कुरुक्षेत्र, 19 दिसम्बर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संस्थान द्वारा 8वें अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार के तहत सतत कॉर्पोरेट और प्रबंधकीय उत्कृष्टता के लिए भगवद्गीता विषय पर तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. अनिल मित्तल ने सभी अतिथियों एवं उपस्थित लोगों का स्वागत किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. राधाकृष्ण पिल्लई, प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोझिकोड ने वर्तमान में गीता द्वारा प्रबंधन में स्वधर्म की पुनः स्थापना में वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा पर वक्तव्य दिया। उन्होंने भगवद्गीता का सारांश बताया कि गलत सोच ही जीवन की एकमात्र समस्या है। उन्होंने आत्मा, परमात्मा और प्रकृति का अंतर बताया।
रिसोर्स पर्सन डॉ. ऋषि राज, प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय गुरदासपुर के एसोसिएट डीन ने बुनियादी प्राचीन ग्रंथो में निहित प्रबंधन सिद्धांत पर सभी का सम्बोधन किया। उन्होंने मानव के आचरण के महत्व के बारे में चर्चा की। उन्होंने जीवन में समग्र और मानवीय मूल्यों के सिद्धांतों की आवश्यकता पर भी जोर दिया तथा आत्मा ज्ञान की प्राप्ति से परमात्मा की प्राप्ति का रास्ता बताया।
डॉ. केके पांडे ने तमस, रजस और सात्विक के बारे में बताया और उन्हें सभ्यता और संस्कृति के अंतर पर फोकस किया और कर्म की प्रधानता बताई। उन्होंने मानव जीवन के लिए भगवद गीता के महत्व को बताया। उन्होंने प्रेम और ज्ञान के बीच भेद और इस से संबधित विचारधारा के बारे में बताया।
इस सेमिनार में 19 प्रस्तुतकर्ताओं ने अलग-अलग विषय पर प्रस्तुति दी। ये सेमिनार मिश्रित मोड में था और कुछ पेपर ऑनलाइन प्रस्तुत किए गए थे। पेपर प्रस्तुतकर्ता विभिन्न क्षेत्रों से आए थे। इस सेमिनार में निदेशक प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. निर्मला चौधरी, प्रो. भाग सिंह बोडला, प्रो. कंवल गर्ग, उपनिदेशक डॉ. राजन शर्मा, प्रो. अजय, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अजय सोलखे, डॉ. भवर, डॉ. विवेक, डॉ. संगीता धीर, डॉ. पलक बजाज, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. श्वेता, डॉ. रश्मि, डॉ. मोहिन्द्र सिंह, डॉ. रजनी, पंचवर्षीय एमबीए के सभी संकाय सदस्य, शोधार्थी, एमबीए व बीबीए के विद्यार्थी मौजूद रहे।