आज दूसरे की कमियां तो नजर आ रही है, पर अपनी नहीं : वीणा दीदी
कुरुक्षेत्र। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के उपलक्ष में ‘क्या वर्तमान समय धर्मग्लानि और गीता के भगवान के पुनः अवतरण का समय नहीं है’ विषयक विशेष कार्यक्रम किया गया। इस दौरान कर्नाटक हुबली से पधारी गीता स्कालर राजयोगिनी बीके वीणा दीदी मुख्य वक्ता, मातृभूमि सेवा मिशन के संयोजक श्री प्रकाश मिश्रा मुख्यातिथि,
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार न्याय परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जसबीर सिंह दुग्गल व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय मास कम्युनिकेशन एवं मीडिया विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आबिद अली विशिष्ट अतिथि रहे। केरल से बी.के राधा कृष्ण पिलाई, तेलंगाना से गीता स्कालर बी.के त्रिनाथ ऐनाल व महिला कांग्रेस कुरुक्षेत्र की जिलाध्यक्षा निशी गुप्ता विशेष अतिथि रहे। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। बी.के मुकेश अग्रवाल ने मंच संचालन करते हुए अतिथियों का परिचय दिया और बी.के विद्या बहन ने पुष्प गुच्छ भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। नन्ही बालिका गोरी ने सत्यम, शिवम, सुंदरम गीत के माध्यम से आगंतुकों का स्वागत किया। राजयोगिनी बीके वीणा दीदी ने कहा कि आज मंच पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, कर्नाटक, तेलगांना, केरला और उत्तर प्रदेश का अनोखा संगम है। उन्होंने कहा कि यह परमात्मा के अवतरण का समय है क्योंकि धर्मग्लानि का समय शुरू हो गया है। लक्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि आज दूसरे की कमियां तो नजर आ रही है, पर अपनी नहीं। दूसरों को उपदेश देना आसान काम है, लेकिन गीता को मानना अलग बात है। गीता में भी भगवान ने स्वयं कहा है जब धर्म की अतिग्लानि होती है, तो मुझे अवतरित होकर आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आप सब परमात्मा के अवतरण को पहचाने और धर्म ग्लानि को भी। डॉ श्रीप्रकाश मिश्रा ने कहा कि आज जहां आप बैठे हैं, वह दिव्य स्थान है। वास्तव में महाभारत का युद्ध असत्य पर सत्य की जीत, आचार- विचार, व्यवहार, संस्कृति का युद्ध है। भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने में ब्रह्माकुमारीज संस्था अहम भूमिका निभा सकती है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार न्याय परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जसबीर सिंह दुग्गल ने कहा कि आज जब चारों तरफ मानवता का ह्रास हो रहा है, भाई भाई का दुश्मन है, एक ही परिवार के लोग आपस में एक दूसरे से बात तक नहीं करना चाहते, तो यह हालात द्वापर युग जैसे बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म का प्रचार तो हो रहा है, पर समाज पर धर्म की बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। आज जहां श्रीकृष्ण जैसे उपदेशक की जरूरत है, वही अर्जुन जैसे अनुयायी की भी। आज हर व्यक्ति के मन में महाभारत चल रही है। हर आदमी दूसरे को सुधारने की बात कर रहा है, लेकिन हमें केवल अपने को सुधारना होगा। डॉ आबिद अली ने धर्म क्या है, धर्म ग्लानि क्यों हो रही है आदि प्रश्नों का समाधान एक कहानी के माध्यम से किया। उन्होंने बताया कि जब मुझे ओम शांति शब्द का मतलब समझ आया, तो मेरे जिस्म के रोम रोम में शांति का अनुभव होने लगा। आज धर्म और अनपढ़ता के नाम पर मानवता को तोड़ना आसान हो गया है और जोड़ना मुश्किल। तेलंगाना से आए बी.के त्रिनाथ भाई ने कहा कि केवल मनुष्य को परमात्मा ने दिव्य बुद्धि दी है। आज मनुष्य को बुद्धि रूपी नेत्र खोलने की आवश्यकता है। भगवान से सदा हमारा संबंध होना चाहिए और निरंतर प्यार से उसे याद रखने का संदेश दिया। केरल से पहुंचे बी.के राधा कृष्ण भाई ने कहा कि आत्मा का परमात्मा से संबंध तभी होगा, जब हम उसे पहचान जाएंगे। उन्होंने टेक्नोलॉजी को संसार के लिए चुनौती बताया। निशी गुप्ता ने कहा कि परमात्मा उन्हीं का साथ देते हैं, जो सदा उन्हें याद रखते हैं। हमें भी श्रीकृष्ण की तरह सुदर्शन चक्र चलाना है। ब्रह्माकुमारीज की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि अनुशासन और दूरदर्शिता यहां देखने को मिलती है। सेंटर इंचार्ज राजयोगिनी सरोज बहन ने आए हुए महानुभावों का हार्दिक धन्यवाद करते हुए कहा कि आज सारी दुनिया में मेरा-मेरा हो रहा है और हम धर्मग्लानि के चिन्ह भी देख रहे हैं। हम अपने आचरण में परिवर्तन तब ला सकते हैं, जब हम गॉडफादर को पहचानेंगे और बुद्धि रूपी नेत्र द्वारा अनुभव करेंगे। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान को प्राप्त कर सुख शांति का अनुभव होगा क्योंकि परम पिता इस समय आकर आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना कर रहे हैं। बी.के राधा बहन ने मेडिटेशन की अनुभूति करवा कर रूहानी यात्रा करवाई। समापन पर राजयोगिनी सरोज बहन ने अतिथियों को शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया। इस अवसर पर नंद गोपाल शास्त्री, हरबंस सिंह औजला, एडवोकेट रणधीर सिंह, राजकुमार वालिया, रघुवीर सिंह, डॉ आर.डी शर्मा, मा. संत कुमार, उषा देवी, राजमाता, विमला देवी, निर्मल सैनी, सुनीता मित्तल, अदिति आदि अनेक बहन भाई मौजूद रहे।

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