कुरुक्षेत्र, 8 जून 2024 -ग्रामीण विकास मंत्रालय, नई दिल्ली और जर्मन के GIZ संस्थासे कुल 16 सदस्यों का एक दल शुक्रवार सायं गुरुकुल पहुंचा जहां पर उन्होंने न केवल प्राकृतिक खेती का जायजा लिया बल्कि गुरुकुल की अत्याधुनिक गोशाला का भी अवलोकन किया। इस टीम में ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ जर्मनी की GIZ संस्था के डायरेक्टर और टेक्निकल विशेषज्ञ भी शामिल रहे। गुरुकुल में पहुंचने पर व्यवस्थापक रामनिवास आर्य और विख्यात कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री डा. हरिओम ने गर्मजोशी से सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस दल में शामिल राजीव अहल जी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2022 में पीएम नरेन्द्र मोदी और जर्मन चांसलर के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत भारत में प्राकृतिक खेती तथा अग्रिएकोलोजी को लेकर जर्मनी सरकार भारत को सहयोग देगी। इस समझौते को लेकर ग्रामीण विकास मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और नाबोर्ड के साथ मिलकर जर्मनी की GIZ संस्था Support for Agroecological Transformation Processes in INDA (SuATI ) परियोजना पर कार्य कर रही है जिससे दोनों देशों में कृषि एवं ग्रामीण आजीविका को लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान हो और विकास की नई इबारत लिखी जाए। इसी (SuATI ) प्रोजेक्ट के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय के अति. सचिव श्री चरणजीत सिंह (आईएफएस ), GIZ संस्था के डायरेक्टर राजीव अहल और SuATI प्रोजेक्ट के डायरेक्टर उते रिकमैन 16 सदस्यीय दल के साथ गुरुकुल में पहुंचे। उनके साथ वेरा जर्मन अधिकारि के अलावा जयराम किली,राजीव आहूजा , योगिराज शेटे, अनमोल चौहान, आशीर्वाद दास, दीपक चामोला, सुबुही परवेज, पारूल थापा, किम अरोड़ा, दिव्या शर्मा, वैभव शर्मा और हर्षा आदि टैक्निकल टीम के सदस्य शामिल रहे।
गुरुकुल फार्म पर इस दल का ‘मल्चिंग’ और ‘सह-फसलें’ प्रोजेक्ट पर विशेष फोकस रहा। मल्चिंग किस प्रकार से खेती में सहायक है और इसका सही तरीका क्या है, इस बारे डाॅ. हरिओम ने विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्होंने फार्म पर सेब, आम और लीची के बाग और फलों की गुणवत्ता के बारे में बताया। डा. प्रदीप ने टीम सदस्यों को जीवामृत और घनजीवामृत को बनाने की पूरी प्रक्रिया और उसे खेतों में किस प्रकार और कब-कब डाला जाए इसका पूरा विवरण दिया। (SuATI ) प्रोजेक्ट के सभी सदस्यों ने गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रत के प्राकृतिक कृषि माडल की खुले दिल से प्रशंसा की। रामनिवास आर्य ने गुरुकुल की गोशाला में मौजूद देशी गाय के दुग्ध-क्षमता और उनके रखरखाव के बारे में अतिथियों को जानकारी दी। गुरुकुल के फार्म और गोशाला की विजिट के उपरान्त सभी अतिथि काफी खुश नजर आए और उन्होंने यहां पर हो रही प्राकृतिक खेती की प्रशंसा की साथ ही कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि गुरुकुल के फार्म की तर्ज पर SuATI प्रोजेक्ट तहत कर्नाटक, मध्य प्रदेश और आसाम में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि देश के अधिक से अधिक महिला किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़कर उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकें। अंत में GIZ के राजीव आहूजा जी ने गुरुकुल तथा NFTI के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक का आभार व्यक्त किया ।