अम्बाला – गत 25 मई शनिवार को देश की 18 वीं लोकसभा के गठन हेतू आम चुनाव की कड़ी के छठे चरण में देश के विभिन्न राज्यों में फैली कुल 58 लोकसभा सीटों, जिनमें अम्बाला (अनुसूचित जाति- एस.सी. आरक्षित) सहित हरियाणा की सभी 10 लो.स. सीटें भी शामिल थी. पर मतदान सम्पन्न हुआ.
जहाँ तक अम्बाला लोकसभा हलके का विषय है, तो भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा ताजा जारी आधिकारिक आंकड़ों अनुसार अम्बाला लोकसभा सीट पर मतदान का प्रतिशत 67.34 प्रतिशत रहा जो सिरसा ( 69.77 प्रतिशत) के बाद प्रदेश में दूसरे नंबर पर रहा. प्रदेश की सभी 10 लो.स. सीटों पर मतदान का औसत प्रतिशत 64.80 प्रतिशत रहा.
इसी बीच शहर के सैक्टर 7 निवासी हाई कोर्ट एडवोकेट और चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार ( 9416887788)
ने चुनाव आयोग से प्राप्त आंकड़ों का अवलोकन करने के बाद बताया कि अम्बाला लोक सभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या हालांकि 20 लाख 3 हज़ार 510 ( जनरल एवं सर्विस जोड़कर) है परंतु अगर उनमें से अगर सर्विस मतदाताओं को घटा दिया जाए तो यह संख्या 19 लाख 96 हज़ार 708 बनती है
जिसमें से 13 लाख 44 हजार 503 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. हालांकि इस सीट पर पंजीकृत कुल 6802 सर्विस मतदाताओं में से कितनो ने वोट दिया, यह आंकड़ा चुनाव आयोग द्वारा जारी नहीं किया गया है.
उन्होंनेे बताया कि कानूनन वोटो की गिनती के दौरान सम्बंधित चुनावी क्षेत्र/ सीट पर हुए मतदान में डाले गए कुल वैध वोटो का एक-छठा भाग अर्थात 16.66 प्रतिशत वोट उम्मीदवारो द्वारा हासिल करना आवश्यक होता है तभी उस चुनाव में वह अपनी जमा करवाई गयी जमानत राशि बचा सकते है. उन्होंने बताया कि यह 16 .66 प्रतिशत वोट प्राप्त करने की आवश्यकता जीते गए उम्मीदवार पर लागू नहीं होती बल्कि केवल हारने वाले उम्मीदवारों पर ही लागू होती है.
हेमंत ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 158 (4 ) के अनुसार अगर किसी चुनाव में कोई उम्मीदवार विजयी नहीं होता है, तो उसे अपनी ज़मानत राशि वापिस लेने के किये उस चुनाव में डाले गए कुल वैध वोटो का एक-छठा भाग या 16.66 प्रतिशत वोट लेने अनिवार्य होते है.
उन्होंने यह भी बताया की नोटा के पक्ष में डाले गए वोटो को चुनावो की गिनती के दौरान हारे गए उम्मीदवारों के लिए 16.66 फीसदी वोटो का आकलन करने की लिए वैध नहीं माना जाता एवं इन वोटो को कुल डाले गए वोटो में से घटा दिया जाता है.ज्ञात रहे कि पिछले दोनों लोकसभा चुनाव अर्थात अप्रैल, 2014 और मई, 2019 में अम्बाला लोकसभा सीट पर दोनों बार करीब 8-8 हज़ार वोट नोटा विकल्प के पक्ष में पड़े थे.
हेमंत ने यह भी बताया कि लोक सभा में जमानत राशि सर्प्रथम केवल 500 रूपये होती थी जिसे पहले वर्ष 1996 में इसे बढाकर दस हज़ार रूपये कर दिया गया फिर बाद में वर्ष 2010 वर्ष से इसे 25 हज़ार रुपये कर दिया गया जो आज तक लागू है. हालांकि अनुसूचित जाति ( एससी) और अनुसूचित जनजाति ( एसटी) के उम्मीदवारों के लिए किये उक्त राशि का केवल 50 फीसदी अर्थात 12 हज़ार 500 रूपये होती है और चूंकि अम्बाला लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, इसलिए यहां से चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों द्वारा 12 हजार 500 रूपये की जमानत राशि जमा करवाई गई है.
बहरहाल, हेमंत ने बताया कि अगर इस बार अंबाला लोकसभा सीट पर नोटा के वोटों को अधिकतम इस बार 10 हज़ार भी मान लिया जाए और सभी 6802 सर्विस मतदाताओं द्वारा इस बार पोस्टल बैलट ( इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिटिड मोड द्वारा भी) मार्फत मतदान किया मान लिया जाए, तो मौजूदा आंकड़ों के अनुसार करीब 2.25 लाख वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार की ही अम्बाला लोकसभा सीट पर जमानत राशि बच पाएगी. पिछले दो लोकसभा आम चुनाव अर्थात वर्ष 2014 और 2019 में विजयी रहे भाजपा के रतन लाल कटारिया के अतिरिक्त केवल कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार क्रमशः राज कुमार बाल्मीकि और कुमारी सैलजा की ही जमानत राशि बच पाई थी.