कुरुक्षेत्र, 1 अक्टूबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह को प्रतिष्ठित राज्यसभा फैलोशिप 2024 के लिए चयनित किया गया है। यह फैलोशिप उन्हें डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन,संघर्ष और समाज सुधार के उनके महान कार्यों पर गहन शोध करने के लिए प्रदान की गई है। डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण में जो ऐतिहासिक भूमिका निभाई, उनके विचारों को वर्तमान संदर्भों में प्रस्तुत करना आज के समय की महती आवश्यकता है । डॉ. प्रीतम सिंह का यह शोध इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इस उपलब्धि के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने डॉ. प्रीतम सिंह को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है। यह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की शैक्षणिक श्रेष्ठता को प्रमाणित करती है जो विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को एक नए शिखर की ओर ले जाने में सहायक होगी । पूरे विश्वविद्यालय परिवार के लिए यह गौरव की बात है कि डॉ. प्रीतम सिंह के इस शोध कार्य से अंबेडकर का दर्शन समाज के हर वर्ग के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी जिसमे डॉ अम्बेडकर के जीवन पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी होगा ।
इस गौरवपूर्ण अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने भी डॉ. प्रीतम सिंह को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह फैलोशिप केवल डॉ. प्रीतम सिंह की व्यक्तिगत उपलब्धि के साथ-साथ कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए भी एक गौरवमयी उपलब्धि है। उनके इस शोध से डॉ. अंबेडकर के जीवन के कई अनछुए पहलुओं को सामने लाने का सुअवसर मिलेगा।
राज्यसभा फेलोशिप के तहत उन्हें 28 लाख 50 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जो उनके शोध कार्य को और मजबूत बनाएगी। इस शोध के माध्यम से वे बाबा साहेब अंबेडकर के उन विचारों पर प्रकाश डालेंगे, जो समाज के सबसे उपेक्षित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित थे। डॉ. अंबेडकर की जीवन यात्रा और उनका संघर्ष आज भी समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायी हैं।
डॉ. प्रीतम सिंह की इस उपलब्धि के साथ ही विश्वविद्यालय के विद्वानों और शोधकर्ताओं के बीच एक नई ऊर्जा और शोध के प्रति जागरूकता का संचार हुआ है। यह फैलोशिप भारतीय राजनीति को दीर्घकाल तक प्रभावित करने वाले तथा भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा को समझने और उसे समाज में फैलाने के लिए एक अहम भूमिका निभाएगी।
यह सम्मान डॉ. प्रीतम सिंह के समर्पण और उनके गहन अध्ययन, लग्न व परिश्रम का परिणाम है। इस फेलोशिप के माध्यम से वह अंबेडकर के सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के संदेश को और व्यापक रूप से समाज में प्रसारित करने का कार्य करेंगे। “धर्म का असली उद्देश्य है मानवता की सेवा”, बाबा साहेब के इस आदर्श वाक्य को साकार करने का प्रयास डॉ. प्रीतम सिंह के इस शोध के माध्यम से अवश्य होगा।