हालांकि भाजपा प्रत्याशियों ने 8 वि.स. सीटों पर गँवाई ज़मानत राशि
अम्बाला  – 15 वीं  हरियाणा विधानसभा  आम चुनाव के लिए गत शनिवार   5 अक्टूबर को प्रदेश की सभी 90 वि.स. सीटों पर कराए गए मतदान‌ में वोटों की गिनती अर्थात मतगणना का कार्य  मंगलवार 8 अक्टूबर  को संपन्न हुआ जिसमें भाजपा को  48 सीटों के साथ नई विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिल गया
जबकि कांग्रेस को 37 सीटें प्राप्त हुई. वही इनेलो को 2 सीटें मिली  एवं 3 निर्दलीय विधायक जीते हैं.

इसी बीच शहर के सेक्टर 7 निवासी   हाईकोर्ट एडवोकेट एवं राजनीतिक-चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार (9416887788)  ने बताया कि रोचक बात रह है कि बेशक भाजपा को कांग्रेस से  11 सीटें अधिक प्राप्त हुई  हैं और हरियाणा में पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है हालांकि पूरे प्रदेश में भाजपा उम्मीदवारों की 8 विधानसभा सीटों पर ज़मानत राशि जब्त हुई हैं  जिनमें — गन्नौर, हिसार, डबवाली, रानियाँ, ऐलनाबाद, महम, पुन्हाना और नूहं वि.स. हलके शामिल हैं.  वहीं  प्रदेश में केवल 3 वि.स. क्षेत्रों – अम्बाला कैंट. तिगांव और बल्लभगढ़ में ही कांग्रेस प्रत्याशियों  को अपनी ज़मानत राशि गंवानी पड़ी.

हेमंत का कहना है कि हरियाणा में  जिन तीन वि.स. हलकों  पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों ने  अपनी ज़मानत राशि गंवाई है, उनमें ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि उन सभी तीन सीटों पर  कांग्रेस  से टिकट न मिलने कारण पार्टी के तीन नेताओं ने बगावत  कर पार्टी उम्मीदवार  के विरूद्ध  निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा. अम्बाला कैंट वि.स. सीट से कांग्रेस न मिलने कारण चौधरी निर्मल सिंह, जो  अम्बाला शहर सीट  से पहली बार कांग्रेस विधायक बने हैं.  की सुपुत्री चित्रा सरवारा ने अम्बाला कैंट से  निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा. हालांकि वह भाजपा के अनिल विज से 7 हजार 277 वोटों से हार गयीं परन्तु चित्रा ने अम्बाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी परविंदर पाल परी से कहीं  अधिक वोट प्राप्त किए. परी को 14 हजार 469 जबकि चित्रा को 52 हजार 581 वोट प्राप्त हुए.
इसी प्रकार फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट से कांग्रेस से टिकट न मिलने से   बागी बनी शारदा राठौर, जो  वर्ष 2005-2014 तक इस सीट से दो बार कांग्रेस विधायक भी रही थी, वह भी इस बार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ी जिसमें वह बेशक भाजपा के मूल चंद शर्मा से 17 हजार 730 वोटों से  पराजित हो गयीं परन्तु शारदा को कांग्रेस की उम्मीदवार  पराग शर्मा से कहीं अधिक वोट मिले. शारदा को 44 हजार 76 जबकि पराग को 8 हजार 674 वोट ही मिले. इसी प्रकार फरीदाबाद जिले की ही तिगांव वि.स. से कांग्रेस पार्टी के टिकट न मिलने कारण बागी  हुए ललित नागर, जो 2014-2019 तक इस सीट से कांग्रेस विधायक भी रहे थे, ने इस बार अबकी बार  निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा जिसमें वह बेशक भाजपा के राजेश नागर  से 37 हजार 401 वोटों से  पराजित हो गए परन्तु ललित  को कांग्रेस के  उम्मीदवार रोहित नागर  से कहीं अधिक वोट प्राप्त हुए. ललित नागर  को 56 हजार 828 जबकि पराग को 21 हजार 656 वोट ही मिले.
हेमंत ने आगे बताया कि अगर सूक्ष्मता से देखा जाए तो पूरे‌ प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस को‌ कुल पड़े वोटों में केवल 1 लाख 18 हजार 198 वोटों का अंतर रहा है. जहाँ तक भाजपा को‌ पूरे  हरियाणा में 55 लाख 48 हजार 800 वोट अर्थात 39.94 % वोट
मिले हैं, वही कांग्रेस को‌ प्रदेश भर में 54 लाख 30 हजार 602 वोट अर्थात 39.09% वोट
प्राप्त हुए हैं  इस प्रकार दोनों पार्टियों‌ में  मत प्रतिशत का अंतर मात्र 0.85% रहा है.

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