करनाल, 1 अगस्त। उप निदेशक कृषि वजीर सिंह ने बताया कि किसानों को प्राकृतिक जोखिम से सुरक्षा देने के लिए सुरक्षा कवच के रूप में एक महत्वाकांक्षी योजना के रूप में भारत सरकार द्वारा प्रायोजित तथा राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित एक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत खरीफ-2016 में की गई। आरम्भ में यह योजना ऋणी किसानों के लिए अनिवार्य और गैर-ऋणी किसानों के लिए विकल्प के रूप में लागू की गई, जिसे बाद में खरीफ-2020 में ऋणी किसानों के लिए भी इस स्कीम को वैकल्पिक कर दिया गया।
उप निदेशक ने बताया कि खरीफ-2024 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत चार फसल कपास, धान, बाजरा व मक्का को नोटिफाइ किया गया है। किसानों द्वारा दिया जाने वाली प्रति एकड़ प्रीमियम राशि क्रमश: 2199.48/- रुपए, 859.95/- रुपए, 414.54/- रुपए, 441/- रुपए है। इसके अलावा उक्त फसलों के शत-प्रतिशत खराब होने पर दी जाने वाली प्रति एकड़ बीमित राशि क्रमश: 43989.77/- रुपए, 42997-48 /-रुपए, 20727.20/-रुपए, 22050.13/-रुपए है। यह स्कीम ऋणी व गैर-ऋणी दोनों तरह के किसानों के लिए वैकल्पिक है और जिन किसान भाइयों ने बैंक से केसीसी के मार्फत ऋण ले रखा है, अपने संबन्धित बैंक उन किसानों का फसल बीमा स्वयं कर देती है। जो किसान भाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुडऩा नहीं चाहते और जिन्होने बैंक से केसीसी के मार्फत ऋण ले रखा है वे अपने संबन्धित बैंक में 9 अगस्त तक लिखित में इस बारे लिखकर दें कि वे इस स्कीम में शामिल नहीं होना चाहते, तो उन किसानों की प्रीमियम राशि उनके बैंक खाते से नहीं कटेगी और उनका बीमा नहीं होगा। ऐसा न करने पर बैंक द्वारा किसान की फसल का बीमा स्वयं कर दिया जाएगा। इसके अलावा जिन किसान भाइयों ने अपनी पहले सीजन में बीजी गई फसल में बदलाव करवाना है, वे सभी किसान 14 अगस्त तक अपने संबन्धित बैंक से सम्पर्क कर अपनी फसल में बदलाव करवा सकता हैं। जो किसान अऋणी कैटेगरी से अपनी फसल का बीमा करवाना चाहते हैं, वे अपने नजदीकी सीएससी सेंटर से फसल बीमा करवा सकते हैं।
कृषि एंव किसान कल्याण विभाग के सहायक सांख्यिकी अधिकारी डॉ सुनील जांगड़ा ने बताया कि किसानों को गैर-ऋणी श्रेणी में बीमा करवाने के लिए जमीन की फरद, आधार कार्ड की प्रति, फसल बीजाई का प्रमाण पत्र व जिस किसान ने जमीन पट्टे पर ले रखी है, वह किसान उस जमीन के वास्तविक मालिक का एफिडेविट दस्तावेज अनिवार्य हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी किसान भाई अपनी फसल का बीमा अपने संबन्धित बैंक, नजदीकी सीएसी सेंटर अथवा नजदीकी डाकघर से 16 अगस्त तक करवा सकते है्र
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत स्थानीय आपदा के अन्तर्गत जैसे-भारी बारिश से जलभराव, बादल फटना व औलवृष्टि की स्थिति में फसल में नुकसान होने पर किसानों को व्यक्तिगत रूप से आपदा घटित होने के 72 घण्टे के अन्दर-अन्दर आवेदन किसान स्वंय पीएमयू के मार्फत करना सुनिश्चित करें। 72 घण्टे के बाद पीएमयू पर अपलोड किए गए आवेदन स्वीकार नही किए जाएंगे। इस समय सीमा में प्राप्त बीमित किसानों के आवेदनों का सर्वे 15 दिन के अन्दर-अन्दर करवा कर बीमा कम्पनी क्लेम अदा कर देती हैं। धान फसल के लिए स्थानीय आपदा के तहत रिस्क कवरेज (जलभराव से नुकसान ) नहीं दिया जा सकता।
इसके अलावा कृषि विभाग द्वारा दोनों सीजन में सभी नोटिफाईड फसलों पर चार-चार फसल कटाई प्रयोग संचालित किए जाते हैं जो गांव में बीजी गई फसल की उपलब्धता पर निर्भर करती है। इस प्रकार फसल कटाई प्रयोग के आधार पर आई औसत पैदावार को सरकार द्वारा पूर्व निर्धारित थ्रैशोल्ड उपज की तुलना की जाती है। औसत पैदावार, थ्रैशोल्ड उपज में जिस अनुपात में कम रहती है, उसके मुताबिक उस गाँव में उस फसल विशेष के लिए बीमित सभी किसानों का बीमा क्लेम देने का प्रावधान है। फसल की कटाई के उपरान्त यदि किसान ने फसल को खेत में सूखने के लिए कट और स्प्रैड रूप में छोड़ रखा है तथा स्थानीय आपदा जैसे आँधी तूफान, औलावृष्टि चक्रवात, चक्रवात वर्षा, जलभराव की स्थिति में किसान कटाई के 14 दिन बाद तक क्लेम का दावा कर सकता है। इसके लिए भी किसान को 72 घण्टे के अन्दर-अन्दर आवेदन किसान स्वंय पीएमयू के मार्फत करना सुनिश्चित करें। सर्वे रिपोर्ट में दर्शाए गए नुकसान के अनुसार बीमा कम्पनी के द्वारा किसान को मुआवजे का भुगतान कर दिया जाता है।