30 जनवरी 2024 राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 76वीं पुण्यतिथि पर विशेष
चंडीगढ़- 30 जनवरी 2024 मोहनदास करमचंद गांधी अर्थात हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, जिन्हें देशवासियों द्वारा पूज्य बापू के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है, की 76 वीं पुण्यतिथि हैं. 30 जनवरी, 1948 को शाम 5 बज कर 17 मिनट पर जब गांधीजी सायंकाल की सर्वधर्म प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे, तो दिल्ली के बिरला हाउस (वर्तमान नाम गाँधी स्मृति) के प्रांगण में तथाकथित हिन्दू राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे ने पॉइंट ब्लेंक रेंज से तीन गोलियां चलाकर गांधीजी की हत्या कर दी थी. निधन के समय उनकी आयु 78 वर्ष थी.
बहरहाल, इस विषय पर शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि गांधीजी की हत्या के मुख्य आरोपी गोडसे और 7 अन्य सह -आरोपियों के विरूद्ध मई, 1948 में हत्या का मामला चलाया गया. एक लम्बे क्रिमिनल ट्रायल (फौजदारी मुक़दमे ) के बाद अंतत: गोडसे और एक सह-आरोपी नारायण आप्टे को गांधीजी की हत्या का दोषी पाया गया और इन दोनों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी जबकि छ: अन्य सह-आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी . अंतत: 15 नवम्बर, 1949 को अम्बाला की सेंट्रल जेल (केंद्रीय कारावास ) में ही गोडसे और आप्टे को फांसी दी गयी थी.
बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि जून, 2007 में यूनाइटेड नेशंस असेम्बली (संयुक्त राष्ट्र महासभा) ने 2 अक्टूबर गांधीजी के जन्मदिन को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय नॉन-वायलेंस (अहिंसा) दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था.
उन्होंने आगे बताया कि हम सभी भारत के नागरिक बचपन में अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा से ही यही पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि गांधीजी हमारे भारत देश के राष्ट्रपिता हैं. हालांकि सत्य यह है कि आधिकारिक तौर पर ऐसा नहीं है . आज से कुछ वर्ष पूर्व जब प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आर.टी.आई. याचिका दायर कर उस सरकारी आदेश अथवा अधिसूचना की प्रति प्रदान करने की मांग की गयी जिसके अंतर्गत महात्मा गाँधी को “राष्ट्रपिता” का आधिकारिक दर्जा प्रदान दिया गया है तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने उस याचिका को केंद्रीय गृह मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया जहाँ से उसे नेशनल आर्काइव (राष्ट्रीय अभिलेखागार) के कार्यालय में भेज दिया गया परन्तु इस सम्बन्ध में वहां भी कोई भी कोई सरकारी आदेश या अधिसूचना उपलब्ध नहीं हुई. बाद में यह निकलकर सामने आया कि आज तक भारत सरकार ने गांधीजी को आधिकारिक तौर पर “राष्ट्रपिता” का दर्जा प्रदान नहीं किया गया है.
हेमंत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 18 के अंतर्गत सरकार किसी व्यक्ति को सैन्य या विद्या (शैक्षणिक) क्षेत्र में सम्मान के अलावा कोई अन्य उपाधि (टाइटल ) प्रदान नहीं कर सकती है परन्तु “राष्ट्रपिता” का दर्जा किसी भी उपाधि की श्रेणी में नहीं आता एवं ऐसा करने में कोई कानूनी या संवैधानिक अड़चन नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि आज तक देश की चार दर्जन से ऊपर महान हस्तियों को राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” दिया गया है. एक सप्ताह पूर्व केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को भी मरणोपरांत भारत रत्न प्रदान करने की घोषणा की गयी है. बहरहाल, आज तक महात्मा गाँधी का नाम भारत रत्न की सूची में शामिल नहीं है क्योंकि गांधीजी की शख्सियत भारत रत्न के सम्मान से कहीं ऊपर हैं. ऐसे में मोदी सरकार को बिना किसी और विलंब के महात्मा गाँधी को औपचारिक एवं आधिकारिक तौर पर “राष्ट्रपिता” का दर्जा प्रदान करना चाहिए. एडवोकेट हेमंत ने आज भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर अनुरोध किया है कि महात्मा गाँधी को “राष्ट्रपिता” का औपचारिक एवं आधिकारिक दर्जा प्रदान किया जाए जैसा कि हमारे देश की स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज तक असीम श्रद्धा और सम्मान के रूप में हर भारतवासी द्वारा उन्हें प्रदान किया जाता है.