प्रसिद्ध लेखक व अभिनेता अतुल तिवारी द्वारा तैयार की गई पटकथा को पूर्व मंत्री अनिल विज ने शहीद स्मारक में सुना
अतुल तिवारी ने पटकथा गुनगुनाई, सुनो भाईयो और बहनों कथा 1857 की, कान खोलकर सुनो कहानी क्रांति के पहले सावन की
अम्बाला, 14 अगस्त
सुनो भाईयो और बहनों कथा 1857 की, कान खोलकर सुनो कहानी क्रांति के पहले सावन की, यह पंक्तियां आज हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री तथा अम्बाला छावनी के विधायक अनिल विज के समक्ष प्रसिद्ध लेखक एवं अभिनेता अतुल तिवारी ने गुनगुनाई।
श्री विज आज अम्बाला छावनी में निर्माणाधीन शहीद स्मारक में अतुल तिवारी द्वारा शहीद स्मारक के मेमोरियल टॉवर पर प्रोजेक्टर द्वारा दिखाई जाने वाली डाक्यूमेंट्री की पटकथा को सुना। उन्होंने अतुल तिवारी द्वारा लिखी गई पटकथा की तालियां बजाते हुए सराहना की।
इसके उपरांत पूर्व मंत्री अनिल विज ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि आजादी की पहली लड़ाई का शहीदी स्मारक व एशिया का सबसे बड़ा म्यूजियम अम्बाला छावनी-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनाया जा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई 1857 में अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी जिसका सम्पूर्ण विवरण यहां पर दिखाया व प्रदर्शित किया जाएगा। इस स्मारक में बड़ी 11 गैलरियां बनाई जाएंगी, एक कमल का फूल मैमोरीयल टावर यहां पर स्थापित होगा, दो लिफ्ट होंगी। शहरी स्मारक को देखने के लिये लोगों का काफी फुटफाल होगा, 21 गाइड यहां पर तैनात किये जाएंगे ताकि लोग शहीदी स्मारक के सम्बन्ध में जो भी जानकारी या विशेषता जानना चाहेंगे, उनकी जानकारी दी जा सकेगी। आठ रेस्टोरेंट होंगे जिसमें बेहतरीन व्यंजन होंगे, एक सेमिनार शॉप होगी जिसमें हरियाणा की बनी चीजें एवं मॉडल प्रदर्शित होंगे। जो भी व्यक्ति शहीदी स्मारक को देखने आएगा, उसे एक दिन लगेगा। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि आचार संहिता से पहले-पहले इस शहीदी स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से करवाने का प्रयास रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिये एंट्री फीस भी रखी जाएगी जोकि इसके रख-रखाव पर खर्च की जाएगी।
पूर्व गृहमंत्री एवं विधायक ने यह भी बताया कि यहां पर दो हजार लोगों की क्षमता का ओपन एयर थियेटर भी बनाया जा रहा है, जिसमें डिजिटल, विजुअल, इलेक्ट्रोनिक्स व लेजर के माध्यम से 1857 की क्रांति को दिखाने व दर्शाने का काम किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी की लड़ाई के बारे में कांग्रेस ने केवल यही बताया है कि यह लड़ाई कांग्रेस ने लड़ी थी लेकिन आजादी की लड़ाई के लिये कितने लोगों ने कुर्बानियां दी, कितनों ने लड़ाईयां लड़ी, यह कभी नहीं बताया। उन्होंने प्रसिद्ध कलाकार अतुल तिवारी द्वारा 1857 की क्रांति के उपर जो कवित लिखी है, उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह कविता सुनकर सभी स्तब्ध रह जाएंगे, उनकी आंखे नम हो जाएंगी। इस स्मारक के दृष्टिगत हिन्दुस्तान के बेहतरीन हिस्टोरियन द्वारा कार्य किया जा रहा है और सभी बेहतर समन्वय बनाते हुए कार्य कर रहे हैं। सभी के प्रयासों से 1857 की क्रांति पर एक बेहतरीन फिल्म भी बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी की पहली लड़ाई अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी और उसके बाद यह चिंगारी पूरे देश में फूटी।
इस अवसर पर शहीद स्मारक के निदेशक डा0 कुलदीप सैनी, पीडब्ल्रूडी के एक्सईएन रितेश अग्रवाल व अन्य मौजूद रहे।
पूर्व मंत्री अनिल विज के प्रयासों से बन रहा शहीद स्मारक :- अतुल तिवारी
प्रसिद्ध लेखक एवं अभिनेता अतुल तिवारी ने कहा कि मुझे गर्व है कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम जोकि अम्बाला छावनी से शुरू हुआ था, उसका अभूतपूर्व संग्रहालय हरियाणा सरकार व पूर्व गृहमंत्री अनिल विज के प्रयासों से बन रहा है। उत्तर भारत का सबसे बड़ा म्यूजियम भी यहां बन रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में इस स्वतंत्रता संग्राम के तहत जितनी भी लड़ाई हुई वह देखने लायक हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिये सौभाग्य की बात है कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े इस स्मारक में उन्हें लेखन का मौका मिला है, जिसमें वह लाइट एंड शो, लेजर और प्रोजेशन इत्यादि के माध्यम से कार्य करेंगे, सम्पूर्ण चित्रण बाहर की दिवारों एवं कमल के फूल के आगे जो पानी का कुंड होगा उसमें फव्वारों के माध्यम से इसे दिखाने का काम किया जाएगा।
स्मारक में चल रहे निर्माण कार्य का पूर्व मंत्री अनिल विज ने निरीक्षण किया
उधर, बैठक के उपरांत पूर्व मंत्री अनिल विज ने शहीद स्मारक में चल रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण किया और अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए। इससे पहले शहीद स्मारक के निदेशक डा0 कुलदीप सैनी ने पूर्व गृहमंत्री का स्वागत करते हुए शहीदी स्मारक में आर्ट वर्क से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध लेखक एवं अभिनेता अतुल तिवारी देश के बहुत बेहतरीन आर्टिस्ट है। इन्होंने कईं फिल्मों एवं सीरियल में काम किया है और म्यूजियम के लिये भी कार्य कर रहे हैं। अब आजादी की पहली लड़ाई के शहीदी स्मारक के बाहर का जो कार्य है, उसके लेखन से सम्बन्धित कार्य करेंगे।