ओशोधारा संस्थान मुरथल, हरियाणा के संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी की असीम कृपा से ओशोधारा मैत्री संघ बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश का एक दिवसीय ध्यान शिविर धूम-धाम से संपन्न हुआ।
सत्संग एवं ध्यान सभा का संचालन ओशोधारा स्टेट कोऑर्डिनेटर हिमाचल प्रदेश आचार्य कुंजबिहारी जी ने किया जिसमें ध्यान के फायदा बताते हुए निराकार का अनुभव करवाया।
आचार्य मां साधना जी ने समर्थगुरु का संदेश कैसे घर-घर पहुंचाए, इस पर गहरे संकल्प का विज्ञान बताते हुए ब्रह्मनाद ध्यान की विधि एवम् अनुभव प्रयोग करवाए।
सभी साधक मित्रों ने ध्यान में गहरी डुबकी लगाई और आत्मिक बल को अनुभव किया ।
ध्यान कार्यक्रम के उपरान्त सभी साधकों का फीड बैक बहुत उमंग और उत्साहवर्धक रहा।
ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी ने बताया कि मनुष्य दर्पण के समान है। जैसे दर्पण में लेप लगी रहती है, ऐसे ही मनुष्य में अहंकार की लेप होती है। अगर अहंकार अर्थात् झूठा मैं-पन हट जाए, तो वह शुद्ध निर्मल चैतन्य स्वरूप हो जाएगा और उसमें किसी भी व्यक्ति अथवा विषय का प्रतिबिंब नहीं बनेगा।
एक दिवसीय ध्यान कार्यक्रम को सफल बनाने में स्वामी सरदीप सिंह कौशल जी, विजय पाल जी, सुरेश शर्मा जी, दिलाराम जी, स्वामी गुरमीत जी, आशुतोष जी, मां नीना कौशल जी एवं ओशोधारा बिलासपुर संघ का सराहनीय योगदान रहा।