भविष्य में भारत सेमिकंडक्टर चिप निर्माण के क्षेत्र में वैश्विक पटल पर पहचान बनाएगा : प्रो. दिनेश कुमार
प्रौद्योगिकी उन्नति का भविष्य माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर : प्रो. नवकांत भट्ट
केयू एवं गुरुग्राम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ
कुरुक्षेत्र, 7 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माण क्षेत्र वैश्विक पटल पर अपनी विशेष पहचान बना रहा है। विश्व में कुछ ही देश हैं जो सेमीकंडक्टर तथा इलेक्ट्रॉनिक चिप का निर्माण कर रहे है जिसमें ताइवान 50 प्रतिशत निर्माण कर रहा है। नैनो इलेक्ट्रिनिक्स के क्षेत्र में ताईवान, साउथ कोरिया, जापान, यूएस, नीदरलैंड, जर्मनी भी कार्य कर रहे हैं। भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जो मुख्य रूप से डिजाइन पर केंद्रित है। वे गुरुवार को सीनेट हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान विभाग और गुरुग्राम विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। इससे पहले सम्मेलन का शुभारम्भ सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि यह एमओयू दोनों विश्वविद्यालयों के बीच पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने तथा शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के बीच उत्पादक नेटवर्किंग को बढ़ावा देगा। हमें पता है कि इस समय औद्योगिक क्रांति-4.0 युग चल रहा है। समय के साथ नई टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ। पहली औद्योगिक क्रान्ति वर्ष 1752-1850 तक थी जिसमें स्टील इंजन बना और मशीनों द्वारा कार्य शुरू हुआ। और दूसरा 1870-1920 जिसमें इलेक्ट्रनिक इंजन, स्टील, टेलीफोन, टेलीग्राफ आदि का अविष्कार हुआ। तीसरी औद्योगिक क्रांति 1950-1990 में हुई जिसमें बिग कम्प्यूटर, इंटरनेट, टेलीकम्यूनिकेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं वर्तमान में चल रही चौथी औद्योगिक क्रान्ति में एआई, आईओटी, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, क्वांटम कंप्यूटर जैसी नवीनतम तकनीकों ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नवीनतम तकनीक विकसित करने में उच्च कीमत, कौशलता का गैप एवं विशेषज्ञों की अनुपलब्धता बड़ी चुनौती है। केयू में स्थापित दो इंक्यूबेशन सेंटर द्वारा जल्द ही सेमीकंडक्टर एवं चिप उद्योग की दिशा में अपने कदम बढ़ाएगा।
गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि भविष्य में भारत सेमिकंडक्टर चिप निर्माण के क्षेत्र में वैश्विक पटल पर पहचान बनाएगा। उन्होंने कहा कि पहले हमें सेमिकंडक्टर चिप के लिए अमेरिका, ताईवान, मलेशिया, चाईना की ओर देखते थे लेकिन वर्तमान में भारत इस क्षेत्र में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि माइक्रो, नैनो इलैक्ट्रिक्स डिवाइसिज तकनीकी एवं वीएलआईसी डिजाईन विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन से इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों एवं शोधार्थियों को एक नई दिशा एवं मार्गदर्शन मिलेगा।
राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलुरू के प्रतिष्ठित शिक्षाविद एवं वैज्ञानिक प्रो. नवकांत भट्ट ने सत्र के मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता कहा कि प्रौद्योगिकी उन्नति का भविष्य माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर करता है, जो चिप प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है। उन्होंने एकीकृत सर्किट के अंतर्गत नैनो-आकार के उपकरणों के निर्माण पर विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जल्द ही, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स अंततः इंजीनियरिंग अध्ययन के सबसे प्रमुख क्षेत्रों में से विशेष रूप में उभरेगा, जिससे दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरों की पर्याप्त मांग होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए वैश्विक केंद्र बनने के लिए आवश्यक क्षमताएं हैं।
केयू इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो. मुकेश कुमार ने दो दिवसीय संयुक्त सम्मेलन की रूपरेखा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में 140 शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। वहीं प्रो. सितेन्द्र कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. अनिल वोहरा, प्रो. पीजे जॉर्ज, प्रो. बीपी प्रसाद, प्रो. अल्पना अग्रवाल, प्रो. मुकेश कुमार, प्रो. सुरेश कुमार, प्रो. अनुरेखा शर्मा, प्रो. मुकेन्द्र सिंह कादियान, प्रो. वीके कुंडु, डॉ. सितेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. सुभाष कुंडु, डॉ. हितेन्द्र त्यागी, डॉ. रीटा, लोक सम्पर्क विभाग की उपनिदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
प्रौद्योगिकी उन्नति का भविष्य माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर : प्रो. नवकांत भट्ट
केयू एवं गुरुग्राम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ शुभारम्भ
कुरुक्षेत्र, 7 नवम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माण क्षेत्र वैश्विक पटल पर अपनी विशेष पहचान बना रहा है। विश्व में कुछ ही देश हैं जो सेमीकंडक्टर तथा इलेक्ट्रॉनिक चिप का निर्माण कर रहे है जिसमें ताइवान 50 प्रतिशत निर्माण कर रहा है। नैनो इलेक्ट्रिनिक्स के क्षेत्र में ताईवान, साउथ कोरिया, जापान, यूएस, नीदरलैंड, जर्मनी भी कार्य कर रहे हैं। भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से बढ़ रहा है, जो मुख्य रूप से डिजाइन पर केंद्रित है। वे गुरुवार को सीनेट हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान विभाग और गुरुग्राम विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। इससे पहले सम्मेलन का शुभारम्भ सभी अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि यह एमओयू दोनों विश्वविद्यालयों के बीच पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने तथा शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के बीच उत्पादक नेटवर्किंग को बढ़ावा देगा। हमें पता है कि इस समय औद्योगिक क्रांति-4.0 युग चल रहा है। समय के साथ नई टेक्नोलॉजी का विस्तार हुआ। पहली औद्योगिक क्रान्ति वर्ष 1752-1850 तक थी जिसमें स्टील इंजन बना और मशीनों द्वारा कार्य शुरू हुआ। और दूसरा 1870-1920 जिसमें इलेक्ट्रनिक इंजन, स्टील, टेलीफोन, टेलीग्राफ आदि का अविष्कार हुआ। तीसरी औद्योगिक क्रांति 1950-1990 में हुई जिसमें बिग कम्प्यूटर, इंटरनेट, टेलीकम्यूनिकेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं वर्तमान में चल रही चौथी औद्योगिक क्रान्ति में एआई, आईओटी, रोबोटिक्स, 3डी प्रिंटिंग, क्वांटम कंप्यूटर जैसी नवीनतम तकनीकों ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि नवीनतम तकनीक विकसित करने में उच्च कीमत, कौशलता का गैप एवं विशेषज्ञों की अनुपलब्धता बड़ी चुनौती है। केयू में स्थापित दो इंक्यूबेशन सेंटर द्वारा जल्द ही सेमीकंडक्टर एवं चिप उद्योग की दिशा में अपने कदम बढ़ाएगा।
गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि भविष्य में भारत सेमिकंडक्टर चिप निर्माण के क्षेत्र में वैश्विक पटल पर पहचान बनाएगा। उन्होंने कहा कि पहले हमें सेमिकंडक्टर चिप के लिए अमेरिका, ताईवान, मलेशिया, चाईना की ओर देखते थे लेकिन वर्तमान में भारत इस क्षेत्र में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि माइक्रो, नैनो इलैक्ट्रिक्स डिवाइसिज तकनीकी एवं वीएलआईसी डिजाईन विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन से इस क्षेत्र से जुडे़ लोगों एवं शोधार्थियों को एक नई दिशा एवं मार्गदर्शन मिलेगा।
राष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलुरू के प्रतिष्ठित शिक्षाविद एवं वैज्ञानिक प्रो. नवकांत भट्ट ने सत्र के मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता कहा कि प्रौद्योगिकी उन्नति का भविष्य माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स पर निर्भर करता है, जो चिप प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है। उन्होंने एकीकृत सर्किट के अंतर्गत नैनो-आकार के उपकरणों के निर्माण पर विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जल्द ही, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स अंततः इंजीनियरिंग अध्ययन के सबसे प्रमुख क्षेत्रों में से विशेष रूप में उभरेगा, जिससे दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरों की पर्याप्त मांग होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए वैश्विक केंद्र बनने के लिए आवश्यक क्षमताएं हैं।
केयू इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो. मुकेश कुमार ने दो दिवसीय संयुक्त सम्मेलन की रूपरेखा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि सम्मेलन में 140 शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। वहीं प्रो. सितेन्द्र कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. अनिल वोहरा, प्रो. पीजे जॉर्ज, प्रो. बीपी प्रसाद, प्रो. अल्पना अग्रवाल, प्रो. मुकेश कुमार, प्रो. सुरेश कुमार, प्रो. अनुरेखा शर्मा, प्रो. मुकेन्द्र सिंह कादियान, प्रो. वीके कुंडु, डॉ. सितेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. सुभाष कुंडु, डॉ. हितेन्द्र त्यागी, डॉ. रीटा, लोक सम्पर्क विभाग की उपनिदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा सहित शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
केयू एवं गुरुग्राम विश्वविद्यालय ने किया एमओयू साझा
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं गुरुग्राम विश्वविद्यलाय के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग और बढ़ावा देने के लिए एमओयू साझा किया गया। इस अवसर पर कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि इस एमओयू द्वारा ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा जिससे दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग और बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही दोनों विश्वविद्यालयों के फैकल्टी एवं शोधार्थी, विद्यार्थी कैम्पस में प्रशिक्षण, इटर्नशिप, सम्मेलन व सेमिनार आदि में भाग ले सकेंगे तथा शोध एवं अनुसंधान के लिए प्रयोगशालाओं का भी उपयोग कर सकेंगे। इसके द्वारा शिक्षण एवं शोध के नए क्षेत्रों को बढ़़ावा देने के लिए आपसी सूचना भी साझा की जाएगी तथा साथ ही दोनों संस्थान शिक्षक एवं विद्यार्थी में दक्षता विकसित करने का कार्य भी करेगा।