सत्तारूढ़ भाजपा सहित कोई विपक्षी राजनीतिक  दल नहीं चाहता है उपचुनाव
अंबाला — ठीक 5 महीने पहले 18 मई 2023 को अंबाला  ( अनुसूचित जाति आरक्षित) संसदीय ( लोकसभा) सीट से  मई, 2019 में  भाजपा‌ के टिकट पर   निर्वाचित भाजपा के रतन लाल‌ कटारिया के निधन फलस्वरूप इस सीट को कटारिया के निधन की तारीख से ही लोकसभा सचिवालय द्वारा रिक्त घोषित कर दिया गया था.
हालांकि गत 5 माह से‌ अंबाला संसदीय  सीट पर  उपचुनाव कराने या न कराने  बारे आज तक  भारतीय चुनाव आयोग बिलकुल मौन है. बीते  सप्ताह 9 अक्तूबर  को‌  चुनाव आयोग द्वारा 5 राज्यों  छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और  तेलंगाना की प्रदेश विधानसभाओं के आम चुनावों‌ की तारीखों का ऐलान करते समय अंबाला सहित देश में वर्तमान कुल 4 रिक्त संसदीय  सीटों पर‌ उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई.
हालांकि इसी माह 3 अक्तूबर को‌ हरियाणा के  मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल द्वारा एक प्रेसवार्ता में कहा गया था कि अंबाला में उपचुनाव‌ नहीं होगा परंतु  इस संबंध में अर्थात आम चुनाव/उपचुनाव कब करवाए जाने हैं अथवा नहीं, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक  घोषणा की जाती है, न कि संबंधित राज्य के सीईओ द्वारा.
 बहरहाल, इस सबके बीच शहर के सेक्टर 7  निवासी पंजाब  एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट  हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बीते सप्ताह  भारतीय चुनाव आयोग  अर्थात मुख्य चुनाव आयुक्त‌ राजीव कुमार और 2 चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे और अरूण गोयल और
आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों‌
को‌ कानूनी नोटिस भेजकर  शीघ्र  रिक्त  अंबाला संसदीय सीट पर उपचुनाव कराने को कहा है अन्यथा वह इस विषय पर  हाईकोर्ट में रिट याचिका‌ अथवा जनहित याचिका ( पीआईएल) दायर करेंगे.  हालांकि आज तक चुनाव आयोग से  उन्हें उक्त कानूनी नोटिस पर जवाब नहीं मिला.
पिछले 5 माह जब से अंबाला संसदीय सीट से निवर्तमान  भाजपा सांसद  कटारिया का निधन हुआ, तब से प्रदेश के  राजनीतिक गलियारों में  इस विषय पर कयास और चर्चाएं चलती  रही हैं कि क्या चुनाव आयोग अम्बाला लोस सीट पर उपचुनाव कराएगा  अथवा नहीं क्योंकि आगामी कुछ माह  अर्थात  अप्रैल-मई, 2024 में 18वीं  लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित हैं और इस कारण  आयोग संभवत:  अल्प  अवधि के लिए अम्बाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराना चाहेगा.
हेमंत ने बताया कि अगर चुनाव आयोग द्वारा अंबाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराया गया, तो इस ‌लोकसभा हलके, जिसमें अंबाला  जिले के 4 विधानसभा क्षेत्र- अम्बाला शहर, अम्बाला कैंट, मुलाना (आरक्षित ) और नारायणगढ़,  पंचकूला जिले के कालका और पंचकूला  और यमुनानगर जिले के चार में से तीन — साढौरा (आरक्षित , जगाधरी और यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं में विकास कार्यों के लिए अंबाला लोकसभा सांसद को‌
 एमपीलैडस ( संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना) के अंतर्गत वार्षिक स्वीकृत होने वाले  5 करोड़ रुपये, जिस मूल्य राशि के विकास कार्य लोकसभा सांसद द्वारा अपने संबंधित क्षेत्र में स्थानीय जिलाधिकारी को प्रस्तावित किए जा सकते‌ हैं, वह संभव नहीं हो सकेंगे अत: मौजूदा शेष  वित्त‌ वर्ष 2023-24  में  उक्त 5 करोड़ रूपये मूल्य राशि के संभावित विकास कार्यों का नुकसान सभी हलकावासियों को‌ भुगतना  होगा.
वेसे भी 2020-21 और 2021-22 में कोरोना वायरस  वैश्विक महामारी कारण 8 करोड़ रूपये का एमपीलैडस में आबंटन नहीं हो सका था. सनद रहे कि दिवंगत सांसद कटारिया को मई, 2019 के बाद  उनके निधन तक एमपीलैडस के अंतर्गत  केवल 7 करोड़ रूपये ही स्वीकृत हो सके थे.
 हेमंत ने यह भी  बताया कि अगर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर ऐसा प्रमाणित भी कर दिया है कि उक्त रिक्त लोकसभा सीटों पर  उपचुनाव करवाना संभव नहीं है, तो‌ इस बारे में भी आयोग को सार्वजनिक प्रगटीकरण‌ करना‌ होगा  कि ऐसी कौन सी  प्रशासनिक अथवा संभवतः राजनीतिक परिस्थितियां‌ हैं, जिनके फलस्वरूप कानूनन निर्धारित 6 माह की अवधि में उपचुनाव कराना संभव नहीं है. हाल‌ ही में केन्द्रीय विधायी विभाग ने एक अन्य  आरटीआई के जवाब में बताया कि उनके रिकॉर्ड‌ में  इस बारे में  जानकारी नहीं है.
हेमंत ने यह भी बताया‌ कि आज से 5 वर्ष  पूर्व अक्तूबर-नवंबर  2018 में  आयोग द्वारा कर्नाटक राज्य में तत्कालीन तीन रिक्त  लोकसभा  सीटों – बेलारी, शिमोगा और मांड्या  पर उपचुनाव कराया गया  था. तब बकायदा आयोग द्वारा 9 अक्तूबर, 2018 को‌ एक सार्वजनिक प्रैस नोट जारी कर  उस उपचुनाव को वैध भी  ठहराया गया  गया था क्योंकि उक्त तीनों‌ सीटें क्रमशः 18 मई 2018, 18 मई 2018 और 21 मई 2018 को रिक्त‌ हुईं थी और  चूंकि तत्कालीन 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून 2019 तक  था  अर्थात उक्त तीनों लोकसभा सीटों पर तत्कालीन निवर्तमान सांसदों के कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष से अधिक थी, इसलिए
कानूनन उपचुनाव कराना आवश्यक है  हालांकि उसके  6 महीने बाद ही अप्रैल- मई 2019 में 17 वीं‌ लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित थे.
 हेमंत का कहना है कि बेशक उन्होंने अंबाला संसदीय सीट पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग को कानूनी नोटिस भेजा है एवं आगामी कुछ दिनों में वह हाईकोर्ट में रिट याचिका भी दायर कर देंगे परंतु यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्तासीन भाजपा सहित कोई भी दल चाहे कांग्रेस, जजपा, इनेलो, आप, बसपा कोई भी अंबाला लोस उपचुनाव नहीं चाहता है क्योंकि आज तक किसी भी विपक्षी राजनीतिक दल के नेता
ने उनसे इस संबंध में संपर्क‌ नहीं किया कि वह हाईकोर्ट  में अमुक केस में पार्टी बनने का इच्छुक‌ हैं. सभी को‌‌ लगता है कि अगर अंबाला उपचुनाव  होता है और वह उम्मीदवार चुनाव‌ हार गया और उसकी जमानत जब्त हो गई, तो‌ उसकी पार्टी उसे अप्रैल-मई 2024  में निर्धारित 18 वीं लोकसभा के आम चुनावों में दोबारा टिकट नहीं देगी.

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