूरों के काम करने वाले स्थानों/पोल्ट्री फार्म, ईंट भ_ा, टैक्सी स्टैंड/बस स्टैंड, स्लम बस्ती आदि जगहों पर कैम्प लगाकर जागरूक किया जाता है।
एच.आई.वी. कैसे फैलता है- एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध से, एच.आई.वी. संक्रमित रक्त एवं रक्त उत्पाद से, एच.आई.वी. संक्रमित सुईयों व सिरिजों के इस्तेमाल से, एच.आई.वी. संक्रमित गर्भवती माता से उसके होने वाले शिशु को।
एच.आई.वी. किन माध्यमों से नहीं फैलता-एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने से, एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने से या छूने से। एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना खाने से, सामूहिक स्नानघर और शौचालय के इस्तेमाल करने से, मच्छर के काटने से।
एच.आई.वी. से बचने के उपाय- अपने साथी के साथ वफादारी रख कर, यौन संबंध के दौरान कण्डोम का इस्तेमाल, केवल लाइसेंस प्राप्त रक्त बैंक से जांच किए खून का इस्तेमाल, हर बार नई या उबली हुई सुई और सिरिंज का इस्तेमाल, गर्भावस्था के दौरान एच.आई.वी. की जांच और उपयुक्त इलाज।
एसएमओं ने बताया कि एच.आई.वी. ओर एड्स के साथ जीने वाले लोगों को होने वाले सबसे सामान्य रोगों में से एक टी.बी. रोग भी है। एच.आई.वी. विषाणु के कारण रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी के आने की वजह से टी.बी. का विषाणु आसानी से शरीर में संक्रमण फैला सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि एच.आई.वी. से ग्रस्त व्यक्तियों की टी.बी. की जांच अवश्य करवानी चाहिए और टी.बी. से ग्रस्त व्यक्तियों को एच.आई.वी. की।
एड्स क्या है-एसएमओं डॉ. प्रवीण कुमार बताते है कि एड्स एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जो मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) संक्रमण के बाद होती है। एचआईवी संक्रमण के पश्चात मानवीय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है। एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में एड्स की पहचान संभावित लक्षणों के दिखने के पश्चात ही हो पाती है। रोग रोकथाम एवं निवारण केंद्र द्वारा एड्स के संभावित लक्षण बताये गए हैं। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं है, में एड्स के लक्षणों की जाँच विशेष रक्त जाँच (सी डी 4+ कोशिका गणना) के आधार पर की जा सकती है। एचआईवी संक्रमण का अर्थ यह नहीं है कि वह व्यक्ति एड्स से भी पीडि़त हो। एड्स के लक्षण दिखने में 8 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता है। एड्स की पुष्टि चिकित्सकों द्वारा जाँच के पश्चात ही की जा सकती है। एचआईवी संक्रमण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इस हद तक कम कर देता है कि इसके बाद शरीर अन्य संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है।
इस प्रकार के संक्रमण को अवसरवादी संक्रमण कहा जाता है क्योंकि ये अवसर पाकर कमजोर हो रहे प्रतिरक्षा प्रणाली पर हावी हो जाते हैं जो बाद में एक बीमारी का रूप ग्रहण कर लेती है। एड्स प्रभावित लोगों में हुए कई संक्रमण, जो गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं या जानलेवा हो सकते हैं, को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली नियंत्रित करती है। एड्स शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को इतना दुष्प्रभावित कर देता है कि इस गंभीर बीमारी की रोकथाम या इसका उपचार करना आवश्यक हो जाता है।
एचआईवी प्रभावित लोगों में सामान्य लोगों की अपेक्षा क्षय रोग (टी.बी) होने का खतरा अधिक होता है। एचआईवी/एड्स से निपटने का एकमात्र उपाय है इसकी रोकथाम। एचआईवी संक्रमण को रोकने का एकमात्र तरीका है – लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाए। लोगों को इसकी उत्पत्ति एवं प्रसार के बारे में बताया जाए ताकि लोग इस महामारी के दुष्प्रभाव से बच सकें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की गई जिसका उद्देश्य जन-जन तक एचआईवी/एड्स एवं इसके रोकथाम से संबंधित सभी सूचनाएँ एवं जानकारियाँ पहुँचाना है। यदि एड्स का शक है तो नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में तुरंत जांच करवाएं।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम – इसका मुख्य उद्देश्य एचआईवी के नए मामलों में कमी लाना एवं एचआईवी/एड्स प्रभावित लोगों को आवश्यक उपचार एवं सुविधाएँ उपलब्ध करवाना है।
एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) – एचआईवी संक्रमण को कम करने हेतु उपचार एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी- डॉ. प्रवीण कुमार का कहना है कि यद्यपि एड्स एक लाइलाज बीमारी है, फिर भी एड्स प्रभावित व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी सकता है। एचआईवी संक्रमित होना जीवन का अंत नहीं हैं क्योंकि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति भी सही चिकित्सीय मदद एवं सहयोग से लम्बे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकता है। एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी अगर समय से शुरू कर दी जाए तो इस बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके फलस्वरूप शरीर की प्रतिरोधक क्षमता फिर से बढ़ जाती है, बीमारी का बढना बंद हो जाता है एवं अन्य अवसरवादी संक्रमणों के फैलने की आशंका भी घट जाती है। इस तरह एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी एड्स के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। एचआईवी/एड्स प्रभावित व्यक्ति भी स्वस्थ एवं दीर्घजीवन जी सकता है।
एचआईवी/एड्स एक्ट 2017 भी सरकार ने बनाया है। यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि किसी भी इंसान के एचआईवी स्टेटस से जुड़ी जानकारी को गुप्त रखा जाए। इसके अलावा भी इस अधिनियम में कुछ अन्य प्रावधान किये गये है। हरियाणा सरकार द्वारा भी एच.आई.वी. ग्रसित व्यक्तियों को वित्तीय सहायता दी जाती है।