होम्योपैथी चिकित्सा की विश्व में बढ़ी है लोकप्रियता- डॉ. अनिल शर्मा।
होम्योपैथी दिवस पर आयुष विश्वविद्यालय में व्याख्यान का आयोजन।
श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के होम्योपैथी चिकित्सा केंद्र द्वारा बुधवार को होम्योपैथी दिवस पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता सैमुअल हैनीमैन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। मुख्य वक्ता रोहतक के जे.आर. किसान होम्योपैथिक कॉलेज के प्रोफेसर, अधिष्टाता होम्योपैथी डॉ. अनिल शर्मा रहे। उन्होंने क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सैमुअल हैनीमैन यूरोप के देश जर्मनी के निवासी थे। जो एक बहुत साधारण परिवार से आते थे। डॉ. हैनिमैन एलोपैथी के चिकित्सक होने के साथ-साथ कई यूरोपीय भाषाओं के ज्ञाता थे। हालांकि होम्योपैथी पद्धति की कारगरता और आरोग्यता के को लेकर विशेषज्ञ चिकित्सकों में मतभेद भले रहे हो मगर फिर भी विश्व में इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। भारत में इसकी लोकप्रियता सबसे ज्यादा है। यह चिकित्सा प्रणाली शरीर की अपनी उपचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक पदार्थों का प्रयोग करती है। जिसके सिद्धांतों को हैनिमैन ने 18वीं शताब्दी के अन्त में विकसित किया। उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक दवाएं पहाड़ की जड़ी बूटियों, सफेद आर्सेनिक जैसे खनिजों, और कुचल मधुमक्खियों जैसे जीव-जन्तुओं से बनाए जाते हैं। उपचार हर व्यक्ति की जरूरत के अनुसार तैयार किया जाता है। कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता की गई। उन्होंने कहा कि होम्योपैथिक पद्धति का उपयोग गंभीर बीमारी में दवा के पूरक और वैकल्पिक रूप में किया जाता है। मगर कुछ बीमारियों में यह चिकित्सा ज्यादा कारगर मानी जाती है। होम्योपैथी दो शताब्दियों से चल रही है जो आज तक मानवता की सेवा करती आ रही है। होम्योपैथिक चिकित्सा में न केवल इलाज किया जाता है, इसके साथ ही रोग के कारण को जड़ से खत्म कर, व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जाता है। जिसके चलते वर्तमान में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल भारत सहित कई यूरोपीय देशों में व्यापक रूप से किया जा रहा है। वशिष्ट अतिथि होम्योपैथिक फिजिशियन डॉ. अवनित सिंह वड़ैच और रुद्राक्ष शर्मा ने कहा कि बीमारी नई हो या पुरानी होम्योपैथी हर तरह की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए कारगर है। खासकर गर्मी के मौसम में लगने वाली बीमारियां हैजा, लू लगना, मियादी बुखार, सांस की तकलीफ, मलेरिया, डेंगू, जोड़ों का दर्द, एलर्जी एवं स्वाइन फ्लू आदि के इलाज में भी होम्योपैथी प्रणाली में बीमारी के सही लक्षणों की ठीक से जांच कर इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी के नुस्खे के साथ रोजाना जिंदगी में तबदिली लाई जाए तो बिना किसी बीमारी को तंदुरुस्त जीवन गुजारा जा सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. कुलजीत कौर द्वारा भी इस दिन के मह्तव पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव, प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना, डीन अकेडमिक अफेयर्स डॉ. जेके पंडा, डॉ. अनिल शर्मा चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. राजेंद्र सिंह, , डॉ. रिया शर्मा, डॉ. चक्रपाणी व अन्य मौजूद रहे।