प्रेस कांफ्रेंस पश्चात किसी पत्रकार ने उपचुनाव संबंधी नहीं पूछा सवाल
 चंडीगढ़ — गत साढ़े चार माह से हरियाणा में  रिक्त अंबाला (अनुसूचित जाति- एससी आरक्षित) लोकसभा सीट पर  उपचुनाव  की संभावना अब पूर्णतया समाप्त‌ ही हो गई है. इसी वर्ष 18 मई 2023 को अंबाला संसदीय सीट से मई, 2019 में  भाजपा‌ के टिकट पर  निर्वाचित रतन लाल‌ कटारिया के निधन फलस्वरूप अंबाला सीट को उसी दिन से  लोकसभा सचिवालय द्वारा रिक्त घोषित कर दिया गया था.
इसके बाद से प्रदेश के  राजनीतिक गलियारों में  इस विषय पर कयास और चर्चाएं चलती  रही हैं कि क्या चुनाव आयोग अम्बाला लोस सीट पर उपचुनाव कराएगा  अथवा नहीं क्योंकि आगामी कुछ माह  अर्थात  अप्रैल-मई, 2024 में 18वीं  लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित हैं और इस कारण  आयोग संभवत:  अल्प  अवधि के लिए अम्बाला संसदीय सीट पर उपचुनाव नहीं कराना चाहेगा.
बहरहाल, 9 अक्तूबर 2023 भारतीय चुनाव आयोग द्वारा 5 राज्यों नामत: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और  तेलंगाना की प्रदेश विधानसभाओं के आम चुनावों‌ की तारीखों का ऐलान करते समय अंबाला सहित देश में वर्तमान कुल 4 रिक्त संसदीय (लोकसभा) सीटों पर‌ उपचुनाव की घोषणा नहीं की गई है.
हालांकि गत सप्ताह 3 अक्तूबर को‌  हरियाणा के  मुख्य चुनाव अधिकारी ( सीईओ) अनुराग अग्रवाल, आईएएस‌ द्वारा एक प्रेसवार्ता में कहा गया था कि अंबाला में उपचुनाव‌ नहीं होगा.
हालांकि  ऐसी परंपरा रही है कि चाहे लोकसभा/राज्यसभा  या विधानसभा/ विधानपरिषद के आम चुनाव कराने का विषय हो या उनकी रिक्त सीटों पर उपचुनाव का मामला, इस संबंध में अर्थात आम चुनाव/उपचुनाव कब करवाए जाने हैं अथवा नहीं, भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ही औपचारिक और आधिकारिक  घोषणा की जाती है, न कि संबंधित राज्य के सीईओ द्वारा.   इस प्रकार  रिक्त अंबाला लोस सीट पर उपचुनाव नहीं करवाए जाने‌ भी चुनाव आयोग द्वारा घोषणा की जानी चाहिए.
बहरहाल, इस सबके बीच पंजाब  एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट  हेमंत कुमार, जो‌ अंबाला लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले अंबाला शहर विधानसभा हलके में  रजिस्टर्ड मतदाता भी हैं, ने बताया कि वर्तमान में अंबाला  के अतिरिक्त  3 अन्य लोकसभा सीटों महाराष्ट्र में पुणे और चंद्रपुर, उत्तर प्रदेश में गाजीपुर   संसदीय सीटें  शामिल है
हेमंत ने बताया कि उन्होंने बीते जुलाई माह में एक आरटीआई  दायर कर उक्त  रिक्त लोकसभा   सीटों  उपचुनाव कराने  में हो रहे विलंब से संबंधित संपूर्ण जानकारी मांगी थी  जिस पर  गत 17 अगस्त को   आयोग के सचिव  संजीव कुमार प्रसाद द्वारा दिए जवाब में लोक प्रतिनिधित्व कानून ( आरपी एक्ट),1951 की धारा 151 ए का हवाला देकर बताया गया कि लोकसभा सीट रिक्त होने के 6 महीने के भीतर उस सीट पर उपचुनाव कराने की  समय सीमा होती है.  हालांकि चुनाव आयोग केंद्र सरकार से परामर्श के पश्चात प्रमाणित कर सकता है कि उपरोक्त 6 माह की अवधि में  उपचुनाव करवाना संभव नहीं है.
बहरहाल जवाब में  आगे बताया गया था अंबाला लोस सहित अन्य रिक्त संसदीय क्षेत्रों पर उपचुनाव का मामला चुनाव आयोग के सक्रिय विचाराधीन है.  अब क्या अंबाला सहित अन्य रिक्त
लोकसभा सीटों पर उपचुनाव करवाने या न‌ करवाने संबंधी आयोग ने  कोई फाईनल निर्णय लिया है या नहीं, आयोग की वेबसाइट  पर इस संबंध में कोई  आधिकारिक जानकारी अपलोड नहीं की गई है.
 हेमंत ने यह भी  बताया कि अगर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार से परामर्श कर ऐसा प्रमाणित भी कर दिया है कि उक्त रिक्त लोकसभा सीटों पर  उपचुनाव करवाना संभव नहीं है, तो‌ इस बारे में भी आयोग को सार्वजनिक प्रगटीकरण‌ करना‌ होगा  कि ऐसी कौन सी  प्रशासनिक अथवा राजनीतिक परिस्थितियां‌ हैं, जिनके फलस्वरूप कानूनन निर्धारित 6 माह की अवधि में उपचुनाव कराना संभव नहीं है.
एडवोकेट  हेमंत  का  कहना है कि कानूनन अर्थात लोक  प्रतिनिधित्व‌कानून , 1951 की धारा 151 ए के अनुसार  अगर रिक्त हुई लोकसभा  सीट पर  निवर्तमान सदस्य की शेष अवधि एक वर्ष से कम हो, तो उपचुनाव नहीं कराया  जाता है. मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल आगामी वर्ष 16 जून 2024 तक है. इस प्रकार  18 मई 2023 को  अम्बाला के निवर्तमान भाजपा सांसद कटारिया के निधन के समय उनकी वर्तमान 17वीं  लोकसभा में सांसद के तौर पर  अवधि करीब तेरह महीने शेष थी जो एक वर्ष अर्थात से ऊपर थी, इस प्रकार अम्बाला लोकसभा सीट पर उपचुनाव  कानूनन आवश्यक है. इसी आधार पर
महाराष्ट्र में पुणे और चंद्रपुर‌ और  उत्तर प्रदेश में गाजीपुर  संसदीय सीट
 पर उपचुनाव करवाना कानूनन आवश्यक बनता है.
हेमंत ने यह भी बताया‌ कि आज से 5 वर्ष  पूर्व अक्तूबर-नवंबर  2018 में  आयोग द्वारा कर्नाटक राज्य में तत्कालीन तीन रिक्त  लोकसभा  सीटों – बेलारी, शिमोगा और मांड्या  पर
उपचुनाव कराया गया  था. तब बकायदा आयोग द्वारा 9 अक्तूबर, 2018 को‌ एक सार्वजनिक प्रैस नोट जारी कर  उस उपचुनाव को वैध भी  ठहराया गया  गया था क्योंकि उक्त तीनों‌ सीटें क्रमशः 18 मई 2018, 18 मई 2018 और 21 मई 2018 को रिक्त‌ हुईं थी और  चूंकि तत्कालीन 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल 3 जून 2019 तक  था  अर्थात उक्त तीनों लोकसभा सीटों पर तत्कालीन निवर्तमान सांसदों के कार्यकाल की शेष अवधि एक वर्ष से अधिक थी, इसलिए
कानूनन उपचुनाव कराना आवश्यक है  हालांकि उसके  6 महीने बाद ही अप्रैल- मई 2019 में 17 वीं‌ लोकसभा के आम चुनाव निर्धारित थे.  हालांकि तब आयोग द्वारा आंध्र प्रदेश की 5 रिक्त लोस सीटों पर उपचुनाव‌ नहीं कराया गया था क्योंकि‌ वह पांचों सीटें  20 जून‌ 2018  को रिक्त हुईं थीं जिससे  निवर्तमान सांसदों की प्रासंगिक अवधि एक वर्ष से कम बनती थी.

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