चंडीगढ़ –  बीते  मंगलवार  हरियाणा सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 3 दर्जन से ऊपर एचसीएस ( हरियाणा सिविल सेवा) अधिकारियों के ताजा तैनाती आदेश जारी किए गए जिसमें 2016 बैच की महिला एचसीएस अधिकारी अदिति को अंबाला नगर निगम में बतौर ज्वाइंट कमिश्नर ( संयुक्त आयुक्त ) तैनात किया गया है. इससे पूर्व अदिति पानीपत के इसराना में एसडीएम के पद पर तैनात थी.

शहर के सेक्टर 7 निवासी  हाईकोर्ट  एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक  हेमंत कुमार ( 9416887788)  ने बताया कि महिला एचसीएस अदिति कुछ वर्षों पूर्व‌ भी अंबाला जिले में तैनात रह चुकी हैं एवं वह नारायणगढ़ में एसडीएम भी तैनात रही थी. बहरहाल चार माह पूर्व नवंबर, 2023

में हरियाणा सरकार द्वारा 2023 बैच के एचसीएस अधिकारी पुनीत  को नगर निगम, अंबाला में बतौर ज्वाइंट कमिश्नर तैनात किया गया था जो आज भी इसी पद पर आसीन हैं
इस प्रकार अंबाला नगर निगम में दो ज्वाइंट कमिश्नर होंगे. मौजूदा व्यवस्था अनुसार नगर निगम में एक ही नहीं बल्कि प्रदेश सरकार उससे अधिक भी एचसीएस अधिकारियों को ज्वाइंट कमिश्नर‌ के पद पर तैनात कर सकती  है.

हेमंत  ने  बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 के चौथे चैप्टर ( भाग)   में,  जहां नगर निगम के अंतर्गत  म्युनिसिपल प्राधिकारियों (अथॉरिटीज ) का उल्लेख है, में हालांकि केवल नगर निगम  कमिश्नर (आयुक्त) के पद का ही उल्लेख है एवं  उसमें  न  एडिशनल कमिश्नर, न जॉइंट कमिश्नर और न ही डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर पद का उल्लेख किया गया  है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 में  तत्कालीन हुड्डा  सरकार ने हरियाणा नगर निगम  कानून, 1994 में संशोधन कर धारा 2 में नई उपधारा 4 ए जोड़कर  उसमें  जॉइंट कमिश्नर के पद का  सन्दर्भ तो डाल दिया था एवं इस सम्बन्ध में  जॉइंट कमिश्नर को कम्पीटेंट अथॉरिटी (सक्षम प्राधिकारी) के रूप में  एवं नयी धाराएं 408 ए , 408 बी एवं 408 सी डालकर जॉइंट कमिश्नर को कुछ  परिस्थितियों  में नगर निगम की  संपत्ति के सम्बन्ध में आदेश पारित  करने एवं उनकी अनुपालना करवाने  बाबत शक्ति प्रदान प्रदान की गयी एवं नगर निगम कमिश्नर को जॉइंट कमिश्नर के आदेशों के विरूद्ध अपील सुनने  और उनका  निपटारा करने सम्बन्धी शक्ति  प्रदान की गयी परन्तु ऐसा करते समय 1994 कानून   की चैप्टर 4 में उपयुक्त  संशोधन कर जॉइंट कमिश्नर के पद को नगर निगम के अंतर्गत म्युनिस्पल अथॉरिटी के तौर पर स्पष्ट करने  सम्बन्धी संशोधन नहीं किया गया जिस कारण इस ज्वाइंट कमिश्नर पद की कानूनी मान्यता पर संशय उत्पन्न होता है.

अब ऐसा भूलवश हुआ या किसी अन्य कारण से, यह देखने लायक होगा.  ज्ञात रहे  कि 14 फरवरी 2007,  जब से उक्त संशोधन लागू हुआ तब प्रदेश में केवल एक ही फरीदाबाद नगर निगम थी जिसके बाद से आज तक प्रदेश  में  दस और नगर निगम स्थापित की गयी है.

हेमंत ने बताया कि  प्रदेश के मौजूदा 11 नगर निगमों में  कमिश्नर (आयुक्त ) के पद पर आई.ए.एस. अधिकारियों को तैनात करने के अलावा वर्तमान में तीन नगर निगमों में   वरिष्ठ एच.सी.एस. (हरियाणा सिविल सेवा ) और आईएएस अधिकारियों को  एडीशनल (अतिरिक्त) कमिश्नर के पद एवं जूनियर एच.सी.एस. को जॉइंट  (संयुक्त) कमिश्नर के पद पर भी  तैनात किया गया है.

इसी प्रकार प्रदेश की  हर नगर निगम में  एक -एक डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर (डी.एम.सी. )  भी तैनात हैं जिन्हे  जनवरी, 2022  में तत्कालीन शहरी स्थानीय निकाय महानिदेशक  द्वारा जारी एक आदेश से जिला स्तर पर एनडीसी (नो  ड्यू सर्टिफिकेट ) हेतु नोडल अधिकारी भी नियुक्त  किया गया था.
हालांकि ध्यान देने योग्य है कि उक्त पदों को आज तक हरियाणा  नगर निगम कानून, 1994 में म्युनिसिपल अथॉरिटी के तौर पर शामिल ही नहीं किया गया है.

हेमंत ने बताया कि   डी.एम.सी. का  पद, जो हालांकि  विभागीय पद अर्थात गैर-आईएएस और गैर-एचसीएस श्रेणी का होता  है, उसके बारे में  भी  हरियाणा नगर निगम कानून,   1994 में   उल्लेख तक नहीं किया गया है.
डीएमसी पर नगर निगमों  में एग्जीक्यूटिव आफिसर  (ई.ओ.) के पद से पदोन्नत अधिकारी तैनात किये जाते हैं.

रोचक परंतु आश्चर्यजनक यह भी ‌है कि आज तक डी.एम.सी. का पद
हरियाणा नगर निगम कर्मचारी (भर्ती और शर्तें ) सेवा नियमों, 1998 में भी शामिल नहीं किया गया है. यह नियम‌ प्रदेश सरकार द्वारा  हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 67(2) के अंतर्गत  सितम्बर, 1998 में  बनाये गये थे‌ जिनमें  समय समय पर संशोधन किया जाता रहा है.

हेमंत ने बताया कि हालांकि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 67 में प्रदान शक्तियों का  प्रयोग कर राज्य सरकार प्रदेश की नगर निगमों के लिए विभिन्न वर्गों के पद सृजित कर सकती है एवं  इसके अंतर्गत  डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर  का पद भी सृजित जा सकता है परन्तु अगर इस पद पर तैनात अधिकारी को निर्धारित शक्तियां प्रदान कर उसे नगर निगम में  म्युनिसिपल  अथॉरिटी बनाना है, तो इस बारे में कानून में स्पष्ट उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए अन्यथा डी.एम.सी.  के आदेशो और निर्देशों को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

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