कुवि के डॉ. बी.आर. अंबेडकर अध्ययन केंद्र द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
कुरुक्षेत्र, 21 नवम्बर। मुकुल कानिटकर, सामाजिक विचारक, नई दिल्ली ने कहा कि संविधान के माध्यम से लोकतंत्र की महत्ता को समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोई भी संविधान उतना ही कारगर होता है जितना उसका पालन करने वाले लोग होते हैं। बहुत अच्छा संविधान किसी खराब व्यक्ति के हाथ में दे दो तो वो उसका उपयोग अपने लिए करेगा और वो हमने देखा है। 75 वर्ष के संविधान के इतिहास में संविधान के दुरुपयोग को हमने देखा है। वे गुरुवार को सीनेट हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. बी.आर. अंबेडकर अध्ययन केंद्र द्वारा संविधान सभा में बी.आर. अंबेडकरः उनकी भूमिका और उनका प्रभाव विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। इससे पहले दीप प्रज्वलित कर व डॉ. बी.आर. अंबेडकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
सामाजिक विचारक मुकुल कानिटकर ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर की महानता एवं उनके योगदान के लिए उनके मूल पत्र को पढ़ना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि धनंजय कीर द्वारा अम्बेडकर के जीवन पर लिखी पुस्तक उनके मूल पत्रों, भाषणों तथा प्रामाणिक आधारों पर आधारित है जिसमें डॉ. अम्बेडकर, महात्मा गांधी एवं वीर सावरकर के मूल पत्रों के जवाब शामिल हैं जो स्वतंत्र भारत के निर्माण की भावभूमि है।
उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने कहा कि कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में डॉ. अम्बेडकर को छोड़कर किसी भारतीय की मूर्ति नहीं है। डॉ. अम्बेडकर की मूर्ति कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में दलितों नेता के रूप में नहीं बल्कि कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर के रूप में लगी है। डॉ. अम्बेडकर ने प्रतिनिधि मंडल के रूप में ध्वज समिति के सामने राष्ट्रीय ध्वज के रूप में भगवा ध्वज का समर्थन किया था जिसे कांग्रेस अधिवेशन में इसे पारित भी किया गया था लेकिन कुछ लोगों की जिद के कारण ऐसा न हो सका।
मुकुल कानिटकर ने कहा कि जिस लोकतंत्र में हम जी रहे हैं उसको समझना आवश्यक है। डॉ. अम्बेडकर का कहना था कि हम जबरदस्ती राष्ट्रीय एकात्मता नहीं ला सकते जब तक सामने से हृदय से हृदय नहीं मिलेंगे। बाबा साहब का कहना था कि भक्ति समर्पण की बात करती है किंतु जब समर्पण अधूरा होता है तो भक्ति भी व्यक्ति पूजा में परिवर्तित हो जाती है। डॉ. अम्बेडकर ने मोहम्मद बिन कासिम का दाहिर सेन से हुआ युद्ध भारत की परतंत्रता का कारण बताया था।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि युवा पीढ़ी को डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन से प्रेरणा लेने चाहिए जिन्होंने जीवन में संघर्षों का सामना करते हुए देशहित में संविधान निर्माण कर लोकतंत्र की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। डॉ. अम्बेडकर के अनुसार भाग्य को बदलने का एकमात्र सहारा शिक्षा है तथा शिक्षा का उद्देश्य तार्किक चिंतन, वैज्ञानिक विकास, ज्ञान समुदाय की स्थापना होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इन्हीं उद्देश्यों को आत्मसात किया गया तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने एनईपी को सभी प्रावधानों के साथ अपने कैम्पस के यूजी एवं पीजी सहित संबंधित महाविद्यालयों में देशभर में सर्वप्रथम लागू किया है। उन्होंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने संविधान द्वारा स्वतंत्रता, समानता, गरिमा, भातृत्व भावना तथा सामाजिक समरसता लाने का अहम कार्य किया। वहीं महिलाओं के लिए मत का अधिकार एवं मातृत्व अवकाश, पिता की सम्पत्ति में अधिकार देकर उन्होंने नारी सशक्तिकरण को सशक्त किया।
इससे पहले डॉ.वीरेंद्र पाल द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के संयोजक एवं केन्द्र के निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने राष्ट्रीय संगोष्ठी व डॉ. अम्बेडकर केन्द्र की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया।
विशिष्ट अतिथि प्रो. शक्ति सिंह, अध्यक्ष, आर्थिक अध्ययन और योजना केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली ने कहा कि संविधान सभा में डॉ. अंबेडकर की उपस्थिति के कारण ही भारत देश, भारत राष्ट्र बना। डॉ. अम्बेडकर का हमेशा मानना था कि हम सिर्फ भारतीय हैं इसलिए राष्ट्रहित की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। उन्होंने संविधान सभा की ड्राफ्ट कमेटी के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
मुख्य वक्ता प्रो. संजय सिंधु, विधि संकाय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर एक परिचय, अहसास, एक पहचान, एक संवेदना, एक चिंतन, एक राजनीतिज्ञ, एक अर्थशास्त्री, एक कल्पना, एक विशेषज्ञ एक न्यायिक ज्ञाता थे जिन्होंने भारतीय संविधान को बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. अम्बेडकर ने आजादी से पहले महिला सशक्तिकरण व समानता की बात की थी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे डॉ. अम्बेडकर की संविधान सभा की डिबेट को जरूर पढ़े। कार्यक्रम के अंत में डॉ. रमेश सिरोही ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन छात्रा उपासना ने किया।
इस अवसर पर डॉ. ऋषि गोयल, प्रो. डीएस राणा, प्रो. विनोद कुमार, प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो सुरेश कुमार, प्रो. विवेक चावला, प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. सोमबीर जाखड़, डॉ. आनंद, डॉ. नीरज बातिश, डॉ. रामचन्द्र, डॉ. तेलू राम, युधिष्ठिर बहल, डॉ. दिविज गुगनानी, डॉ. दिग्विजय, डॉ. अंग्रेज सहित अधिवक्ता, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।
कुरुक्षेत्र, 21 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के विधि विभाग द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में इंडियन कांस्टीट्यूशनः एन इंस्ट्रूमेंट ऑफ सोशल जस्टिस एंड इक्विटी विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। यह चर्चा संविधान जागरूकता अभियान के तहत आयोजित की गई।
विभागाध्यक्षा प्रो. प्रीति जैन ने संविधान की प्रस्तावना और मौलिक अधिकारों की चर्चा करते हुए इसे सामाजिक परिवर्तन का शक्तिशाली माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि यह पैनल चर्चा भारतीय संविधान की भूमिका को समझने और उसके माध्यम से समाज में समानता और न्याय स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगी।
मुख्य वक्ता प्रो. अजीत चहल ने भारतीय संविधान को सामाजिक न्याय की आधारशिला बताते हुए कहा कि यह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि एक ऐसा साधन है जो समाज के वंचित वर्गों को अधिकार और सम्मान प्रदान करता है।
मुख्य वक्ता डॉ. दीप्ति चौधरी ने संविधान में निहित समानता के सिद्धांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारत के हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर प्रदान करता है।
मुख्य वक्ता डॉ. अंजु बाला ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय संविधान ने सामाजिक असमानताओं को दूर करने और कमजोर वर्गों को मुख्य धारा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ. आरुषि मित्तल ने महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता पर जोर दिया।
डॉ. पूजा ने अपने विचार रखते हुए संविधान को सामाजिक और आर्थिक न्याय का पथप्रदर्शक बताया। कार्यक्रम का संचालन विधि विभाग की छात्रा श्वेता ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन भी प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का सफल संयोजन डा. प्रियंका चौधरी ने किया।
कार्यक्रम के समापन पर विभिन्न आयोजनों एवं विधिक सहायता गतिविधियों में भाग लेने वाले छात्रों को उनके प्रयासों और योगदान के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। यह प्रमाण पत्र विभागाध्यक्षा प्रो. प्रीति जैन और प्रमुख वक्ताओं द्वारा छात्रों को वितरित किए गए।डॉ. अनिता भटनागर बनी कुवि जूलोजी विभाग की चेयपर्सन
कुरुक्षेत्र, 21 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के आदेशानुसार जूलोजी विभाग की प्रो. अनिता भटनागर को तत्काल प्रभाव से जूलोजी विभाग का चेयरपर्सन बनाया गया है। यह जानकारी लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने दी।
प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि इसके साथ ही प्रो. अनिता भटनागर एकेडमिक कांउसिल व फैकल्टी ऑफ लाइफ सांइसिज की सदस्य होंगी व बोर्ड ऑफ स्टडीज़ की चेयरपर्सन भी होंगी।
कुवि में सामुदायिक सहभागिता पर लघु-अवधि पाठ्यक्रम का तीसरा दिन सम्पन्न
कुरुक्षेत्र, 21 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र द्वारा कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए सामुदायिक सहभागिता पर चलाए जा रहे लघु-अवधि पाठ्यक्रम के तीसरे दिन विविध क्षेत्रों के प्रख्यात वक्ताओं द्वारा ज्ञानवर्धक चर्चा की गई, जिसमें सामुदायिक विकास में सहयोग और नवाचार के महत्व को रेखांकित किया गया।
सत्र की शुरुआत जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय के अर्थशास्त्र विभाग की डॉ. श्वेता कोहली द्वारा स्थायी भविष्य समुदायों को परिवर्तन के एजेंट में बदलना विषय पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान से हुई। उन्होंने स्थिरता को आगे बढ़ाने और वैश्विक चुनौतियों के अनुकूल होने में समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
दूसरे सत्र में डीएवी कॉलेज, करनाल की डॉ. सीमा शर्मा ने सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देना विषय पर बात की। उनके सत्र में सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने में संचार, सांस्कृतिक समझ और सक्रिय भागीदारी के महत्व पर जोर दिया गया। उन्होंने प्रत्येक संस्थान में महिला सेल के समुचित कामकाज पर जोर दिया।
दोपहर के सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के डॉ. हरदीप लाल जोशी ने तनाव प्रबंधन के लिए व्यावहारिक उपकरण प्रदान किए, जिसमें सामुदायिक पहलों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
चौथे सत्र में गुजरात विश्वविद्यालय के डॉ. कौशिक सी. रावल ने सामुदायिक जुड़ाव शैक्षिक संस्थानों की भूमिका विषय पर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे शैक्षणिक संस्थान अपने पाठ्यक्रम और आउटरीच कार्यक्रमों में समुदाय-केंद्रित प्रथाओं को एकीकृत करके सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के एमएमटीटीसी की निदेशक प्रोफेसर प्रीति जैन के दूरदर्शी नेतृत्व और प्रतिबद्धता के तहत, यह पाठ्यक्रम शिक्षकों के बीच सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने की एक पहल है। कार्यक्रम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ रजनी गोयल की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कुवि में उद्यमिता विकास पर ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स का दूसरा दिन।
कुरुक्षेत्र, 21 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूजीसी मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र द्वारा उद्यमिता विकास पर दो सप्ताह के ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रथम दिन के उद्घाटन सत्र व तकनीकी सत्र की रिपोर्ट पंकज चौधरी, सहायक प्रवक्ता, वाणिज्य विभाग, आर्य स्नातकोतर महावि़द्यालय, पानीपत ने प्रस्तुत की।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रो. सुभाष चंद, वाणिज्य विभाग, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय व इस रिफ्रेशर कोेर्स के समन्यवक ने आज के सत्रों के बारे में जानकारी दी। सत्र अध्यक्ष डा. ममता वर्मा रहीें। रिसोर्स पर्सन प्रो. मो. शमीम, वाणिज्य विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने बताया कि एक सफल उद्यमी को किन-किन बाधाओं को सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि उद्यमी बनने के लिए केवल अधिक शिक्षा ग्रहण करना या डिग्री लेना नहीं है, इसके लिए स्किल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रो. महाबीर नरवाल, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होेंने बताया कि सभी प्रतिभागियों को इस कोर्स के व्याख्यानों का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
दूसरे दिन के अपराहन् सत्र के सत्र अध्यक्ष डा. राजीव कुमार रहे व रिसोर्स पर्सन प्रो. अशोक चौहान, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग ने व्यक्तिगत भौतिक सफलता का विज्ञान पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि सफलता के व्यवाहारिक सि़द्धांत व मन की क्षमताओं को विस्तार से बताया। उन्होने सफलता के उभरते हुए सिद्धांतों व तालमेल बनाने के लिए के कड़ी मेहनत, स्मार्ट वर्क व प्रयास के बारे में बताया।