अम्बाला, 18 दिसम्बर
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अम्बाला शहर में सोमवार को विकसित भारत सशक्त भारत पर किसान/ महिला गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो0 बलदेव राज कम्बोज ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक व कुल सचिव डॉ0 बलवान सिंह मंडल ने की।
इस मौके पर कुलपति प्रो0 बलदेव राज कम्बोज ने किसानों को बताया कि हरियाणा राज्य भारत देश की खाद्यान टोकरी के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह देश की खाद्य सुरक्षा में और अच्छी नियति क्षमता में विशेष योगदान देता हैं। आज जब हम बात करते है विकसित भारत सशक्त भारत की तो महत्वपूर्ण बाते सामने आती है जैसे स्वयं का मानसिक व शारीरिक विकास, रोजगार चाहे कृषि है, बागवानी है या महिला गृह कार्य है हमें हर काम को विज्ञान से जोडऩा बहुत जरूरी हैं। कृषि की नवीनतम तकनीकी अपनाना, मिट्टी व पानी का स्वास्थ्य में अहम भूमिका आदि, इसके साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन की है, जिसे काफी हद तक काबू पा लिया गया हैं। सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, धान पाउल चाप्पर, रिवरसेबल एमवीएल बेलर आदि के रूप में बेहतर मशीनीकरण विकल्पों के विकास के साथ अवशेषों के स्थायी प्रबधंन के लिए व्यवहार्य विकल्प प्रदान किए गए हैं। कृषि विविधिकरण के जरूरत मश्रूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन व केचुआ खाद आदि हैं। उन्होनें बताया कि विश्वविद्यालय स्तर पर भी कृषि की नवीनतम तकनीकी व फसल अवशेष प्रबन्धन पर विस्तार से कार्य हो रहा हैं तथा प्रदेश में प्रत्येक जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों में एक-एक एकड़ में वैज्ञानिक पद्धति से फसलों की खेती की जा रही है ताकि वहां के कि सान इसको देखकर ज्यादा से ज्यादा इसकी ओर आकर्षित हो सकें। उन्होनें इस मौके पर अधिकारियों के साथ केन्द्र के फार्म का दौरा भी किया एवं केन्द्र की सभी गतिविधियों की सराहना भी की।
विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक व कुल सचिव डॉ0 बलवान सिंह मंडल ने इस किसान एवं महिला गोष्ठी में उपस्थित सभी को अवगत करवाते हुए कहा कि आज का युवा ही देश का भविष्य है, तो हमें अपनी नीव और मजबूत करनी होगी। सी.सी.एस.एच.ए.यू. कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बाला शहर द्वारा समय-समय पर वैज्ञानिक जानकारी देने की पूरी कोशिश की जा रही हैं। केन्द्र द्वारा विभिन्न ट्रेंनिग में मशरूम उत्पादन के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण, अनुसूचित जाति के लिए सिलाई, कढाई, फल व सब्जी प्रशिक्षण, दूध व दूध उत्पादन, बेकरी व्यवसाय, नर्सरी उगाने आदि पर पांच दिनों के प्रशिक्षण का आयोजन भी किया जाता है ताकि सम्बधिंत हुनर सीखकर उसे आमदनी का जरिया बनाकर आत्मनिर्भर बन सकें।
कृषि विज्ञान केन्द्र समन्व्यक सुनीता आहुजा ने इस मौके पर सस्ते व पौष्टिक व्यजंन, मूल्य सम्बधिंत खाद्य पदार्थ, मोटे अनाज का प्रयोग, फल एवं सब्जी प्रशिक्षण आदि को अपनाकर अपना व अपने परिवार का स्वास्थ्य स्तर बढाने की जानकारी दी और किसानों को कृषि रोजगार की नवीनतम तकनीक व विज्ञान से जुडऩे बारे भी जानकारी दी। उन्होंने इस गोष्ठी का सफलपूर्वक आयोजन करवाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर डॉ0 वंदना, डॉ0 संदीप रावल, डॉ0 एनके गोयल, डॉ0 अनुराधा, डॉ0 जसविन्द्र सैनी के साथ-साथ कृषि विज्ञान से जुड़े व अन्य सहयोगी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहें।