कुरुक्षेत्र। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि अब भारत के पौराणिक शास्त्रों, वेदों और अन्य मान्य ग्रंथों से सरस्वती नदी को लेकर लिखे गए श्लोकों को एक पुस्तक में संकलित किया जाएगा। इससे आने वाली पीढ़ी को सरस्वती नदी को लेकर शोध कार्यों को सहजता से किया जा सके। इतना ही नहीं सरस्वती नदी के किनारे ऐतिहासिक साइट के डाटा को भी एकत्रित करने के लिए एक पुरातत्ववेता को शोध केन्द्र के साथ जोड़ने का काम किया गया है। खास बात यह है कि बोर्ड की तरफ से शोध केन्द्र के साथ 3 नए सदस्यों को जोडक़र शोध केन्द्र का विस्तार किया गया है।
हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हरियाणा सरस्वती शोध केन्द्र में एक बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। इससे पहले उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने शोध केन्द्र के निदेशक डा. एआर चौधरी, शोध अधिकारी डा. दीपा, पुरातत्ववेत्ता डा. मनोज, संस्कृत विशेषज्ञ डा. रामचंद्र, रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ डा. संदीप के साथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय शोध केन्द्र के विस्तार और सरस्वती महोत्सव को लेकर होने वाले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार पर चर्चा की और फीडबैक हासिल की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आदेशानुसार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सरकार की तरफ से बनाए गए शोध केन्द्र में सरस्वती नदी से सम्बन्धित और शोध कार्यों को करने तथा डाटा एकत्रित करने के लिए अलग-अलग विषयों के 3 विशेषज्ञों को साथ जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के किनारे पुरातात्विक साइट का डाटा एकत्रित करने के लिए पुरातत्ववेत्ता डा. मनोज कुमार, वेदों और शास्त्रों से संस्कृत के श्लोकों को एक पुस्तक में संकलित करने के लिए संस्कृत विशेषज्ञ डा. रामचंद्र तथा रिमोट सेंसिंग के विशेषज्ञ डा. संदीप को शोध केन्द्र के साथ जोड़ा गया है। मुख्यमंत्री की सोच है कि हरियाणा की पावन धरा से हजारों वर्ष पूर्व बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के इतिहास के हर पल को तथ्यों सहित सामने लाया जाए और बकायदा पुस्तक के रूप में आने वाली पीढ़ी के लिए प्रस्तुत किया जा सके। इस शोध केन्द्र में लगातार नए कार्य को बोर्ड की तरफ से अंजाम दिया जा रहा है ताकि बेहतर शोध कार्य किया जा सके।
हरियाणा सरस्वती शोध केन्द्र के निदेशक डा. एआर चौधरी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शोध केन्द्र के माध्यम से सरस्वती नदी के इतिहास को सहेजने का अदभुत प्रयास किया जा रहा है। इसी विषय को लेकर ही अंतर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव पर 30 जनवरी से 1 फरवरी तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। इस सेमिनार के साथ विदेशों से भी विषय विशेषज्ञों को साथ जोड़ा जाएगा। शोध अधिकारी डा. दीपा का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पवित्र नदी सरस्वती के शोध पर चिंतन और मंथन करने के लिए तीनों दिन तकनीकी सत्रों को रखा गया है। इसमें विदेशों के साथ-साथ भारत वर्ष के विद्वान भी साथ जुड़ेंगे।
बोर्ड ने हरियाणा सरस्वती शोध केन्द्र के साथ 3 नए विषय विशेषज्ञों को जोड़ा साथ, सरस्वती नदी के किनारे ऐतिहासिक साइट का डाटा भी किया जाएगा विशेषज्ञों के माध्यम से एकत्रित
डॉ. राजेश वधवा