कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के संयोजन से पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
कुरुक्षेत्र: हरियाणा के कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के तत्वावधान में पांच दिवसीय खाट भराई कार्यशाला का आयोजन विरासत हेरिटेज विलेज मसाना कुरुक्षेत्र में 2 से 6 दिसंबर तक किया जा रहा है। इस कार्यशाला में हरियाणा के अलग-अलग क्षेत्रों से 20 चारपाई भराई कलाकार अलग-अलग चारपाईयों के माध्यम से लोककला के चारपाई भराई डिजाईनों का संरक्षण करेंगे। इस कार्यशाला में हरियाणा की लोक पारंपरिक खाट भराई कला को संरक्षित किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. महासिंह पूनिया, निदेशक युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग करेंगे। उल्लेखीनीय है कि हरियाणा की चारपाई भराई कला विशेष रूप से प्रसिद्ध रही है। इस कला को अब तक संरक्षित नहीं किया गया है। हरियाणा में पहली बार चारपाई बुणाई कला को संरक्षित करने के लिए इस तरह की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। विरासत में आयोजित कार्यशाला में हरियाणा की पारंपरिक कला को संरक्षित करने के लिए 20 कलाकार अपनी प्रतिभा का परिचय देंगे। उल्लेखनीय है कि जीवनोपयोगी सामानों में खाट, खटिया या चारपाई का बहुत महत्व है। आकार के विचार से खाटें कई प्रकार की होती है। बहुत छोटी खाट जिस पर बालक सोते हैं खटोला, खटोले से बड़ी खटिया, खटिया से बड़ी खाट, खाट से बड़ा पलंग और पलंग से बड़ा मचान या माचा होता है। लोकगीतों की भाषा पति-पत्नी के सोने की खाट सेज कही जाती है। खाट में आठ अंग होते है। चौड़ाई में लगी हुई दो लकडिय़ाँ या बाँस सिरो और लंबाई वाली दोनों लकडिय़ाँ या बाँस पाटी कहलाते है। खाट में चार पाए होते है। इन पायों को गोड़ा भी कहते है। पायों के सिरों पर बने छेद को सुराख या बिल कहते है। इन सुराखों में पाटी और सिरों को कुछ पतला करके ठोंक दिया जाता है। सुराखों में घुसे भाग को चूर कहते है। यदि सुराखों में चूलें ढीली होती है तो उनमें दो-एक लकड़ी की पच्चड़ ठोंक दी जाती है, जिसे पाँचर या धाँस कहते है। खाट का ऊपरी भाग जिस तरफ सिरे करके सोया जाता है सिरहाना या सिराना कहलाता है और जिधर पाँव होते है उसे पैताना या पाइँत कहते है।