चंडीगढ़ – कांग्रेस पार्टी द्वारा अम्बाला कैंट विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही चित्रा सरवारा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी की सदस्यता से छ: वर्ष के लिए सस्पेंड (निलंबित) करने पर सवाल खड़ा हो गया है.
चित्रा अम्बाला शहर वि.स. हलके से इस बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चौधरी निर्मल सिंह मोहड़ा की सुपुत्री हैं. हालांकि वह अम्बाला कैंट वि.स. सीट से कांग्रेस के टिकट की प्रबल दावेदार थी परन्तु नामांकन के अंतिम दिन से कुछ घंटे पूर्व ही पार्टी द्वारा उनके स्थान पर परविन्द्र पाल परी को कैंट कांग्रेस प्रत्याशी घोषित कर दिया गया जिससे नाराज़ होकर चित्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया.
पिछले सोमवार 16 सितम्बर नाम वापिस लेने के अंतिम दिन तक चूँकि चित्रा ने अपना नामांकन वापिस नहीं लिया और फाइनल चुनावी रेस से बने रहने पर अडिग रही जिस कारण उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कैंट वि.स. सीट के रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) द्वारा विस्सल (सीटी) का चुनाव चिन्ह आबंटित कर दिया गया.
बहरहाल, इसी बीच शहर निवासी हाईकोर्ट एडवोकेट और चुनावी-राजनीतिक विश्लेषक हेमंत कुमार का मानना है कि हालांकि कांग्रेस पार्टी के अनेक नेताओं और कर्मठ कार्यकर्ताओं ने इस बार पार्टी टिकट न मिलने कारण बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव के लिए नामांकन भर दिया था जिनमें से कईयों को तो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा मान-मुनव्वल कर 16 सितम्बर अर्थात उम्मीदवारी वापसी लेने के अंतिम दिन तक उनका नामांकन वापिस लेने के लिए मना लिया गया था जिसमें अम्बाला शहर वि.स. सीट से जसबीर मलौर और हिम्मत सिंह और कैंट से सुधीर कुमार जायसवाल का नाम भी शामिल है परन्तु आज भी प्रदेश भर में कांग्रेस के दो दर्जन से ऊपर बागी नेता निर्दलीय अथवा किसी अन्य राजनीतिक दल से कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार विरूद्ध चुनावी मैदान में हैं, ऐसे में केवल अम्बाला कैंट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस बागी चित्रा के विरूद्ध ही पार्टी द्वारा कार्रवाई करना उपयुक्त नहीं है. हेमंत ने आज कांग्रेस हाईकमान एवं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की इस सम्बन्ध में एक्स-पोस्ट (ट्वीट) भी किया है.
हेमंत का यह भी कहना है कि ऐसा संभवत: पहली बार हुआ है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा चुनाव लड़ रहे किसी बागी नेता को पार्टी से 6 वर्ष के लिए पूर्णतया निष्काषित न कर उसकी पार्टी सदस्यता को 6 वर्षो के लिए सस्पेंड किया गया है. आम तौर पर पार्टी द्वारा जब किसी नेता को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने कारण कारण बताओ नोटिस जारी जारी किया जाता है तो इस दौरान की समयावधि के लिए उस कथित बागी नेता को पार्टी से सस्पेंड किया जाता है. हेमंत ने आज कांग्रेस हाईकमान को किये ट्वीट में पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से यह भी स्पष्ट करने की अपील की है कि क्या 6 वर्ष के लिए कांग्रेस पार्टी से निष्कासन (एक्सपल्शन) होता है या निलंबन (सस्पेंशन)
सनद रहे कि आज से 5 वर्ष पूर्व अक्टूबर, 2019 में जब निवर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस पार्टी के निर्मल सिंह, जो प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री और चार बार अम्बाला की तत्कालीन नग्गल वि.स. सीट से विधायक रह चुके हैं और चित्रा दोनों को क्रमश: अम्बाला शहर और अम्बाला कैंट विधानसभा सीटों से कांग्रेस पार्टी का टिकट नहीं मिला था जिसके बावजूद उन्होंने उक्त दो सीटों से कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के विरूद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भर दिया था जिस कारण मतदान से दस दिन पूर्व कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा द्वारा उन दोनों सहित पार्टी के कुल 16 बागी नेताओं को 6 वर्षो से कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था.
उसके बाद निर्मल और चित्र ने पहले हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट (एच.डी.एफ.) के नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव आयोग से रजिस्टर कराई और दिसम्बर,2020 में अम्बाला नगर निगम चुनाव में एच.डी.एफ. से चुनाव में कप-प्लेट के चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार भी उतारे जिसमें से दो – विजय कुमार और रुबी सौदा विजयी होकर निर्वाचित भी हुए जो बाद में भाजपा में शामिल हो गये. उसके बाद अप्रैल, 2022 में निर्मल-चित्रा आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गये थे हालांकि पौने दो वर्ष बाद दिसम्बर, 2023 में इन दोनों ने आप पार्टी छोड़ दी. तत्पश्चात 5 जनवरी,2024 को पिता-पुत्री निर्मल-चित्रा की कांग्रेस पार्टी में घर-वापसी हो गई.
बहरहाल, हेमंत ने बताया कि अगर देखा जाए तो निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा का कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासन अक्टूबर, 2019 से 6 वर्षो तक अर्थात अक्टूबर, 2025 तक बनता था. अब क्या इन दोनों द्वारा इस निष्कासन के सवा 4 वर्षो बाद ही कांग्रेस पार्टी में दोबारा शामिल होने से उनका पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तब करीब दो वर्ष शेष बचा निष्कासन स्वत: रद्द हो गया था ऐसा अथवा हो जाता है, यह देखने लायक है हालांकि कांग्रेस पार्टी के संविधान में ऐसा उल्लेख नहीं है. रोचक बात यह भी रही कि निर्मल- चित्रा की कांग्रेस पार्टी में घर वापसी करते समय कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता द्वारा ऐसा बयान नहीं दिया गया था कि निर्मल-चित्रा का कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 वर्षो का निष्कासन आदेश तत्काल प्रभाव से वापिस ले लिया गया है या रद्द कर दिया गया है.
हेमंत ने एक रोचक तथ्य सांझा करते हुए हुए बताया कि 38 वर्ष पूर्व अप्रैल,1986 में कांग्रेस पार्टी के दिवंगत वरिष्ठ नेता प्रणब मुख़र्जी, जो वर्ष 2012-2017 तक देश के राष्ट्रपति भी रहे थे, उनका कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव गाँधी, जो तब देश के प्रधानमन्त्री भी थे, से कुछ राजनीतिक मतभेद हो गये थे जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस के नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी बना ली थी और वर्ष 1987 में उस पार्टी से पश्चिम बंगाल के विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के विरूद्ध उनकी पार्टी के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतारे थे. इसी बीच कांग्रेस पार्टी द्वारा मुख़र्जी को पार्टी से 6 वर्षो के लिए निष्काषित कर दिया गया था. बहरहाल, जब दो वर्ष बाद 1988 में राजनीतिक परिस्थितियाँ बदली तब राजीव गाँधी ने मुख़र्जी को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता मार्फ़त फिर से कांग्रेस में शामिल होने का आह्वान किया, तब यही पॉइंट उठा था कि 6 वर्षो का कांग्रेस पार्टी से निष्कासन रद्द हुए बिना क्या मुख़र्जी दोबारा कांग्रेस पार्टी में कैसे शामिल हो सकते हैं. बहरहाल, बाद में औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद मुख़र्जी ने वर्ष 1988 में कांग्रेस में घर वापसी कर ली थी एवं उनके बाद वह जीवन भर वह कांग्रेस पार्टी के ही अनुशासित सिपाही ( सदस्य) रहे थे.