यज्ञ में पूर्ण आहुति के साथ हरियाणा पैवेलियन के समापन अवसर पर हरियाणा पैवेलियन की टीम व कलाकारों का किया सम्मान
कुरुक्षेत्र, 24 दिसम्बरः अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा आयोजित हरियाणा पैवेलियन के आठवें एवं अंतिम दिन यज्ञ में पूर्ण आहुति, हरियाणा पैवेलियन की टीम, कलाकारों के सम्मान व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हरियाणा पैवेलियन के कार्यक्रम सम्पन्न हो गए।
हरियाणा पैवेलियन में अंतिम दिन मुख्यातिथि के रुप में आए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि हरियाणा पैवेलियन के माध्यम से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने हरियाणवी संस्कृति का संदेश लाखों लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। आठ दिन तक चले हरियाणा पैवेलियन में सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिली। यहां पर हरियाणवी संस्कृति के प्रति जो प्यार लोगों का देखने का मिला उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने अपने संबोधन में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड एवं हरियाणा कला परिषद का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने जिस उत्साह से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणवी संस्कृति का संदेश लाखों लोगों तक पहुंचाया है उससे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की गरिमा राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुई है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने कुलपति प्रो. सोमनाथ का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले आठ दिनों में हरियाणवी संस्कृति ने गीता महोत्सव में जो छाप छोड़ी है उससे लाखों युवा जुड़ पाए हैं। इस अवसर पर कुलपति ने पांडाल को सफलतापूर्वक चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. शुचिस्मिता, डॉ. ज्ञान चहल, डॉ.सुशील टाया, डॉ. आबिद अली, डॉ. हरविन्द्र राणा, नीरज, नरेन्द्र, तिलक, कमलेश मोर, प्रकाश मलिक, हरपाल नाथ, धूणीनाथ के साथ-साथ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, पूर्व मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा , कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य विजय नरुला, अशोक रोशा, बलबीर गुर्जर, जितेंद्र ढींगरा व यूएसएनएस के प्रधानाचार्य व छात्रो व अनेक गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया।
48 कोर्स तीर्थ निगरानी कमेटी के चैयरमेन मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि कुरुक्षेत्र तीर्थ का विश्व भर में विशेष महत्व है। इसके बारे में सोचने से ही व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। इस मौके पर हरियाणा पैवेलियन की ओर से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ को स्मृति चिह्न के रूप में पीढ़ा भेंट कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के समापन समारोह में हरियाणा के कलाकारों ने भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुति कर सबका मन मोह लिया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने पूछा प्रश्न, कौन सी गीता जयंती है
हरियाणा पैवेलियन में अंतिम दिन मुख्य अतिथि के रूप में आये कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने दर्शकों से प्रश्र पूछा कि इस बार कौनसी गीता जयंती मना रहे हैं तो दिनेश शर्मा नाम के व्यक्ति ने बताया कि 5160वीं गीता जयंती इस बार मनाई जा रही है, तो दिनेश शर्मा को ईनाम देकर सम्मानित किया गया।
हरियाणवी संस्कृति सबसे समृद्धः कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा
हरियाणा पैवेलियन में अंतिम दिन विशेष रूप से आये कुलसचिव प्रोफेसर संजीव शर्मा ने कहा कि हरियाणवी संस्कृति सबसे समृद्ध है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रयास कर हरियाणवी संस्कृति को हरियाणा पैवेलियन के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है। इसके साथ-साथ आठ दिनों तक विश्वविद्यालय व कला परिषद के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी लोगों का मनोरंजन भी किया। इस आयोजन से जहां गीता का प्रचार-प्रसार किया गया, वहीं हरियाणवी संस्कृति को भी देश-विदेश तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
हरियाणा पैवेलियन में अंतिम दिन मुख्यातिथि के रुप में आए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि हरियाणा पैवेलियन के माध्यम से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने हरियाणवी संस्कृति का संदेश लाखों लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। आठ दिन तक चले हरियाणा पैवेलियन में सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिली। यहां पर हरियाणवी संस्कृति के प्रति जो प्यार लोगों का देखने का मिला उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। कुलपति प्रो. सोमनाथ ने अपने संबोधन में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड एवं हरियाणा कला परिषद का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने जिस उत्साह से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणवी संस्कृति का संदेश लाखों लोगों तक पहुंचाया है उससे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की गरिमा राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुई है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने कुलपति प्रो. सोमनाथ का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले आठ दिनों में हरियाणवी संस्कृति ने गीता महोत्सव में जो छाप छोड़ी है उससे लाखों युवा जुड़ पाए हैं। इस अवसर पर कुलपति ने पांडाल को सफलतापूर्वक चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. शुचिस्मिता, डॉ. ज्ञान चहल, डॉ.सुशील टाया, डॉ. आबिद अली, डॉ. हरविन्द्र राणा, नीरज, नरेन्द्र, तिलक, कमलेश मोर, प्रकाश मलिक, हरपाल नाथ, धूणीनाथ के साथ-साथ कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल, पूर्व मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा , कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य विजय नरुला, अशोक रोशा, बलबीर गुर्जर, जितेंद्र ढींगरा व यूएसएनएस के प्रधानाचार्य व छात्रो व अनेक गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया।
48 कोर्स तीर्थ निगरानी कमेटी के चैयरमेन मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि कुरुक्षेत्र तीर्थ का विश्व भर में विशेष महत्व है। इसके बारे में सोचने से ही व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं। इस मौके पर हरियाणा पैवेलियन की ओर से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ को स्मृति चिह्न के रूप में पीढ़ा भेंट कर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के समापन समारोह में हरियाणा के कलाकारों ने भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुति कर सबका मन मोह लिया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने पूछा प्रश्न, कौन सी गीता जयंती है
हरियाणा पैवेलियन में अंतिम दिन मुख्य अतिथि के रूप में आये कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने दर्शकों से प्रश्र पूछा कि इस बार कौनसी गीता जयंती मना रहे हैं तो दिनेश शर्मा नाम के व्यक्ति ने बताया कि 5160वीं गीता जयंती इस बार मनाई जा रही है, तो दिनेश शर्मा को ईनाम देकर सम्मानित किया गया।
हरियाणवी संस्कृति सबसे समृद्धः कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा
हरियाणा पैवेलियन में अंतिम दिन विशेष रूप से आये कुलसचिव प्रोफेसर संजीव शर्मा ने कहा कि हरियाणवी संस्कृति सबसे समृद्ध है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रयास कर हरियाणवी संस्कृति को हरियाणा पैवेलियन के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है। इसके साथ-साथ आठ दिनों तक विश्वविद्यालय व कला परिषद के कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी लोगों का मनोरंजन भी किया। इस आयोजन से जहां गीता का प्रचार-प्रसार किया गया, वहीं हरियाणवी संस्कृति को भी देश-विदेश तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।