करनाल,  7 अगस्त। इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक प्रभारी डा धर्म पाल ने बताया की हमारे जीवन में दिन.प्रतिदिन बढ़ते तनाव के कारण आजकल मनोवैज्ञानिकों की मांग काफ ी बढ़ रही है। अब मनोवैज्ञानिकों के पास जाना वर्जित नहीं माना जाता हैए जबकि विगत कुछ वर्षों तक लोग मनोवैज्ञानिक के पास जाना पसंद नहीं करते थे। आजकल कुछ विद्यालयों और महाविद्यालयों में मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता की नियमित व्यवस्था की जाती है। यह व्यवस्था विद्यार्थियों और अध्यापकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है। अधिकतर लोकप्रिय शाखाओं के अलावा औद्योगिक तथा खेल मनोविज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी नौकरी के अवसर बढ़े हैं। ये दोनों शाखाएं अब भी भारत में प्रारंभिक या मूल अवस्था में है, लेकिन इसके विकास की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

उन्होंने बताया कि अन्य व्यवसायों की औसत दर के समान ही तीव्र गति से मनोवैज्ञानिकों की भी मांग बढ़ रही है। स्वास्थ्य देखभाल संबंधी रोजगार के अवसर बढ़ते जा रहे हैं। इसी प्रकार मनोविकार तथा आचरण संबंधी दुव्र्यवहार के उपचार के क्लीनिक भी खुलते जा रहे हैं। स्कूलों, सामाजिक सेवा की सरकारी एजेंसियों तथा प्रबंधन परामर्श सेवाओं में भी रोजगार के अनगिनत द्वारा खुल गए हैं। सर्वेक्षण, डिजाइन, विश्लेषण और अनुसंधान के क्षेत्र में कंपनियां मनोवैज्ञानिकों की विशेषज्ञता का लाभ उठा रही है, ताकि बाजार मूल्यांकन एवं सांख्यिकीय विश्लेषण किया जा सके। इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं बारहवीं तथा अधिकांश विश्वविद्यालयों में बीए स्तर पर मनोविज्ञान विषय पढ़ाया जाता है। स्नातक के बाद विद्यार्थी मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री की पढ़ाई कर सकता है। उन्होंने बताया इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू)स्नातकोत्तर स्तर पर मनोविज्ञान में एमए करवाती है जिसकी कुल फीस 18,600 और विद्यार्थी को प्रतिवर्ष 9300 रुपये जमा करनी है  इस पाठ्यक्रम को पूरा करने की न्यूनतम अवधि 2 वर्ष और अधिकतम अवधि 4 वर्ष है कार्यक्रम में दाखिला लेने  तिथि 14 अगस्त 2024 हैं।

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