शांडिल्य बोले- शेर मुहम्मद परिवार ने छोटे साहिबजादों के लिए हाँ का नारा लगा दिया था भाईचारे व इंसानियत का संदेश
मलेरकोटला राज महल की जर्जर हालत को ठीक कर इसे भव्य म्यूजियम का रूप दें पंजाब सरकार : वीरेश शांडिल्य
अम्बाला : देश-विदेश में भाईचारे के संदेश के साथ सनातन को मजबूत कर रहे विश्व हिन्दू तख्त के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख एवं एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य मलेरकोटला के राज महल में पहुंचे जहाँ उन्होंने दश्मेश गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत के दौरान हाँ का नारा बुलंद करने वाले मलेरकोटला के नवाब के वंश की आखिरी बेगम मुनव्वर-उन-निसा के निधन के बाद उनके अंतिम दर्शन किए और उन्हें कंधा देकर अंतिम विदाई दी l वह करीब 102 साल की थी । उल्लेखनीय है कि बेगम मुनव्वर उल निसा मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान के वंश से थीं, जिन्होंने सरहिंद के सूबेदार का कड़ा विरोध किया और दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की कुर्बानी ने देने के लिए मजबूत आवाज उठाई थी। इस लिए मलेरकोटला के नवाब और उनके वंशज इतिहास में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं । वीरेश शांडिल्य ने कहा शेर मुहम्मद खान ने सन 1705 में छोटे साहिबजादों के लिए हाँ का नारा लगाकर उन्हें दीवारों में ना चुनवाने की मांग जालिम वाजिद खान को की थी जिससे शेर मुहम्मद खान ने इंसानियत एवं भाईचारे का संदेश दिया था । उन्होंने कहा आज उस परिवार के आखरी वंश बेगम मुनव्वर निशा के अंतिम दर्शन कर वह अपने आप को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे है । इस मौके पर शांडिल्य के साथ राष्ट्रीय महासचिव बिट्टू जट्ट, राष्ट्रीय सचिव मनीष पासी, एडवोकेट वासु रंजन शांडिल्य, अंकुर जख्मी, राम तीर्थ जैन,मोहम्मद जामिल मौजूद रहे ।
विश्व हिन्दू तख्त के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख वीरेश शांडिल्य ने कहा उन्हें मलेरकोटला का राज महल की जर्जर हालत देखकर दुःख हुआ । शांडिल्य ने याद दिलाया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से कुछ वर्ष पहले मुनव्वर निशा मिली थी तो उन्होंने कहा था कि जब वह आखरी साँस लें तो वह चाहती है कि उनका राज महल पहले की तरह चमकता रहे और इसी कड़ी में उन्होंने राज महल को पंजाब सरकार को देख-रेख के लिए दे दिया था पर राज महल की हालत दयनीय है । वीरेश शांडिल्य ने विश्व हिन्दू तख्त एवं एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया की ओर से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को मलेरकोटला राज महल की दयनीय हालत को ठीक कर उसे म्यूजियम का रूप देने की मांग की ताकि युवा पीढ़ी इस परिवार के इतिहास को पढ़कर भाईचारा मजबूत करने के प्रति आगे आ सकें l शांडिल्य ने राज महल में राज परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और बेगम मुनव्वर निशा के भांजे टोंक के नवाब अजीज-उल-हक़ को सांत्वना दी और कहा कि वह सदैव उस परिवार के साथ खड़े है । वीरेश शांडिल्य ने बेगम को सुपुर्द-ए-ख़ाक होने के बाद मलेरकोटला के गुरुद्वारा साहिब हाँ का नारा में गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन किए और छोटे साहिबजादों को याद किया । गुरुद्वारा में पहुँचने पर कमेटी ने शांडिल्य को सिरोपा देकर सम्मानित किया ।