कुरुक्षेत्र, 11 फरवरी। 
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान व संस्कृत पालि व प्राकृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में “रामचरित्र व छात्र जीवन“ विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्नातकोत्तर कक्षा की छात्रा सिमरन ने वाग्देवी की आराधना से किया। कार्यक्रम की आयोजिका संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान की निदेशिका व संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्षा प्रोफेसर कृष्णा देवी ने मुख्य वक्ता व समस्त अतिथियों का स्वागत किया।
इस व्याख्यान में ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित रहे मुख्य वक्ता जगतगुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के सहायकाचार्य डॉ. शास्त्री कौसलेंद्र दास  ने बताया कि राम के समक्ष संपूर्ण जीवन में अनेक कष्ट और चुनौतियां विद्यमान रही फिर भी उन्होंने धैर्य का त्याग नहीं किया व कभी भी मर्यादाविहीन नहीं हुये। वेद में प्रतिपादित धर्म के संपूर्ण अंगों का अपने जीवन में राम ने विधिवत परिपालन किया व एकाग्रता के साथ अल्पकाल में ही समस्त विधाओं का अध्ययन कर लिया था। आज के समय में विद्यार्थियों के लिए राम के चरित्र से यह ग्रहण करना आवश्यक है कि केवल अध्ययन ही छात्र जीवन की मर्यादा है।
उन्होंने बताया कि राम के चरित्र से सीता के चरित्र का स्वतः ही ग्रहण हो जाता है। सीता का चरित्र भी उतना ही महत्वपूर्ण व प्रेरणीय है जितना की राम का चरित्र।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ललित कुमार गौड ने राम के चरित्र के विभिन्न आयामों को छात्रों के समक्ष रखा व युवाओं में विकसित हो रही सांस्कृतिक परिवर्तन की भावना व सांस्कृतिक समझ को स्वीकार किया।
कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि के रूप में संस्कृत विभाग की पूर्व अध्यक्षा प्रोफेसर विभा अग्रवाल ने बताया कि विद्यार्थियों का राम के चरित्र के प्रति आकर्षित होना व तदनुसार आचरण करना प्रशंसनीय है। कार्यक्रम का संयोजन संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान के सहायकाचार्य डॉक्टर विनोद कुमार शर्मा ने किया।
इस कार्यक्रम में प्रोफेसर सुषमा, डॉ. विश्वम्बर, डॉ. तेलुराम, डॉ. विजय श्री, डॉ. कृष्ण आर्य व शोधछात्र कुसुम, अंजू, मोनिका, चन्द्रपाल प्रवीण व स्नातकोत्तर कक्षा के छात्र उपस्थित रहे।

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