करनाल, 16 सितंबर। जिला में धान की फसल कटाई उपरांत फसल अवशेषों में आगजनी के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने और जीरो बर्निंग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कमर कस ली है, जिसके लिए विभाग द्वारा उपायुक्त उत्तम सिंह के मार्ग दर्शन व जिला प्रशासन के सहयोग से 300 अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी फिल्ड में आगजनी पर निगरानी और न मानने वालों पर आवश्यक कार्यवाही करने के लिए लगा दी है।
उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि जिला करनाल में धान की अगेती फसल की कटाई शुरू हो गई है, हालांकि पिछले दो-तीन दिन से बरसात का मौसम होने की वजह से धान की कटाई रूकी है, परंतु अब मौसम सामान्य होने से आगामी दिनों में किसानों द्वारा धान की कटाई उपरांत पराली में आगजनी की जा सकती है। इसके लिए पूरा प्रशासन और कृषि विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है। उन्होंने ड्यूटी पर तैनात सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का आह्वान किया कि वे जीरो बर्निंग के लक्ष्य को केंद्र में रखकर आगजनी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता से निभाएं।
आगजनी की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी
डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा इस वर्ष जिला करनाल को जीरो बर्निंग का लक्ष्य दिया गया है। पिछले दो वर्षों में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। खरीफ सीजन-2021 में जहां हरसेक से आगजनी की 957 घटनाएं दर्ज की गई थी, वहीं वर्ष 2022 में ये घटकर 301 तथा खरीफ सीजन 2023 में ये केवल 126 दर्ज गई। इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में जहां रेड जोन गांवों की संख्या 10 व येलो रेड जोन की संख्या 53 थी, वहीं वर्ष 2024 में रेड जोन गांव की संख्या मात्र 2 और येलो जोन की संख्या 24 रह गई है।
किसानों को समझाने के लिए विशेष जागरूकता शिविर शुरू
डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि किसानों को जागरूक करने के लिए खंड व गांव स्तर पर विशेष जागरूकता शिविरों का आयोजन शुरू किया गया है जिसके तहत गांव स्तर पर विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ गणमान्य एवं विशेषज्ञ व्यक्तियों द्वारा इन जागरूकता शिविरों के माध्यम से किसानों को फसल कटाई उपरांत पराली में आग लगाने से होने वाले वायु प्रदूषण तथा खुद किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान के प्रति सचेत किया जा रहा है। इसी कड़ी में विद्यार्थियों द्वारा भी गांवों में प्रभात फेरियां व रैलियां निकाली जा रही हैं। गांव व खंड स्तर पर किसानों के व्हाट्सअप ग्रुप भी बनाए गए हैं।