कुरुक्षेत्र, 24 दिसम्बर। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में केयू के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में आयोजित हरियाणा पैवेलियन हरियाणवी संस्कृति की अमिट छाप छोड़ गया। 17 दिसंबर को हरियाणा पैवेलियन का उद्घाटन महामहिम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी उपस्थित थे। 8 दिन तक चले हरियाणवी पांडाल में जहां एक ओर हरियाणवी व्यंजन पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे वहीं पर दूसरी ओर हरियाणवी संगीत एवं हस्तकला का ऐसा समागम रहा कि लाखों पर्यटक हरियाणा पांडाल का अवलोकन कर पाए।
इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की प्रेरणा से हरियाणवी पैवेलियन लाखों लोगों के विशेष आकर्षण का केन्द्र बना रहा। यहां पर महामहिम उपराष्ट्रपति से लेकर राज्यपाल के साथ-साथ फिल्म अभिनेता, यशपाल शर्मा, राज्यमंत्री अनूप धानक, शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा, थानेसर विधायक सुभाष सुधा सहित अनेक महान हस्तियों ने हरियाणवी पैवेलियन का अवलोकन किया। इस पैवेलियन में सुबह 10 बजे से शाम को 6 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की ऐसी झड़ी लगी कि ग्रामीण दर्शक हजारों की संख्या में हरियाणवी संस्कृति के दर्शन कर पाये। पर्यटकों के लिए हरियाणवी व्यंजन खीर, चूरमा, कसार, जलेबी, खिचड़ी, दलिया, रागी के गोलगप्पे, गाजर का हलवा, गुड का हलवा, गुड के चावल, गुड की चाय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। डॉ. पूनिया ने बताया कि हरियाणवी पैवेलियन के सांस्कृतिक मंच से हरियाणा की लुप्त होती गायन शैलियों जैसे गंगा स्तुति, शिव स्तुति, दोहा, सवैया, गूगा, देवी स्तुति, चमोला, मंगलाचरण, सोहनी, बहरेतबील, काफिया, नसीरा, सोरठा, आल्हा आदि को रागनियों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। हरियाणवी दर्शकों ने इन शैलियों को खूब पंसद किया। इसके साथ ही हरियाणवी नृत्य धमाल, खोडिय़ा, लूर, रसिया आदि की प्रस्तुति ने भी पर्यटकों का मन मोह लिया। डॉ. पूनिया ने बताया कि पैवेलियन में 70 से अधिक हरियाणवी स्टॉल लगाए गए थे, जिनमें हरियाणवी पगड़ी, धरोहर, दरी बुणाई, फुलझड़ी, खाट बुणाई, प्राचीन सिक्के, लकड़ी की कला, छपाई कला, लोक परिधान के साथ-साथ हरियाणा की पुरातन विरासत की प्रदर्शनी दर्शकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी रही। हरियाणा पैवेलियन ने 8 दिनों में लाखों लोगों को जोडक़र हरियाणवी संस्कृति का जो संदेश दिया है उससे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ी है।
हरियाणवी पैवेलियन के सफल आयोजन में विभिन्न कमेटियों का रहा सहयोग
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के निर्देशानुसार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में आयोजित हरियाणा पैवेलियन के सफल आयोजन के लिए विभिन्न कमेटियों का गठन किया गया था जिसमे कोर कमेटी में छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शुचिस्मिता, डीवाईसीए के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रामविरंजन, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. ब्रजेश साहनी, आईआईएचएस से डॉ. अनिता दुआ व डॉ. सुनिता मदान, गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तरविन्द्र कौर, धरोहर हरियाणा म्यूजियम के क्यूरेटर डॉ. विवेक चावला, एक्जिक्यूटिव इंजिनियर पंकज शर्मा, डीवाईसीए के उपनिदेशक डॉ.गुरचरण सिंह, लोक सम्पर्क विभाग के उप-निदेशक डॉ. दीपक राय बब्बर व सामान्य शाखा के सहायक कुलसचिव डॉ. जितेन्द्र जांगडा शामिल थे। इसके साथ ही आयोजन कमेटी, प्रदर्शनी कमेटी, फूड कमेटी व अन्य कई कमेटियों का गठन किया गया था। इन सभी कमेटियों के सहयोग से हरियाणा पैवेलियन का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में सफल आयोजन रहा।
दसूटण, टेवा, थापा, छूछक, पीलिया, जापा, हलस, नंढेल सांस्कृतिक शब्द बने आकर्षण
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन मे युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित हरियाणा पैवेलियन में आयोजित हरियाणवी सवाल-जवाब जनता के बीच विशेष पहचान छोड़ गए।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने हरियाणवी पैवेलियन में हरियाणा सांस्कृतिक मंच से हर रोज हरियाणवी सवाल पूछ कर युवा पीढ़ी को जोडऩे का जो कार्य किया है उसको खूब पसंद किया गया। उल्लेखनीय है कि हरियाणवी भाषा एवं संस्कृति से जुड़े हुए अनेक शब्द जैसे दसूटण, टेवा, थापा, छूछक, पीलिया, जापा, हलस, नंढेल, घुट्टी, बटुवा, कढ़ौणी, बिलौणी, चूंडा, गडगम, सुरातिया, गप्प, गपोड़, गडंग, बतंगड, ढकोसला, पनवाडा, भात, ब्यौंक, दोलडा, खरड़, खड्डी, लाह्, सूत्तक, दादाखेड़ा, तखियाला, चड़स, चौंतरा, मेंढ, झोली, झार, लोटुवा, सेर, मण, बडबोला, हरियाणवी कहावतों आदि के माध्यम से युवाओं से सवाल पूछकर उनको सवाल का जवाब देने के उपलक्ष्य में लड्डू देने की जो परंपरा बनाई उससे हजारों युवा हरियाणवी संस्कृति से अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके। इसके अतिरिक्त हरियाणवी महिलाओं एवं पुरुषों की रस्सा कस्सी की प्रतियोगिता भी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रही।