राज्य सरकार द्वारा ई-भूमि पोर्टल को किया गया है शुरू, एग्रीगेटर्स को 1 हजार से 3 हजार रुपये प्रति एकड़ तक दिया जाएगा प्रोत्साहन, सरकार का लक्ष्य है पारदर्शी तरीके से भू-मालिकों की सहमति से जमीन की खरीद करना
कुरुक्षेत्र 7 अक्टूबर विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि भू-मालिकों की सहमति से सरकारी परियोजनाओं के विकास के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया को और आसान बनाने हेतु नए ई-भूमि पोर्टल की शुरुआत मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा की गई है। सरकार का लक्ष्य पारदर्शी तरीके से भू-मालिकों की सहमति से जमीन की खरीद करना है।
विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि अब किसानों के अलावा एग्रीगेटर्स भी इस पोर्टल पर जमीन देने की पेशकश कर सकेंगे। एग्रीगेटर आयकर दाता होना चाहिए और उसके पास पीपीपी आईडी होनी चाहिए। पहले प्रॉपर्टी डीलर्स एंड कंसल्टेंट्स एक्ट 2008 के प्रावधान के तहत एक एग्रीगेटर को प्रॉपर्टी डीलर के रूप में पंजीकृत किया होना चाहिए। अब इस शर्त की अनिवार्यता को भी हटा दिया है। नये पोर्टल पर जमीन की पेशकश 6 माह तक मान्य रहेगी। किसान स्वतंत्र रूप से या सूचीबद्ध एग्रीगेटर्स के माध्यम से अपनी जमीन की पेशकश कर सकते हैं। एग्रीगेटर्स द्वारा किए गए स्वैच्छिक प्रस्तावों के लिए न्यूनतम 10 एकड़ की पेशकश को अनिवार्य किया गया है। किसी एक भूमि मालिक द्वारा ई-भूमि पोर्टल पर की गई पेशकश आंशिक या पूर्ण हिस्सेदारी की हो सकती है। यदि कोई एग्रीगेटर एक या अधिक भूमि मालिकों की सहमति या पेशकश अपलोड करता है, तो वह पेशकश प्रत्येक भूमि मालिक की भूमि के पूरे हिस्से की होनी चाहिए। परियोजनाओं के लिए भूमि की खरीद के मामले में एग्रीगेटर्स को 1 प्रतिशत की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके अलावा भले ही खरीद न हो तो भी एग्रीगेटर्स को उनके प्रयासों के लिए 1 हजार से 3 हजार रुपये प्रति एकड़ तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। शर्त यह है कि वे कुल इंडेंटेड भूमि के कम से कम 70 प्रतिशत की सहमति लाएंगे।
उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और समन्वय करने के लिए प्रत्येक विभाग में और जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की पहचान की गई है। प्रक्रिया के तहत यदि कोई भी (व्यक्ति या एग्रीगेटर) एक बार पोर्टल पर ऑफर अपलोड करता है, तो उसे नामित एजेंसी को सूचित किया जाएगा जो प्रस्तावित परियोजना के लिए संबंधित सरकारी इकाई को सूचित करेगी। इसके बाद, व्यक्ति या एग्रीगेटर द्वारा पेश की जा रही दरों पर विचार करते हुए प्रक्रिया स्वचालित मोड पर शुरू हो जाएगी। यदि दरें कलेक्टर दर की सीमा के भीतर हैं तो विभाग के प्रशासनिक सचिव व्यवहार्यता और तर्कसंगतता की जांच करने और मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद तुरंत इसे मंजूरी दे देंगे। यदि दरें कलेक्टर दरों (50 प्रतिशत तक) से अधिक हैं, तो इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति के समक्ष विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। यह प्रक्रिया भी समयबद्ध है और मंजूरी का निर्णय सचिवों की समिति के स्तर पर किया जाएगा। यदि दरें कलेक्टर दरों के 50 प्रतिशत से अधिक हैं, तो प्रस्ताव मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त भूमि खरीद समिति को भेजा जाएगा। सामान्य मामलों में ऐसी उम्मीद है कि पूरी प्रक्रिया 3 से 6 महीने की समय सीमा के भीतर पूरी हो जाएगी। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता के साथ-साथ भूमि मालिकों और एग्रीगेटर्स द्वारा भुगतान में देरी की शिकायतों में भी कमी आएगी।