अम्बाला, 5 फरवरी –
उपायुक्त डा0 शालीन ने सोमवार को अपने कार्यालय में जिला अम्बाला में बेसहारा पशुओं के रख-रखाव के बारे नगर निगम, नगर परिषद, पशुपालन विभाग व अन्य सम्बन्धित अधिकारियों के साथ बैठक लेकर समीक्षा की। बैठक में डीएमसी दीपक सूरा, सचिव बराड़ा राजेश कुमार के साथ-साथ पशुपालन विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
उपायुक्त डा0 शालीन ने बेसहारा पशुओं के रख-रखाव बारे जिला में इनकी संख्या कितनी है, इनका रख-रखाव किस प्रकार किया जा सकता है, इसकी विस्तार से समीक्षा की। डीएमसी दीपक सूरा ने उपायुक्त को बताया कि डंगडेहरी में बेसहारा पशुओं के लिये नगर निगम द्वारा गौशाला/नंदीशाला का निर्माण किया जाएगा और इसके लिये लगभग 6.5 एकड़ जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्य के लिये नगर निगम की फाइनेंसियल कांट्रेक्ट कमेटी में यह प्रस्ताव भी पास हो चुका है। गौशाला/नंदीशाल के निर्माण पर 5 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि गौशाला का टैंडर लगा दिया गया है और 13 फरवरी को यह खुलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम द्वारा शहर में जो भी बेहसहारा पशु हैं, उनको पकडऩे बारे पानीपत की एक एजेंसी को अधिकृत किया गया है जोकि इन आवारा पशुओं को पकडक़र नगर निगम के तहत आने वाली नजदीक की गौशालाओं में पंहुचाएंगे। डीएमसी ने उपायुक्त को यह भी बताया कि डंगडेहरी में गौशाला/नंदी शाला में लगभग 5000 पशुओं को रखने की व्यवस्था होगी। पशुओं के बेहतर रख-रखाव के लिये टैंडर के माध्यम से संस्था का भी चयन किया जाएगा।
उपायुक्त ने बैठक के दौरान सम्बन्धित अधिकारियों को कहा कि इस कार्य में तेजी लाना सुनिश्चित करें और बेहतर समन्वय बनाकर इस कार्य को करवाएं ताकि जो भी आवारा पशु हैं, उन्हेें यहां पर स्थानानन्त्रित किया जा सके। इस नई गौशाला के बनने से निस्संदेह लोगों को काफी फायदा मिलेगा और आवारा पशुओं के चलते होने वाली परेशानियों से भी काफी हद तक निजात मिलेगी।
बॉक्स:- नगर परिषद से आये अधिकारियों ने उपायुक्त को बताया कि अम्बाला सदर में लगभग 300 बेसहारा पशुओं के दृष्टिगत नगर परिषद द्वारा नजदीकी गौशाला में छोडऩे के लिये टैंडर आमंत्रित किये गये हैं, जिसमें दो कम्पनियों ने भाग लिया है और जल्द ही टैंडर की शर्तें पूरी करने वाली कम्पनी को ठेका अलॉट कर दिया जाएगा ताकि आवारा पशुओं को पकडऩे का कार्य शुरू हो सके। इसके अलावा आमजन की सुरक्षा के लिये आवारा पशुओं से होने वाली दुर्घटना से बचाव के लिये पशुओं के गले में रिफलैक्टर डाले गये हैं।

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