अंबाला। इद्रीश फाउंडेशन ने अपने सामाजिक संगठन के बच्चों के साथ दिवाली का उत्सव धूमधाम के साथ मनाया। इस दौरान कई चरणों में अनूठे और सामर्थ्यपूर्ण तरीके से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पहले चरण में 7 नवम्बर को दीया डेकोरेशन प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों ने मिट्टी के दियों को सुंदर रंगों से सजाया और चाइनीज आइटम का उपयोग नहीं करने की महत्वपूर्ण बात सीखी। यह प्रतियोगिता बच्चों के कला और संवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी। इसमें युक्ति ने प्रथम, पीयूष ने द्िवतीय और आरती और िशवा ने तृतीय स्थान हासिल किया। दूसरे चरण में 10 नवम्बर को रंगोली तैयारी प्रतियोगिता के अंतर्गत बच्चों ने रंगों के महत्व को समझने के साथ रंगोली बनाई। इसके माध्यम से उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया और बच्चों के बीच रंगों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझा। रंगोली प्रतियोगिता में युक्ति ने प्रथम, शिवांगी ने द्िवतीय और लक्ष्मी, अराधना, गौरी, खुशी ने तृतीय स्थान हासिल किया। तीसरे चरण में बच्चों ने अपने बनाए गए दियों को सामुदायिक सदस्यों और स्वयंसेवकों को उपहार के रूप में दिया, उनके सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। इससे सामुदायिक साझेदारी को मजबूती मिली और सदस्यों के साथ संवाद बढ़ा। चौथे चरण में, बच्चों को दिवाली का महत्व बताने के लिए भरतकुलम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी को प्रोत्साहित किया गया। पांचवे चरण में, 11 नवम्बर को बच्चों के बीच पुरस्कार और उपहारों को बांटकर दिवाली का उत्सव मनाया गया। साथ ही खेल प्रतियोगिता करके बच्चों और स्वंय सेवकों के बीच एक अनूठे समबन्ध को स्थापित करने की कोशिश की गई। इसके परिणामस्वरूप, सामुदायिक सदस्यों और स्वयंसेवकों ने बच्चों के साथ मिलकर उपहारों के साथ दिवाली का आनंद लिया। साथ ही, इस समय इद्रीश फाउंडेशन के सभी स्वयंसेवकों ने इस खास मौके का साक्षरता किया, इस मौके पर कृतिका, नैनसी, कृष्णा, वंदना कौशल, तरुण, मनन, नीलिमा, अभिषेक चौहान, लक्ष्मी, धृती, यश, नीरज, जस्सकीरत, पंकज आदि मौजूद रहे। साथ ही स्पेशल मेंबर्स विशाल द्वारा मिठाई, सुधा द्वारा पटाखे, रितिका, कृतिका, महेश दत्त, साक्षी द्वारा रंगोली प्रतियोगिता और दिया सज्जा में सहयोग दिया गया, वही सुनील साईं द्वारा तीनों एरिया में 300 बच्चों के लिए गिफ्ट भिजवाए गए। इद्रीश फाउंडेशन की इस पहल से सामुदायिक एकता और सामर्थ्य को प्रकट करती है और सामाजिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे समुदाय के सदस्यों के बीच एक साजग और साथी भावना का संवाद बढ़ा, और बच्चों को उनकी कला और योग्यता का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है।