31 मार्च 2004 तक खुली जगह समेत 500 वर्ग तक बाजार शुल्क से कम पर घरों का निर्माण करने वाले लोग होंगे लाभांवित
पिहोवा, 6 मार्च :
राज्य मंत्री सरदार संदीप सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार पंचायती जमीन पर कृषि कार्य कर रहे किसानों को मालिकाना हक देने जा रही है। मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्वी पंजाब भूमि उपयोग अधिनियम 1949 के तहत संशोधन किया गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार गठित विशेष कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पट्टेदार किसानों को मालिकाना हक देने का पूरा बिल तैयार  करवा कर कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई है।  इसके तहत पूर्वी पंजाब भूमि उपयोग अधिनियम 1949 के तहत जिन लोगों ने शामलात भूमि को 20 साल के लिए पट्टे पर लिया था। सरकार ने उन्हें मालिकाना हक देने का फैसला लिया है। नए नियम के मुताबिक पट्टेदारों को ग्राम पंचायत को निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा। यह राशि अभी तय नहीं की गई है। सरकार बाद में इस राशि को निर्धारित करेगी। इस दायरे में वे लोग ही आएंगे। जिन्होंने 31 मार्च 2004 तक खुली जगह सहित 500 वर्ग तक बाजार शुल्क से कम पर घरों निर्माण किया होगा। मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961 में आगे संशोधन करने के लिए हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) संशोधन विधेयक, 2024 के प्रारूप को दी स्वीकृति प्रदान की है।  संशोधन के अनुसार, शामलात देह में भूमि का स्वामित्व, जो पूर्वी पंजाब भूमि उपयोग अधिनियम 1949 के तहत 20 साल की अवधि के लिए पट्टे के आधार पर आवंटित किया गया था और मूल आवंटी, हस्तांतरण करने वाला या उनके मूल आवंटी के खेती अधिकार में शामिल है और उनके कानूनी उत्तराधिकारी को तत्काल प्रभाव से शामलात देह के दायरे से बाहर रखा जाएगा। इसके अलावा यह प्रस्तावित है कि मूल पट्टेदार, हस्तांतरण करने वाला या उनके कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा संबंधित ग्राम पंचायत को एक निर्धारित राशि का भुगतान करना आवश्यक होगा। कलेक्टर द्वारा सिद्धांतों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए आवेदक की प्रार्थना पर राशि निर्धारित की जाएगी। शामलात देह भूमि पर बसे लोगों की सबसे ज्यादा संख्या कुरुक्षेत्र के पिहोवा और कैथल के गुहला चीका में है। राज्य मंत्री संदीप ने बताया कि काफी लंबे समय से  पट्टेदार व काश्तकारों की मालिकाना हक को लेकर मांग उठती रही है। यह निर्णय प्रदेश के किसान वर्ग के हित में यह एक बहुत बड़ा फ़ैसला होगा। ऐसी संपत्तियों में प्रदेश की लाखों एकड़ ज़मीन आती है। जिसमें जुमला मालकान, मुश्तरका मालकान, शामलात देह, जुमला मुश्तरका मालकान, आबादकर, पट्टेदार, ढोलीदार, बुतमिदार व मुक़रीदार व अन्य लाखों काश्तकारों की संपत्तियां आती हैं।  राज्य मंत्री ने बताया कि वे पिछले लगभग तीन साल से पट्टेदार किसानों को मालिकाना हक दिलवाने का कानून की पैरवी कर रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद जब उन्होंने गांव कराह साहिब, मोहनपुर, दीवाना, अधोया आदि क्षेत्र के गांवों का दौरा किया तो वहां के लोगों ने उनके सामने समस्या रखी थी कि बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से यहां आने के बाद यह जमीनें उन्हें पट्टे पर दी गई थी। जिस पर से जंगलों को काटकर उनके बुजुर्गों ने दिन रात मेहनत करके इन जमीनों को खेती के लिए आबाद किया था। लेकिन आज भी वे इन जमीनों पर पट्‌टेदारों  के रूप में काश्त कर रहे हैं। तभी से उन्होंने ऐसे किसानों को मालिकाना हक दिलाने की पैरवी शुरू कर दी थी। नए कानून से गांव कराह साहिब, बोधनी, मोहनपुर, कलसा, बोधनी, कुपियां प्लाट आदि गांवों के सैकड़ो किसानों को फायदा होगा।

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