कुरुक्षेत्र, 20 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन शोध केन्द्र द्वारा कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में बुधवार को फाइनेंशियल ऑरग्रनाइजेशन के सहयोग से एक दिवसीय वित्तीय साक्षरता एवं जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला विश्वविद्यालय के महिला शिक्षक वर्ग तथा शोधार्थियों के लिए आयोजित की गई।
कार्यशाला का प्रारम्भ करते हुए महिला अध्ययन शोध केन्द्र की निदेशिका प्रो. अनीता दुआ ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि महिलाएं अपने धन को निवेश करने के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों पर निर्भर होती हैं। वे जानकारी के अभाव में स्वयं वित्तीय निर्णय लेने में संकोच करती हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को वित्तीय साक्षरता प्रदान की जायेगी जिससे वे अपने निर्णय स्वयं ले सकें, सही दिशा में निवेश कर सके तथा आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल सिंघल ने कहा कि अपने धन का हम तीन तरह से उपयोग करते हैं- बचत, खर्च एवं निवेश। एक साधारण समीकरण याद रखनी चाहिए कि अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा पहले बचत करें, फिर खर्च करें न कि पहले खर्च करें, फिर बचत करें। उन्होंने कहा कि एक आय पर निर्भर न रहें। निवेश के माध्यम से अपनी दूसरी आय बना सकते हैं। उन्होंने निवेश के विभिन्न प्रकार बताए जैसे कि संपत्ति, सोना, बॉड, शेयर, बचत खाता, म्यूचुअल फंड अपनी जरूरतों तथा आर्थिक उद्देश्यों के अनुसार निवेश किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पैसा डायवर्सीफाय करके निवेश करना चाहिए। किस प्रकार पैसा बांटना है यह बताते हुए उन्होंने कहा कि निवेश हेतु धन बीमा, म्यूचुअल फंड, सिप, बिटकॉइन, रिटायरमेंट प्लान, एन.एस.सी, के.वी.पी, शेयर मार्केट में बांट सकते हैं। शेयर मार्केट की व्याख्या करते हुए उन्होंने दीर्घ अवधि, लघु एवं मध्यम अवधि के निवेश की व्याख्या की तथा साथ ही इक्विटी व डेट के बारे में समझाया। उन्होंने कहा कि बिना ब्रोकर की मदद से सरकार की वेबसाइट के माध्यम से जानकारी इकट्ठी करके हम अपने आप ही निवेश कर सकते हैं। उन्होंने महिला प्रतिभागियों को वित्तीय साक्षरता के माध्यम से निवेश के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र की उपनिदेशिका प्रो. वनीता ढ़ींगरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. सुनीता दलाल, प्रो. सुमन, प्रो. अनीता भटनागर, प्रो. संतोष दहिया, प्रो. शशि ड्रोलिया, प्रो. निरुपमा भट्टी, डॉ. वन्दना दवे आदि उपस्थित रहे।
कार्यशाला का प्रारम्भ करते हुए महिला अध्ययन शोध केन्द्र की निदेशिका प्रो. अनीता दुआ ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि महिलाएं अपने धन को निवेश करने के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों पर निर्भर होती हैं। वे जानकारी के अभाव में स्वयं वित्तीय निर्णय लेने में संकोच करती हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को वित्तीय साक्षरता प्रदान की जायेगी जिससे वे अपने निर्णय स्वयं ले सकें, सही दिशा में निवेश कर सके तथा आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अखिल सिंघल ने कहा कि अपने धन का हम तीन तरह से उपयोग करते हैं- बचत, खर्च एवं निवेश। एक साधारण समीकरण याद रखनी चाहिए कि अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा पहले बचत करें, फिर खर्च करें न कि पहले खर्च करें, फिर बचत करें। उन्होंने कहा कि एक आय पर निर्भर न रहें। निवेश के माध्यम से अपनी दूसरी आय बना सकते हैं। उन्होंने निवेश के विभिन्न प्रकार बताए जैसे कि संपत्ति, सोना, बॉड, शेयर, बचत खाता, म्यूचुअल फंड अपनी जरूरतों तथा आर्थिक उद्देश्यों के अनुसार निवेश किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पैसा डायवर्सीफाय करके निवेश करना चाहिए। किस प्रकार पैसा बांटना है यह बताते हुए उन्होंने कहा कि निवेश हेतु धन बीमा, म्यूचुअल फंड, सिप, बिटकॉइन, रिटायरमेंट प्लान, एन.एस.सी, के.वी.पी, शेयर मार्केट में बांट सकते हैं। शेयर मार्केट की व्याख्या करते हुए उन्होंने दीर्घ अवधि, लघु एवं मध्यम अवधि के निवेश की व्याख्या की तथा साथ ही इक्विटी व डेट के बारे में समझाया। उन्होंने कहा कि बिना ब्रोकर की मदद से सरकार की वेबसाइट के माध्यम से जानकारी इकट्ठी करके हम अपने आप ही निवेश कर सकते हैं। उन्होंने महिला प्रतिभागियों को वित्तीय साक्षरता के माध्यम से निवेश के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र की उपनिदेशिका प्रो. वनीता ढ़ींगरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. सुनीता दलाल, प्रो. सुमन, प्रो. अनीता भटनागर, प्रो. संतोष दहिया, प्रो. शशि ड्रोलिया, प्रो. निरुपमा भट्टी, डॉ. वन्दना दवे आदि उपस्थित रहे।
कुवि में उद्यमिता विकास पर ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स का शुभारम्भ
कुरुक्षेत्र, 20 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूजीसी मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र द्वारा उद्यमिता विकास पर दो सप्ताह का ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स का विधिवत रूप से शुभारम्भ हुआ। इस कोर्स के उद्घाटन सत्र में यूजीसी मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण की निदेशक प्रो. प्रीति जैन ने सभी रिसोर्स पर्सन और प्रतिभागियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए रिफ्रेशर कोर्स के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम शिक्षकों के लिए सी.ए.एस. के लिए एक पैरामीटर की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता प्रो. नीलम ढांडा ने अपने वक्तव्य में उद्यमिता के बारे में बताया कि किसी भी देश के विकास में यह क्या भूमिका निभा सकती है। उन्होंने उद्यमिता के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो. महाबीर नरवाल, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग ने रिफ्रेशर कोर्स की महत्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस तरह के कोर्स ज्ञान को समय-समय पर अपडेट करने के लिए बहुत आवश्यक हैं। इस कोर्स के समन्वयक प्रो. सुभाष चंद ने बताया कि इस कोर्स के लिए देश के 10 राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 80 से अधिक प्राध्यापक भाग ले रहे हैं।
इस कोर्स के प्रथम सत्र में पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो. सुभाष चंद ने प्रतिभागियों को इस पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी दी और किस तरह इस पाठ्यक्रम की रूपरेखा रहेगी इस बारे में विस्तार से बताया।
पहले सत्र के रिसोर्स पर्सन प्रो. महाबीर नरवाल, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग ने निर्णय लेने में नैतिक विचारों का महत्व बताया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कार्यस्थल पर, कॉर्पोरेट संस्कृति में और यहां तक कि कक्षाओं में भी नैतिकता कैसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा उन्होंने नैतिक परिसीमन के बारे में भी बात की। उन्होने प्रतिभागियो के प्रश्नो को भी भली भांति सम्बोधित किया। दूसरे सत्र के रिसोर्स पर्सन प्रो. तेजेंद्र शर्मा ने अपने व्याख्यान में स्थिरता की बात कही। उन्होंने बताया कि हमारे धर्म और धर्मग्रंथों से किस तरह से स्थिरता को मेंटेन कर सकते हैं। इस सत्र की समन्वयक डॉ. नीति गोयल रही।
कुरुक्षेत्र, 20 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूजीसी मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र द्वारा उद्यमिता विकास पर दो सप्ताह का ऑनलाइन रिफ्रेशर कोर्स का विधिवत रूप से शुभारम्भ हुआ। इस कोर्स के उद्घाटन सत्र में यूजीसी मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण की निदेशक प्रो. प्रीति जैन ने सभी रिसोर्स पर्सन और प्रतिभागियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए रिफ्रेशर कोर्स के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम शिक्षकों के लिए सी.ए.एस. के लिए एक पैरामीटर की आवश्यकता है।
मुख्य वक्ता प्रो. नीलम ढांडा ने अपने वक्तव्य में उद्यमिता के बारे में बताया कि किसी भी देश के विकास में यह क्या भूमिका निभा सकती है। उन्होंने उद्यमिता के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रो. महाबीर नरवाल, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग ने रिफ्रेशर कोर्स की महत्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस तरह के कोर्स ज्ञान को समय-समय पर अपडेट करने के लिए बहुत आवश्यक हैं। इस कोर्स के समन्वयक प्रो. सुभाष चंद ने बताया कि इस कोर्स के लिए देश के 10 राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के 80 से अधिक प्राध्यापक भाग ले रहे हैं।
इस कोर्स के प्रथम सत्र में पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो. सुभाष चंद ने प्रतिभागियों को इस पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी दी और किस तरह इस पाठ्यक्रम की रूपरेखा रहेगी इस बारे में विस्तार से बताया।
पहले सत्र के रिसोर्स पर्सन प्रो. महाबीर नरवाल, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग ने निर्णय लेने में नैतिक विचारों का महत्व बताया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कार्यस्थल पर, कॉर्पोरेट संस्कृति में और यहां तक कि कक्षाओं में भी नैतिकता कैसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा उन्होंने नैतिक परिसीमन के बारे में भी बात की। उन्होने प्रतिभागियो के प्रश्नो को भी भली भांति सम्बोधित किया। दूसरे सत्र के रिसोर्स पर्सन प्रो. तेजेंद्र शर्मा ने अपने व्याख्यान में स्थिरता की बात कही। उन्होंने बताया कि हमारे धर्म और धर्मग्रंथों से किस तरह से स्थिरता को मेंटेन कर सकते हैं। इस सत्र की समन्वयक डॉ. नीति गोयल रही।