कुवि ने गीता महोत्सव में हरियाणवी संस्कृति को लाखों पर्यटकों तक पहुंचाया : पुनिया
कुरुक्षेत्र, 23 दिसम्बर
 ।   अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा ब्रह्मसरोवर के मुख्य पंडाल में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कलाकारों ने खूब धूम मचाई। हरियाणा एक-हरियाणवी एक, गीता जयंती के मेले में धूम मची हरियाणा की, मेरा दामण सिमादे नणदी के बीरा, दुनिया में होग्या नाम म्हारे हरियाएणा का, चंदा तुम्हारी चांदनी, होली खेलन न आई, ऐसी गजब की बहु बनूंगी, हाथों में ताबें की अगूठी, वेदों में वर्णित हरियाणा आदि लोकप्रिय गीतों पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा कलाकारों ने धमाल मचा दिया।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पुनिया ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कलाकारों ने हरियाणा पैवेलियन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों लोगों तक हरियाणवी संस्कृति का संदेश पहुंचाने का प्रयास किया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा स्थापित किए गए हरियाणवी पांडाल की कुरुक्षेत्र ही नहीं पूरे प्रदेश में सांस्कृतिक उपलब्धि के रूप में गिना जा रहा है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा पंडाल के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति का जो प्रदर्शन किया है उससे विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ी है। इस मौके पर संगीत विभाग के छात्रों ने गंगा जी तेरे देश में सांस्कृतिक प्रस्तुति से ब्रह्मसरोवर के मुख्य पंडाल में सांस्कृतिक शुरुआत की। इसके पश्चात हरविन्द्र राणा ने सुण गीता का ज्ञान के माध्यम से गीता का संदेश हरियाणवी लोकगीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया।
यूटीडी के छात्रों ने हरियाणवी नृत्य एवं लूर के माध्यम से लोक सांस्कृतिक छटा बिखेरी। इसके साथ ही आर्य कॉलेज पानीपत के छात्रों ने हरियाणा के रसिया नृत्य के माध्यम से बृज की संस्कृति को मंच पर प्रस्तुत किया। इस मौके पर हरियाणा के सांस्कृतिक दर्शन की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने सभी कलाकारों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने गीता महोत्सव में हरियाणवी संस्कृति के जो रंग बिखेरे हैं उससे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का सांस्कृतिक संदेश लाखों लोगों तक पहुंचा है। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ ज्ञान चहल, डॉ. सुशील टाया, डॉ. आबिद अली व डॉ. हरविन्द्र राणा उपस्थित थे।

हरियाणा की लोक सांस्कृतिक प्रदर्शनी लुभा रही है पर्यटकों को
हरियाणा पैवेलियन में प्राचीन विषय-वस्तुओं की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र
कुरुक्षेत्र 23 दिसंबर
 ।  अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आयोजित हरियाणवी पांडाल में पुरातन विषय-वस्तुओं की प्रदर्शनी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। यहां पर हरियाणवी रसोई में जहां एक ओर पुरातन बर्तनों का प्रदर्शन है वहीं पर दूसरी ओर प्राचीन सिक्के दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इसके साथ ही यहां पर हरियाणा की लोक सांस्कृतिक विषय-वस्तुओं से जुड़ी हुई प्रदर्शनी भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।
इसके विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा के पैवेलियन में इंडी प्रदर्शनी, चारपाई बुणाई प्रदर्शनी, धरोहर हरियाणा संग्रहालय प्रदर्शनी, चंगेरी प्रदर्शनी, इसके साथ ही पशुओं के लिए ताले के रूप में प्रयोग लाये जाने वाले न्यौल की प्रदर्शनी, हाथ से बनाये जाने वाली दरी की प्रदर्शनी, फुलझड़ी प्रदर्शनी, खेत में बिजाई के लिए प्रयोग की जाने वाले ओरणों की प्रदर्शनी, खेतों में किसानों द्वारा ऊंचाई के स्थलों में पानी भरने के लिए प्रयोग की जाने वाली डायल की प्रदर्शनी इसके साथ ही घरों में दूध बिलोने के लिए प्रयोग की जाने वाल रई की प्रदर्शनी, इसके साथ ही अंग्रेजों से पहले अनाज को मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाले अनाज मापकों की प्रदर्शनी, इसके साथ ही किसानों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले हलों की प्रदर्शनी, कूंए में किसी वस्तु के गिर जाने वाल उसको ढूंढने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले कांटे एवं बिलाई की प्रदर्शनी, कूंए से पानी खींचने के लिए प्रयोग में लाऐ जाने वाले डोल की प्रदर्शनी, इसके साथ ही ऊँटों पर बैठने के लिए प्रयोग की जाने वाली ऊँट की कूचियों की प्रदर्शनी, साथ ही बैलों द्वारा खेत की जमीन को समतल करने के लिए प्रयोग की जाने वाली गोड़ी की प्रदर्शनी, इसके साथ ही हरियाणा के लोक परिधान के रूप में विख्यात हरियाणवी घाघरों एवं खारों की प्रदर्शनी विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। डॉ. पूनिया ने बताया कि विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग की ओर से 17 दिसंबर से यह प्रदर्शनी हरियाणवी पांडाल में लगाई गई थी, जिसको अब तक लाखों लोग देख चुके हैं।

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