नगर निगम की शेष 15 महीने अवधि के लिए नया मेयर‌  आवश्यक

चंडीगढ़  –  15 वीं  हरियाणा विधानसभा  आम चुनाव के लिए  5 अक्टूबर को प्रदेश की सभी 90 वि.स. सीटों पर करवाए गए मतदान‌ में वोटों की गिनती अर्थात मतगणना का कार्य गत दिवस मंगलवार 8 अक्टूबर  को संपन्न हुआ जिसमें भाजपा को  48 सीटों के साथ नई विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिल गया है
जबकि कांग्रेस को 37 सीटें प्राप्त‌ हुईं हैं. वही इनेलो को 2 सीटें मिली हैं एवं 3 निर्दलीय विधायक जीते हैं.

इसी बीच शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और म्यूनिसिपल मामलों के  जानकार   हेमंत कुमार ( 9416887788)  ने बताया कि ताजा चुनाव में अंबाला नगर निगम की मेयर शक्ति रानी शर्मा  पंचकूला‌ जिले के कालका विधानसभा हलके से भाजपा की उम्मीदवार के तौर पर विधायक निर्वाचित‌ हुईं हैं. उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप चौधरी को 10 हजार 883 वोटों के अंतर से पराजित‌ किया है. प्रदीप चौधरी दोर बार वर्ष 2009 में इनेलो से और वर्ष 2019 में कांग्रेस पार्टी से कालका से  विधायक निर्वाचित हुए थे.

सनद रहे कि दस वर्ष पूर्व 2014 में  13वीं हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ समय पूर्व‌ शक्तिरानी शर्मा के पति विनोद  शर्मा, जो अम्बाला शहर वि.स. सीट से लगातार दो बार कांग्रेस विधायक रहे थे और इस दौरान वह  भूपेंद्र हुड्डा सरकार में डेढ़ वर्ष तक कैबिनेट मंत्री भी रहे थे, ने   कांग्रेस छोड़कर अगस्त, 2014  में हरियाणा जनचेतना पार्टी -हजपा(वी) नाम से अलग राजनीतिक पार्टी बनाई थी. अक्टूबर, 2014 में   शक्ति रानी शर्मा ने हजपा(वी) के टिकट पर भी  कालका वि.स. सीट से ही चुनाव लड़ा था परन्तु तब वह बुरी तरह पराजित हो‌ गई थीं. अब 10 वर्ष बाद उन्हें कालका से विजयश्री प्राप्त हुई है.

ज्ञात रहे कि शक्ति रानी शर्मा दिसम्बर,2020 में हरियाणा जनचेतना पार्टी – हजपा (वी) के टिकट और चुनाव-चिन्ह (गैस सिलेंडर)  पर चुनाव लड़कर अम्बाला नगर निगम के मेयर पद  पर  प्रत्यक्ष (सीधी) निर्वाचित हुई थी एवं गत माह 1 सितम्बर  को  ही वह भाजपा में शामिल हुई जिसके कुछ दिनों  बाद ही  भाजपा द्वारा उन्हें कालका वि.स. सीट से पार्टी‌ प्रत्याशी घोषित कर दिया गया था.

बहरहाल, हेमंत ने हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 8 ए‌ का हवाला देते हुए‌ बताया कि  उसके अंतर्गत प्रदेश के किसी नगर निगम के मेयर या सदस्य (जिन्हें  आम भाषा में पार्षद भी कहते हैं हालांकि यह शब्द नगर निगम कानून में नहीं है) एक ही समय  पर मेयर एवं  सदस्य एवं साथ साथ  विधायक या सांसद नहीं रह सकता है. अगर कोई व्यक्ति नगर निगम के  मेयर पद या सदस्य होते हुए प्रदेश की विधानसभा या संसद के लिए  निर्वाचित हो जाता है, तो विधायक या सांसद के तौर पर निर्वाचित घोषित होने की तारीख से वह नगर निगम का मेयर या सदस्य  नहीं रहेगा. इसी प्रकार गत दिवस 8 अक्टूबर से कालका विधायक निर्वाचित‌ होने की तिथि‌ से  शक्ति रानी अंबाला नगर निगम की मेयर नहीं‌ हैं. इसके लिए उन्हें औपचारिक तौर पर मेयर पद से त्यागपत्र देने की कोई आवश्यकता नहीं है. अंबाला नगर की तरह ही  सोनीपत नगर निगम के मेयर‌ निखिल  मदान‌ भी सोनीपत वि.स. सीट‌ से भाजपा  के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए हैं.

बहरहाल,  हेमंत ने बताया कि चूँकि हरियाणा में वर्ष 2018 से  नगर निगम मेयर  के लिए  सम्बंधित निगम क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष ( सीधा ) निर्वाचन किया जाता है, इसलिए  शक्ति रानी शर्मा के    विधायक निर्वाचित होने के फलस्वरूप  रिक्त हुए   मेयर पद की   शेष 15 महीने की अवधि अर्थात जनवरी, 2026 तक के  लिए  मौजूदा अंबाला नगर निगम के 20 निर्वाचित सदस्यों में से नए मेयर का अप्रत्यक्ष निर्वाचन नहीं किया जा सकता है. हालांकि अगर प्रदेश सरकार चाहे‌ तो‌ वह हरियाणा राज्य निर्वाचन  आयोग से  अंबाला नगर निगम के मेयर पद की शेष अवधि के लिए  उपचुनाव कराने के लिए लिख सकती है विशेष‌ तौर पर चूंकि अंबाला नगर निगम का शेष कार्यकाल 6 माह से अधिक बचा है. हालांकि जब तक नियमित  मेयर का चुनाव नहीं  होता या कराया जाता, तब तक  नगर निगम मेयर पद का कार्यवाहक चार्ज  ( कार्यभार) निवर्तमान  मेयर के वर्ग  अर्थात  मौजूदा निगम सदन की  किसी अन्य निर्वाचित‌ महिला नगर निगम सदस्य को दिया जा‌ सकता है हालांकि क्या मेयर का कार्यभार मौजूदा सीनियर डिप्टी मेयर मीना ढींगरा को भी दिया जा सकता है, इस पर हेमंत का कहना है कि ऐसा प्रदेश सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग पर निर्भर करता है‌ हालांकि हरियाणा में  ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि मौजूदा नगर निगम मेयर हरियाणा विधानसभा चुनाव में निर्वाचित‌ होकर विधायक बना हो. हालांकि हेमंत का मानना है कि इस बात की संभावना बहुत कम है कि प्रदेश सरकार अंबाला नगर निगम  मेयर‌‌ की शेष 15 महीनों‌ की अवधि के लिए उपचुनाव कराने के लिए राज्य‌ निर्वाचन आयोग को लिखकर अनुरोध करे.

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