कुरुक्षेत्र 27 नवंबर
राजेन्द्र  नगर स्थित श्री अद्वैत स्वरूप अनंत आश्रम नंगली वाली कुटिया में संत प्रकाश पुरी व संत अगम पुरी जी के आशीर्वाद से
चौथे दिन कथा व्यास संत वेदांत पुरी  ने प्रहलाद चरित्र की सुनाते हुए बताया कि सच्चे मन से ध्रुव निश्चय कर लेने से ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है ।भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब जब भक्तों के ऊपर कष्ट पड़ता है तब -तब प्रभु को रूप बदलकर अपने भक्तों की रक्षा करना पड़ता है। भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान ने नरसिंह रूप धारण किया और हिरणाकश्यप का वध कियाया। कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। सोहर नंद आनंद भयो,जय कन्हैया लाल की व बधाई गीत सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हुए। ध्रुव की कहानी सुनाते हुए महिलाओं से अनुरोध किया कि अपने बच्चों को मोबाइल दोगे तो कैसे वह ध्रुव बनेगा। मोबाइल फोन से निकलने वाली रेंंस बहुत खतरनाक है इससे बच्चों को बचा कर रखे। आज की मां अपनी सुविधा के लिए बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा देती है जिससे हमारी संस्कृति खराब हो रही है। हम अपनी संस्कृति को खोते जा रहे है, जो हमारे लिए और समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा है। आज का युवा विदेश की ओर मुंह कर रहा हैं, ये भी हमारी संस्कृति के लिए खतरा हैं। यहां से विदेश जाने के बाद वापिस आने का नाम ही नही लेते कई मां बाप तो अंतिम समय में अपने बच्चों को भी नही देख पाते। कईयों को तो मरे हुई भरी कई कई दिन हो जाते है जब मकान से बदबूं आती है तभी पता चलता हैं ऐसे रुपए किस काम के। आशीष सागर ने बताया कि एक राजा थे उत्तानपाद उनकी दो रानियां थी सुनीति और सुरुचि। सुनीति शांत स्वभाव की थी और सुरुचि बहुत घमंडी थी। रानी सुनीति के बेटे का नाम था ध्रुव और रानी सुरुचि के बेटे का नाम था उत्तम। एक दिन ध्रुव अपने पिता उत्तानपाद की गोद में खेल रहा था। तभी रानी सुरुचि ने आकर ध्रुव को राजा की गोद से नीचे उतार दिया और कहा, तुम राजा की गोद में नहीं बैठ सकते। राजा की गोद पर सिर्फ मेरे बेटे का अधिकार हैं। सुनीति की बात से ध्रुव बहुत दुखी हुआ। उसने जाकर सारी बात मां को बताई। मां ने ध्रुव से कहा भगवान की भक्ति में बहुत शक्ति है। अगर तुम सच्चे मन से भगवान की भक्ति करोगे तो तुम्हें पिता की गोद तो क्या भगवान की गोद में जगह मिल सकती है। पांच साल का निडर ध्रुव भगवान को पाने के लिए जंगल में चला गया। नारद ने ध्रुव को जंगल की ओर जाते देखा तो उसे समझाकर महल वापस भेजने की कोशिश की। पर ध्रुव का इस बात से कोई फर्क नही पड़ा। ध्रुव के पक्के इरादे से खुश होकर नारदजी ने उसे ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करने के लिए कहा। जंगल में कई महीनों तक भगवान से प्रार्थना करता रहा। ध्रुव की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उसके सामने प्रकट हुए और मनचाहा वरदान मांगने को कहा। ध्रुव बोला प्रभु मुझे आपकी गोद में बैठना है। भगवान ने ध्रुव को गोद में बिठाकर आशीर्वाद दिया कि उसका नाम हमेशा अमर रहेगा। हम ध्रुव को आसमान में सबसे ज्यादा चमकने वाले ध्रुव तारे के नाम से जानते हैं। इस मौके पर आश्रम के संत निर्विकार पुरी, आत्म विभोर पुरी, सन्त सनातन पुरी, संत सहज पुरी, संत त्रिलोक पुरी, संत वीणा पुरी, संत यथार्थ पुरी, आश्रम के प्रवक्ता महात्मा दिव्यानन्द, महात्मा सुखधर्मनंद , महात्मा हरदेवानन्द, महात्मा गोपालानन्द, महात्मा रामानंद , महात्मा अवधेशानंद, महात्मा केशवानन्द जालंधर आदि संतो ने सगत का मार्ग दर्शन किया। इस अवसर पर गुलशन बजाज, पंडित अंकित शर्मा, पार्षद दीपक सिडाना, विकी सिडाना, राजकुमार शर्मा, रजत कालड़ा, सतीश, कृष्ण मिढ़ा, कृष्ण लाल जुनेजा, राजीव चावला,  प्रभु दयाल पोपली आदि भक्तजन  मौजूद रहे ।
फोटो कैप्शन
कथा में मौजूद सन्तजन व महिलाएं।

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