आसान नहीं इस बार छोटे छोटे मुद्दों की अनदेखी, किसानों ने आंदोलन शुरू कर दबाव बढ़ाया
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी पारी के पहले आम बजट पर सबकी नजरें होंगी। 23 जुलाई को पेश होने वाला यह पहला ऐसा बजट होगा जिसमें गठबंधन की झलक देखने को मिल सकती है, क्योंकि पहली बार प्रधानमंत्री मोदी अपनी पार्टी को अपने दम पर बहुमत नहीं दिलवा पाए, जिसके चलते टीडीपी और जेडीयू जैसे दलों की मदद से राजग सरकार का गठन हुआ है। इन दोनों दलों पर अपने अपने राज्यों के लिए अधिक से अधिक आर्थिक मदद जुटाने का दबाव है। दोनों दल विशेष पैकेज की मांग कर चुके हैं।
चंद्रबाबू पहले ही रख चुके हैं अपनी मांगें, नीतीश ने भी भेजा है प्रस्ताव
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिल अपनी मांगे पहले ही रख दी है। नीतीश की पार्टी ने भी अपना विशेष पैकेज का प्रस्ताव भेजा हुआ है। इसके साथ यह बजट इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार को किसानों के मुद्दों के साथ बेरोजगारी और अग्निवीर जैसी योजनाओं ने लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान पहुंचाया। विपक्ष कहीं ना कहीं मुद्दा बनाने में सफल रहा। चुनाव बाद भी दबाव जारी है। देखना होगा कि मोदी 3.0 में निर्मला सीतारमण अपने पिटारे से अपनी सरकार को इन मुद्दों से राहत दिलवाने के लिए क्या क्या घोषणाएं करती हैं।
अग्निवीर योजना में बदलाव की मांग, बेरोजगारी को लेकर भी दबाव
अग्निवीर योजना में बदलाव की मांग सरकार में शामिल सबसे अहम घटक दल जेडीयू कर चुका है। सरकार ने बजट से पूर्व अग्निवीरों को सीआईएसएफ और बीएसएफ में दस प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा कर एक शुरुआत की है। ऐसे भी संकेत हैं सरकार बजट में कुछ और अहम घोषणा कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस और पूरा विपक्ष आगामी तीन राज्यों के चुनाव में अग्निवीर को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में जुट भी गया है। दूसरा राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हुई हार की एक वजह अग्निवीर योजना भी बताई गई है। सरकार पर अग्निवीर के साथ बढ़ती बेरोजगारी को लेकर भी भारी दबाव है। किसानों ने तो आंदोलन की घोषणा कर सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
किसान अपनी मांगों पर अडिग
किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने तो न्यूनतम समर्थन मूल्यों की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी को लेकर आंदोलन की शुरुआत कर दी है। माना जा रहा है कि किसानों ने बजट से पूर्व आंदोलन की शुरुआत सरकार पर दबाव बनाने के लिए ही की है। हालांकि सरकार ने कुछ फसलों पर एमएसपी घोषित भी की है। इसके बाद भी किसान गारंटी पर अडिग हैं। किसान आने वाले हफ्ते में अपना मांग पत्र विभिन्न दलों के नेताओं को सौंपेंगे और उसके बाद देशभर में आंदोलन करेंगे।
दिल्ली कूच के लिए तैयार रहने के निर्देश
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला ने किसानों से आह्वान किया है कि वह दिल्ली कूच के लिए तैयार रहें। यह घोषणा सरकार पर दबाव बढ़ाएगी। हालांकि अभी सरकार ने किसानों से बातचीत शुरू नहीं की है। किसानों का यह आंदोलन एक तरह से महाराष्ट्र,जम्मू कश्मीर और हरियाणा के चुनाव को प्रभावित करेगा।विपक्ष पहले से ही ताक में बैठा था कि किसान आंदोलन फिर शुरू हो, क्योंकि यह आंदोलन हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव पर सीधा असर डाल सकता है। लोकसभा चुनाव में हरियाणा,राजस्थान,महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश किसान बेल्ट में किसान आंदोलन ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया है।
बीजेपी के लिए हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत बहुत जरूरी
केंद्र में अभी जो हालात हैं उनमें बीजेपी को हरियाणा और महाराष्ट्र में जीत बहुत जरूरी है।इन दोनों राज्यों की जीत से केंद्र में जहां राजग को ताकत मिलेगी वहीं विपक्ष के हौंसले कमजोर होंगे।अगर परिणाम उल्टे आए तो फिर केंद्र की परेशानियां बढ़ेंगी।यूं कह सकते हैं कि इस बार मोदी 3.0 में छोटे छोटे मुद्दों की अनदेखी सरकार को भारी पड़ सकती है।वित्त मंत्री को अपने बजट में किसानों,युवाओं पर तो ध्यान देना ही होगा। नौकरी पेशा वाले लोगों को इनकम टैक्स में छूट बढ़ाने संबंधी फैसला कर मध्यम वर्ग को साधना होगा।सरकारी नौकरी वाले पेंशन को लेकर भी उम्मीद पाले हुए हैं।भले ही मोदी 3.0 का यह पहला बजट जरूर है,लेकिन गठबंधन की सरकार को ताकत देने के लिए यह बजट चुनावी बजट से मेल खाता दिखना जरूरी होगा।