चंडीगढ़ – तीन महीने के बाद जिला अम्बाला की फैमिली कोर्ट (कुटुंब न्यायालय ) में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे ) मनप्रीत सिंह की रेगुलर (नियमित ) जज के तौर पर तैनाती हो गई है.
गत 1 अगस्त 2023 से अम्बाला जिला कोर्ट्स में तैनात एक अन्य एडीजे मन पाल रामावत, जो मुख्यत: पोक्सो एक्ट के मामलों के लिए गठित फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के जज हैं, उनके पास अम्बाला की फैमिली कोर्ट के जज का अतिरिक्त कार्यभार रहा.
शहर निवासी और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस विषय पर आधिकारिक जानकारी एकत्रित कर बताया कि हालांकि आज से 6 महीने पूर्व 25 अप्रैल 2023 को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों की स्वीकृति से जारी कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी तैनाती-तबादला आदेश मार्फ़त
मनप्रीत सिंह, जो हरियाणा सुपीरियर जुडिशल सर्विस (एच.एस.जे.एस.) कैडर के अधिकारी हैं अर्थात एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज के रैंक में हैं, उन्हें जिला अम्बाला की फैमिली कोर्ट के नियमित जज अर्थात एडिशनल प्रिंसिपल जज के तौर पर तैनात किया गया था हालांकि उस आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि मनप्रीत की अम्बाला फैमिली कोर्ट में तैनाती का आदेश 1 अगस्त 2023 से प्रभावी होगा परन्तु उस तारीख से आदेश का क्रियान्वयन नहीं हो पाया था क्योंकि हाई कोर्ट द्वारा मनप्रीत को उनकी वर्तमान पोस्टिंग अर्थात चंडीगढ़ स्थित हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ में स्थित अधीनस्थ अदालतों में स्टाफ की भर्ती हेतु स्थापित केंद्रीकृत भर्ती सोसाइटी में बतौर मेंबर-सेक्रेटरी के पद से रिलीव न कर उन्हें 1 नवम्बर 2023 तक उसी पद पर बहाल रखा गया. मनप्रीत गत पौने चार वर्ष से उक्त पद पर ही तैनात रहे.
ज्ञात रहे कि इसी वर्ष 31 जुलाई 2023 को अम्बाला फैमिली कोर्ट में गत सवा वर्ष से तैनात प्रिंसिपल जज गुरविंदर कौर 60 वर्ष की आयु पूरी होने पर न्यायिक सेवा से रिटायर हो गयी थी. वह इस वर्ष 1 मई, 2023 से अम्बाला फैमिली कोर्ट की प्रिंसिपल जज जबकि अप्रैल, 2022 से 30 अप्रैल, 2023 तक इसी फैमिली कोर्ट में बतौर एडिशनल प्रिंसिपल जज तैनात रहीं थीं.
बहरहाल, हेमंत ने बताया कि अम्बाला फैमिली कोर्ट के डेसिगनेट जज मनप्रीत सिंह, मूलत: पंजाब राज्य से हैं और वह साढ़े 15 वर्ष पूर्व मार्च, 2008 में हरियाणा सिविल सर्विस (जुडिशल ब्रांच ) में चयनित होकर सर्वप्रथम सिविल जज (जूनियर डिवीज़न ) कम ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नियुक्त हुए थे. जनवरी, 2020 में प्रोमोट होकर वह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) बने थे. उनकी शैक्षणिक योग्यता इंजीनियरिंग डिग्री अर्थात बी.ई. (केमिकल) और एल.एल.एम. है.
हेमंत ने आगे बताया कि जहाँ तक अंबाला जिले का विषय है, तो यहाँ आज से 11 वर्ष पूर्व वर्ष 2012 में पहली बार फैमिली कोर्ट की स्थापना की गई थी. फैमिली कोर्ट स्थापित होने के बाद हिंदू धर्म के लोगों पर लागू हिन्दू विवाह कानून, 1955 एवं मुस्लिम और ईसाई आदि संप्रदाय के लोगों पर लागू उनके प्रासंगिक विवाह कानूनों के अंतर्गत पति-पत्नी में न्यायिक अलगाव, तलाक (डाइवोर्स), गुज़ारा भत्ता आदि सभी मामले और यहाँ तक कि सीआरपीसी, 1973 की धारा 125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता के केस भी और उक्त धर्मों के निजी कानूनों के अंतर्गत आने वाले सभी पारिवारिक मामले सीधे फैमिली कोर्ट के क्षेत्राधिकार में ही आते हैं. अम्बाला में वर्तमान में दो फैमिली कोर्ट स्वीकृत हैं. फैमिली कोर्ट के आदेशों/फैसलों को सीधे हाईकोर्ट में ही अपील/रिवीजन आदि के तौर पर चुनौती दी सकती है.