18 मई 2023 को निवर्तमान भाजपा सांसद रतन लाल कटारिया का हुआ था निधन 
 
कानूनन 18 नवम्बर 2023 तक कराया जाना था उपचुनाव चूँकि मृत्यु के दिन  कटारिया का  कार्यकाल एक वर्ष से  ऊपर था शेष — एडवोकेट 
 
भारतीय चुनाव आयोग ने अम्बाला उपचुनाव न कराने  सम्बन्धी नहीं किया कारणों का  सार्वजनिक प्रकटीकरण 
 
सांसद न होने से मौजूदा मोजूदा वित्त- वर्ष में एमपीलैडस के 5 करोड़ रुपये का नुक्सान 

चंडीगढ़ —   अंबाला (एससी) (अनुसूचित जाति आरक्षित) लोकसभा सीट को रिक्त हुए आज 18 नवंबर 2023   पूरे 6 महीने हो गए है.  18 मई 2023 को इस  लोकसभा हलके से   मई, 2019 में   भाजपा‌ के टिकट पर   निर्वाचित  रतन लाल‌ कटारिया, जो जुलाई,2021 तक मौजूदा मोदी सरकार-2  में केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे थे, के निधन फलस्वारूप इस रिक्त हुई सीट पर आज तक उपचुनाव नहीं कराया गया है.

इसी बीच  पंजाब एवं   हाईकोर्ट में एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक  हेमंत कुमार  ने बताया कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि गत 6 महीने से अंबाला संसदीय  सीट पर  उपचुनाव कराने या न कराने  बारे  भारतीय चुनाव आयोग बिलकुल मौन है.  हालांकि पिछले  माह 3 अक्तूबर को‌ हरियाणा के  मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल द्वारा एक   प्रेसवार्ता के दौरान यह कहा गया  कि रिक्त अंबाला अम्बाला लोकसभा सीट  उपचुनाव‌ नहीं होगा परंतु ध्यान देने योग्य है कि इस संबंध में  भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक  घोषणा की जा सकती  है, न कि प्रदेश के  सीईओ द्वारा.  29 वर्ष पूर्व अप्रैल, 1994 में जब अम्बाला लोस  सीट से  तत्कालीन सांसद कांग्रेस के राम प्रकाश का निधन हुआ था, तब भी पूरे दो वर्षो पर उपचुनाव नहीं कराया गया था.

बहरहाल,  हेमंत  ने बीते 6 महीने में   भारतीय चुनाव आयोग  अर्थात मुख्य चुनाव आयुक्त‌ राजीव कुमार और 2 चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे और अरूण गोयल और  आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों‌ को‌ ज्ञापन एवं  अभिवेदन और तदोपरांत  कानूनी नोटिस भेजकर  रिक्त  अंबाला संसदीय सीट पर शीघ्र   उपचुनाव कराने को लिखा हालांकि चुनाव आयोग से कोई  जवाब नहीं मिला  हालांकि एक आर.टी.आई. में जवाब दिया गया कि यह विषय विचाराधीन है.

निश्चित तौर पर गत 6 माह जब से अंबाला संसदीय सीट से निवर्तमान  भाजपा सांसद  कटारिया का निधन हुआ, तब से प्रदेश के  राजनीतिक गलियारों में  इस विषय पर कयास और चर्चाएं चलती  रही  कि क्या चुनाव आयोग अम्बाला लोस सीट पर उपचुनाव कराएगा  अथवा नहीं क्योंकि आगामी कुछ माह  अर्थात  अप्रैल-मई, 2024 में 18वीं  लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित हैं और इस कारण  आयोग संभवत:  अल्प  अवधि के लिए अम्बाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराना चाहेगा.

हेमंत ने यह भी  बताया कि वैसे तो कानूनन अर्थात लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151 ए के अंतर्गत चुनाव आयोग द्वारा रिक्त  अम्बाला लोकसभा सीट पर 18 नवंबर 2023 तक  उपचुनाव करना अनिवार्य था चूँकि इस सीट से निवर्तमान  सांसद कटारिया के निधन के दिन उनकी एक वर्ष से ऊपर की अवधि शेष थी. बहरहाल, अगर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर ऐसा प्रमाणित भी कर दिया है कि  रिक्त अम्बाला  लोकसभा सीटों पर  उपचुनाव करवाना संभव नहीं, तो‌ इस बारे में भी आयोग को सार्वजनिक प्रगटीकरण‌ करना‌ चाहिए   कि ऐसी कौन सी  प्रशासनिक अथवा संभवतः तकनीकी   परिस्थितियां‌ हैं, जिनके फलस्वरूप कानूनन निर्धारित 6 माह की अवधि में उपचुनाव कराना संभव नहीं हो पाया.

हेमंत ने यह भी बताया‌ कि आज से 5 वर्ष  पूर्व अक्तूबर-नवंबर  2018 में  आयोग द्वारा कर्नाटक राज्य में तत्कालीन तीन रिक्त  लोकसभा  सीटों – बेलारी, शिमोगा और मांड्या  पर उपचुनाव कराया गया  था. हालांकि उसके  6 महीने बाद ही अप्रैल- मई 2019 में 17 वीं‌ लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित थे. इस प्रकार चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव के विषय पर दोहरे मापदंड अपनाये जा रहे हैं.

हेमंत का कहना है कि बेशक उन्होंने अंबाला संसदीय सीट पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग को कानूनी नोटिस भेजा  है  परंतु यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्तासीन भाजपा-जजपा गठबंधन  सहित विपक्षी राजनीतिक  दल  कांग्रेस, इनेलो, आप, बसपा कोई भी अंबाला लोस उपचुनाव नहीं चाहता. आज तक किसी भी विपक्षी राजनीतिक दल या उसके  नेता ने उनसे इस   संबंध में संपर्क‌ नहीं किया कि वह हाईकोर्ट  में अमुक केस में पार्टी बनने का इच्छुक‌ हैं.   सभी भावी उम्मीदवारों को  लगता है कि अगर अंबाला उपचुनाव करवाया जाता  है और वह प्रत्याशी  चुनाव‌ हार गया और उसकी जमानत जब्त हो गई, तो‌  पार्टी  अप्रैल-मई 2024  में निर्धारित 18 वीं लोकसभा के आम चुनावों में दोबारा उसे टिकट नहीं देगी.

हेमंत ने बताया कि  अंबाला  उपचुनाव न होने अर्थात नया निर्वाचित लोकसभा सांसद नहीं  होने से  इस ‌लोकसभा हलके में विकास कार्यों के लिए अंबाला लोकसभा सांसद को‌ एमपीलैडस ( संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) के अंतर्गत वार्षिक स्वीकृत होने वाले  5 करोड़ रुपये, जिस मूल्य राशि के विकास कार्य लोकसभा सांसद द्वारा अपने संबंधित क्षेत्र में स्थानीय जिलाधिकारी को प्रस्तावित किए जा सकते‌ हैं, वह संभव नहीं हो सकेंगे.   अत: मौजूदा शेष  वित्त‌ वर्ष 2023-24  में  उक्त 5 करोड़ रूपये मूल्य राशि के संभावित विकास कार्यों का नुकसान सभी हलकावासियों को‌ भुगतना  होगा. वेसे भी 2020-21 और 2021-22 में कोरोना वायरस  वैश्विक महामारी कारण 8 करोड़ रूपये का एमपीलैडस में आबंटन नहीं हो सका था. सनद रहे कि दिवंगत सांसद कटारिया को मई, 2019 के बाद  उनके निधन तक एमपीलैडस के अंतर्गत  केवल 7 करोड़ रूपये ही स्वीकृत हो सके थे.

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