कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर और श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र ) के अध्यक्ष ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ.सुरेश मिश्रा  ने बताया कि नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है।
चैत्र नवरात्रि  महोत्सव 9 अप्रैल 2024 नव संवत 2081 कालयुक्त से प्रारम्भ हो रहा है जिसके  राजा मंगल और मंत्री शनि है I 17 अप्रैल 2024 श्री रामनवमी और महानवमी तक चलेगा।
कई स्थानों में चौदस तिथि 22 अप्रैल 2024 तक भी व्रत रखते है I
नवरात्रि में 9 दिनों तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्र के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है।
नवरात्रि में घर पर मां दुर्गा की फोटो या मूर्ति को स्थापित करने के लिए लकड़ी की चौकी का होना जरूरी है  I
माता को लाल रंग का कपड़ा बहुत पसंद होता है ऐसे में चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपड़ा अवश्य होना चाहिए  I
कलश स्थापना में सोने, चांदी या मिट्टी के कलश का प्रयोग किया जा सकता  है  I
कलश स्थापना और मां दुर्गा की पूजा में आम के पत्तों का होना बहुत जरूरी होता है। आम के पत्तों से तोरण  द्वार  बनाना चाहिए  I
नवरात्रि में कलश स्थापना और पूजा में जटा वाला नारियल के साथ पान, सुपारी, रोली, सिंदूर, फूल और फूल माला,कलावा और अक्षत यानि साबूत चावल होना चाहिए।
हवन के लिए आम की सूखी लकड़ी, कपूर, सुपारी, घी और मेवा जैसी सामग्री का होना आवश्यक है I
पूर्ण सदगुरु के निर्देशन में ही शिष्य बनकर श्रद्धा और भक्ति से माँ दुर्गा की पूजा करने से ही दिव्य अनुभूतियाँ मिलती है आवश्यक है ,बिना सदगुरु के आध्यात्मिक क्षेत्र अधूरा और अज्ञात
 है I भगवान श्री राम जी  ने अपने सदगुरु महर्षि वशिष्ठ के निर्देश अनुसार साधना की और पूरे विश्व में अपने सदगुणों के कारण और सनातन धर्म की पताका के साथ  रघुवंश और माता पिता के नाम को प्रकाशित किया I
भगवान श्री राम को कौशल्या नन्दन और दशरथ नन्दन भी कहा जाता है I आज भी अच्छे माता पिता और बुजुर्गों की परमेश्वर से सच्ची प्रार्थना होती है कि हमारे घर में भी भगवान श्री राम जैसा श्रेष्ठ,शीलवान, आज्ञाकारी और गुणवान पुत्र हो I
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान इस प्रकार होता है  :
●  प्रथम नवरात्रि  : माँ शैलपुत्री पूजा की जाती है I  यह माँ दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है I
 मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं I
●  द्वितीय नवरात्रि  : माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है I ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार माँ ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं I  विशेष  पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं I
●  तृतीया नवरात्रि : माँ चंद्रघंटा पूजा होती है I चंद्रघंटा  देवी शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं I  देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं I
●  चतुर्थ नवरात्रि : माँ कूष्मांडा रूप में पूजा की जाती है I  माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है I
●  पंचम नवरात्रि : माँ स्कंदमाता रूप की पूजा होती है I  माँ  स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं I
●  षष्ठ नवरात्रि : माँ कात्यायनी रूप की  पूजा होती है I  माँ कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  सप्तमी नवरात्रि : माँ कालरात्रि रूप में पूजा होती है I  कालरात्रि माँ शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं I
●  अष्टमी नवरात्रि : माँ महागौरी रूप में  पूजा होती है I माँ महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। विशेष पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  नवमी नवरात्रि : माँ सिद्धिदात्री रूप में पूजा होती है I  सिद्धिदात्री माँ केतु ग्रह को नियंत्रित करती  हैं। विशेष पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं I
नवरात्रि में नौ रंगों का महत्व :
नवरात्रि के समय हर दिन का एक विशेष रंग होता है। मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आप  प्रतिपदा को पीला,  द्वितीया को हरा,  तृतीया को भूरा, चतुर्थी को नारंगी, पंचमी को सफेद,षष्ठी को लाल,  सप्तमी को नीला,अष्टमी को गुलाबी और नवमी को  बैंगनी रंग के वस्त्र पूजा में  पहन सकते है I घर के मुख्य द्वार पर रंगोली भी नौ दिन इन रंगों से बना सकते है I  शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में ही भगवान श्रीराम ने माँ दुर्गा की आराधना कर महाविद्वान रावण का वध किया था और समाज को यह संदेश दिया था कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है I  केवल चरित्रवान ही पूजा जाता है I सदगुण और अवगुण के कारण ही कोई हीरा है तो कोई पत्थर है I  मानव जीवन 84 लाख योनियों के बाद भगवान की कृपा से ही मिलता है I मानव परमात्मा के नाम सुमिरन से देवताओं से श्रेष्ठ बनकर निर्वाण और मोक्ष प्राप्त कर सकता है I पूर्ण सतगुरु ही श्रेष्ठ मार्ग दिखाता है I असली सिक्ख हमेशा गुरु के निर्देशन में सीख कर ही सुमिरन करता है I
जहाँ भी नारी की पूजा और सम्मान होता है वही सुख समृद्धि होती है और दिव्य कृपा होती है I

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