कुरुक्षेत्र।  हरियाणा की नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग को लेकर हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन रणधीर सिंह बिधराण ने कुरुक्षेत्र से संघर्ष की पहली शुरू की है इस पल का समर्थन हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पूर्व ओएसडी महेंद्र सिंह चोपड़ा ने भी समर्थन किया है।
कुरूक्षेत्र में हरियाणा बनाओ अभियान के नाम से एक संगठन द्वारा आयोजित सेमिनार में सैकड़ों अधिवक्ता प्रोफेसर, सरपंच और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी प्रतिभागियों ने हरियाणा की नई राजधानी और अलग उच्च न्यायालय बनाने की मांग उठाने का प्रस्ताव पारित किया। चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुडा के पूर्व ओएसडी एम एस चोपड़ा भी उपस्थित थे।  उन्होंने सेमिनार में मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में अपना भाषण दिया। मुख्य समारोह की व्यवस्था एवं आयोजन पूर्व अध्यक्ष बार काउंसिल रणधीर सिंह बधराण एवं उनके सहयोगियों द्वारा किया गया। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष केके गुप्ता ने भी हरियाणा की नई राजधानी और अलग हाईकोर्ट के मुद्दे पर अपना पूरा समर्थन दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता गुरमेज सिंह, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जगरूप सिंह, पूर्व अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन करनाल चांदवीर सिंह मंधान एडवोकेट कर्मबीर सिंह मंढाण एडवोकेट करण सिंह मंढाण, एडवोकेट हरपाल सिंह सुखदेव सिंह, देवेंदर सिंह, सुमेर करोण, यादविंदर सिंह श्योराण, सतीश सांगवान एडवोकेट, ईश्वर सिंह गोयत, रवि कांत सैन एडवोकेट, राकेश कटलारी, दीना नाथ अरोड़ा एडवोकेट। प्रोफेसर सुभाष सैनी, तरसेम गर्ग एडवोकेट, चंदीराम एडवोकेट अंकित गौतम उपाध्यक्ष, मनोज वशिष्ठ पूर्व अध्यक्ष, विजेंदर बांगर, सुखदेव जठलाना, परवीन मलिक, मनफूल सिंह, साधुराम, अनिमेष भारद्वाज,, विकास तोमर, राजबीर देसवाल, आशीष दलाल,, गवरव शर्मा, संदीप मलिक, आनंद गर्ग,, मोहन लाल, जसविंदर वर्तिया, सतपाल, राजिंदर सिंह, सुखबिंदर डांडयान, जसबीर थोल, त्रिलोचन सिंह, संजीव धवन, राहुल सैनी अमित अटवान, दीपका सेठी रजत दहिया विक्रांत कुंडू , भारत भूषण
(सभी वकील) उपस्थित थे।
जिला बार एसोसिएशन कैथल के अध्यक्ष और सचिव जिला बार एसोसिएशन कुरुक्षेत्र सहित सैकड़ों अन्य वकील भी उपस्थित थे। संगठन के संस्थापकों ने घोषणा की कि अब वे प्रत्येक जिले में सेमिनार आयोजित करेंगे और आने वाले दिनों में उपमंडल स्तर पर हरियाणा बनाओ अभियान के बैनर तले हरियाणा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जनमत तैयार करें।
व्याख्यान के दौरान एम एस चोपड़ा ने हरियाणा में हरियाणा की राजधानी के निर्माण के महत्व पर प्रकाश डाला और निम्नानुसार बताया।
पंजाबी सूबा आंदोलन के परिणामस्वरूप विभाजित संयुक्त पंजाब के हिंदी भाषी हिस्से हरियाणा को पंजाब से अलग हुए 57 साल हो गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस क्षेत्र को अभी तक पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा नहीं मिल सका है क्योंकि इसे अपनी अलग राजधानी और अलग उच्च न्यायालय प्राप्त किया। मिला। संयुक्त पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बना दिया गया।
सदियों बाद (सम्राट हर्षवर्द्धन के शासनकाल की समाप्ति के बाद) हरियाणा क्षेत्र को पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली। इस क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास एवं समृद्ध प्राचीन संस्कृति के आधार पर विशेष पहचान बनाने का सुनहरा अवसर व्यर्थ जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व ने परिपक्वता और दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी अलग राजधानी और उच्च न्यायालय बनाकर हिमाचल प्रदेश को एक अलग पहचान और पूर्णता प्रदान की। रावी-ब्यास के अधिशेष जल के बंटवारे और हिंदी भाषी क्षेत्रों के हस्तांतरण को राजधानी से जोड़कर इसे एक भावनात्मक मुद्दा बनाकर एक ऐसी पहेली खड़ी कर दी है, जिसे निकट भविष्य में सुलझाना आसान नहीं होगा। लम्बे समय तक यथास्थिति कायम रहने के कारण इस विषय को लगभग भुला दिया गया है।
भारत में हरियाणा की पवित्र भूमि अपनी प्राचीन सभ्यता, समृद्ध संस्कृति, गौरवशाली इतिहास, आध्यात्मिक समृद्धि और सामाजिक सद्भाव के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस क्षेत्र में स्थित दिल्ली कई सुल्तानों, राजाओं की, थानेसर सम्राट हर्ष वर्धन की और लोहगढ़ प्रथम सिख राज की राजधानी रही है, लेकिन आज का हरियाणा अपनी राजधानी से वंचित है। आज हरियाणा के लोगों के पास अपनी विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने तथा आधुनिक आर्थिक प्रगति और उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए कोई केंद्रीय स्थान नहीं है। हरियाणा अस्तित्व में तो आया लेकिन उसकी समृद्ध पहचान विकसित नहीं हो सकी। इसने अभी तक विशेष पहचान एवं पूर्णता प्राप्त नहीं की है। इस स्थिति के लिए किसी को दोषी ठहराना न तो उचित है और न ही लाभदायक। हमें अतीत को भूलना होगा और आज की बुनियाद पर भविष्य का निर्माण करने का निर्णय लेना होगा। हमें दोनों राज्यों के बीच मधुर संबंध कायम रखते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ना है।
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हरियाणा में सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी
आज हरियाणा में सबसे गंभीर समस्या बेरोजगारी है। निराश युवा नशे और अपराध का शिकार हो रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं या अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं। केवल सरकारी रिक्तियों पर भर्ती से समस्या का समाधान नहीं हो सकता। इसके लिए रोजगार के नए अवसर तलाशने और पैदा करने होंगे। जिसमें राज्य की नई राजधानी का निर्माण इस समस्या के समाधान में अहम भूमिका निभाएगा। गुरुग्राम की तरह, विदेशी और निजी द्वारा अरबों/खरबों रुपये के संभावित निवेश से लाखों विभिन्न प्रकार की नौकरियां पैदा होंगी।
उचित स्थान पर आधुनिक राजधानी के निर्माण से राज्य के अविकसित क्षेत्रों के विकास को नई गति मिलेगी और यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने तथा इसे अनाज अर्थव्यवस्था से मस्तिष्क अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में प्रभावी रूप से सहायक होगा।
रणधीर सिंह बधरणान ने हरियाणा की राजधानी और अलग उच्च न्यायालय के मुद्दे पर प्रकाश डाला।
इसमें हरियाणा के महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करने के लिए समाज के अन्य संप्रदायों को भी शामिल किया जाएगा। मंच के वकील हरियाणा और पंजाब की अलग बार की भी मांग कर रहे हैं और अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए हरियाणा के वार्षिक बजट में बड़े प्रावधान करने और हरियाणा की अलग बार काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति लाभ लागू करने की भी मांग कर रहे हैं। चूँकि कई अन्य राज्यों ने पहले ही अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के वार्षिक बजट में बजटीय प्रावधान कर दिए हैं। अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए हरियाणा में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है। रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के 14,25,047  से अधिक मामले हरियाणा के जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और 6,19,2,192 से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। अनुमान है कि हरियाणा के 45 लाख से अधिक लोग मुकदमेबाजी में शामिल हैं और अधिकांश वादकारी मामलों के निपटारे में देरी के कारण प्रभावित होते हैं। त्वरित निर्णय के मुद्दे हरियाणा के वादकारियों और अधिवक्ताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग-अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है। मंच की हरियाणा की सीमा के भीतर एक और नई राजधानी की मांग भी उतनी ही महत्वपूर्ण है

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