कथक नृत्य से कलाकारों ने मोहा दर्शकों का मन, दिखाई शास्त्रीय नृत्य की झलक
……………..
कला कीर्ति भवन में आठ दिवसीय बसंत उत्सव के पहले दिन दिखी सांस्कृतिक झलक
………
कुरुक्षेत्र 12 फरवरी। लोक कलाकार सदैव अपनी प्रतिभा तथा हुनर से अपने प्रदेश की संस्कृति का परिचय देते हैं। लोक संस्कृति ही किसी भी प्रदेश को महान् बनाती है। लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की जानी वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियां न केवल उनके प्रदेश की सभ्यता व संस्कृति का बखान करती है, बल्कि उस प्रदेश के सामाजिक परिवेश का भी दर्शन कराती हैं। ये कहना था प. दीन दयाल उपाध्याय अध्ययन केंद्र के उपनिदेशक डा. जितेंद्र का। मौका था कला कीर्ति भवन में हरियाणा कला परिषद् द्वारा आयोजित आठ दिवसीय बसंत उत्सव के उद्घाटन अवसर का। इस मौके पर हरियाणा और पंजाब के कलाकारों ने अपने प्रदेश के लोक रंग प्रस्तुत किये। कार्यक्रम से पूर्व हरियाणा कला परिषद के निदेशक नागेंद्र शर्मा ने मुख्यअतिथि डा0 जितेंद्र को पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। बसंत उत्सव का आगाज मुख्यअतिथि डा0 जितेदं्व निदेशक नागेंद्र शर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम से पूर्व नागेंद्र शर्मा ने दर्शकों को सम्बोंधित करते हुए बसंत आगमन की बधाई दी तथा आठ दिवसीय बसंत उत्सव की रुपरेखा सांझा की। ंकार्यक्रम में पहली प्रस्तुति कत्थक नृत्य की रही। जिसमें कुरुक्षेत्र से डा0 अमरजीत कौर और उनके कलाकारों ने शिवस्तुति रुद्राष्टकम प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोहा। इसके बाद हरियाणा प्रदेश के रोहतक से आए शीशपाल और उनके साथियों द्वारा बम लहरी नृत्य प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया। वहीं पंजाब के पटियाला से रवि कुन्नर और उनके कलाकारों ने हीर दी कली गीत सुनाकर पंजाब की खुशबू को लोगों तक पहुंचाया। इसके बाद डा0 अमरजीत कौर ने कत्थक के तकनीकी पक्षों को अपने नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसके साथ ही हरियाणवी वेशभूषा में सजे हरियाणा के कलाकार घूमर नृत्य के लिए मंच पर पहुंचे तो दर्शकों ने गर्मजोशी के साथ कलाकारों का स्वागत किया। पीले रंग की वेशभूषा में कलाकारों ने बसंत को सार्थक करते हुए अपने नृत्य की प्रस्तुति दी। वहीं पंजाब का जिंदुआ लोगों को आकर्षित करने में कामयाब रहा। पंजाब के गबरु जवान और मुटियारों को मंच पर थिरकते देख दर्शक भी खुद रोक नहीं पाए और ढ़ोल की थाप पर थिरकते नजर आए। इसके अलावा कत्थक नृत्य में वर्षामंगल, हरियाणवी नृत्य में सावन नृत्य भी कार्यक्रम को कामयाब बनाने में सफल रहा। हरियाणवी लोक गायिका पूनम रानी की गायकी ने भी हरियाणवी संस्कृति की झलक दिखाई। जहां एक ओर हरियाणवी और पंजाबी नृत्यों की धूम रही, वहीं कत्थक नृत्य ने भी भरपूर वाहवाही बटौरी। अंतिम प्रस्तुति पंजाब के भंगड़ा की रही, जिसमें एक से बढ़कर एक करतब दिखाते हुए पंजाब के गबरु जवान अपने नृत्य से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर रहे थे। इसके अतिरिक्त नवीन नाथ बीन वादक और नानकचंद नगाड़ावादक ने सभागार के बाहर अपने वाद्ययंत्रों से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्यअतिथि डा. जितेंद्र ने सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। वहीं नागेंद्र शर्मा ने मुख्यअतिथि को स्मृति चिन्ह देकर आभार व्यक्त किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *